अपनी अकल लगाएं,ईद पर फर्जी शोसल मीडिया के बहकावे में न आओ ।

अपनी अकल लगाएं,ईद पर फर्जी शोसल मीडिया के बहकावे में न आओ ।

अपनी अकल लगाएं,ईद पर फर्जी शोसल मीडिया के बहकावे में न आओ । वी • पी• सिंह (रिपोर्टर ) ज्ञानपुर,भदोही। किसी पुराने और गुजरे समय में जब अखबार की खबरों पर लोग पूर्ण रूप से विश्वास रखते थे । लेकिन आज इसे पूरी तरह से सही मानना किसी अनजान खतरे से खाली नहीं रह गया

अपनी अकल लगाएं,ईद पर फर्जी शोसल मीडिया के बहकावे में न आओ ।

वी • पी• सिंह (रिपोर्टर )

ज्ञानपुर,भदोही।

किसी पुराने और गुजरे समय में जब अखबार की खबरों पर लोग पूर्ण रूप से विश्वास रखते थे । लेकिन आज इसे पूरी तरह से सही मानना किसी अनजान खतरे से खाली नहीं रह गया है। खासकर कुछ असामाजिक तत्व सोशल पोस्ट, व्हाट्सएप , फेसबुक के माध्यम से फर्जी पोस्ट करके दो दिलों की बीच दूरियां बनाने का काम कर रहे हैं । सोमवार को ईद का त्योहार है , लेकिन कुछ असामाजिक तत्व हिंदू मुसलमान के नाम पर जहर फैलाने के लिए झूठे व फर्जी पोस्ट का जुगाड़ कर समाज को दूषित करने का कार्य कर रहे हैं । ऐसे समय में एक विशेष वर्ग समुदाय यानी खासकर मुसलमानों को मीडिया के फेंक न्यूज और पोस्ट से बचकर रहना होगा। बताते चलें कि ईद-उल-फितर मुसलमानों का सबसे बड़ा वाली इस ईद को ‘मीठी ईद’ भी कहते हैं. कोरोना वायरस के चलत्योहार माना जाता है. रमजान महीने के पूरे होने के बाद मनाई जाती है । देश भर में लॅाकडाउन है ,और इसी लॉकडाउन के चलते इस बार 25 मई सोमवार को होने वाली ईद की रौनक भी फीकी ही रहने वाली है, ऐसा पहली बार होगा जब घरों में रहकर ईद की नमाज़ अदा की जाएगी। ईद से हफ्तों पहले यानी आज कल के दिनों में बाजारों में खूब भीड़ – भाड़ जुटा करती थी ,लेकिन इस बार तो बाजार ही नहीं हैं. कुछे एक दुकानें ज़रूर खुली हैं लेकिन उनमें भी सन्नाटा पसरा हुआ है। लॉकडाउन की वजह से बाजार सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक ही खुलते हैं।
जबकि हर साल रमजान के दिनों में देर रात तक बाजार खुला करते थे और खूब भीड़भाड़ देखने को मिलती थी। चांद-रात की रात तो बाजार में कदम रखने तक की जगह नहीं होती थी। देश के बड़े – बड़े शहरों में लाखों करोड़ों का व्यापार हो जाया करता था। मुस्लिम लोग ईद के मौके पर नए कपड़े, जूते, चप्पल इत्यादि ज़रूर खरीदते हैं और नमाज़ अदा करने के लिए जाते हैं। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते ईदगाह या मस्जिदों में नमाज़ पढ़ने की अनुमति नहीं दी गई और सभी से अपील की गई है, कि वह घर में रह कर ही ईद की नमाज़ पढ़ें इसलिए बाजारों में लोग भी नहीं जुट रहे हैं।

कोरोना से जंग जारी है तो बेहतर है की मुसलमान अपने घरों पर ही ईद की नमाज पढ़ें ।

ईद की शुरूआत दिन के शुरू होते ही हो जाती है सबसे पहले घर के सभी सदस्य कुछ मीठा खाकर यह दर्शाते हैं कि वह आज रोज़ा नहीं हैं, फिर नए कपड़े पहनकर लोग ईदगाह की ओर ईद की खास दो रकत नमाज पढ़ने के लिये जाते हैं। ईद पर हर मुसलमान चाहे वो अमीर हो या गरीब हो सभी एक साथ नमाज पढ़ते हैं और एक दूसरे को गले लगाते हैं। ईद की नमाज पढ़ने के बाद एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं. और फिर सभी लोगों का एक दूसरे के घर आना जाना शुरू हो जाता है. सभी के घरों में खूब लज़ीज़ पकवान के साथ ईद की स्पेशल सेवईं भी बनाई जाती है जिसे सभी बड़े ही चाव के साथ खाते हैं. ईद मोहब्बत को बढ़ाने का नाम भी है इस दिन गले मिलकर इसलिए भी बधाई दी जाती है जिससे सभी की एक दूजे से गिले शिकवे दूर हो जाएं और इस ईद की खुशी में सब एक दूसरे को माफ कर दें । लेकिन इस दफा देश के सभी मुसलमानों को चाहिए कि वह उन सभी बातों को मानें जो स्वास्थ्य विभाग व भारत सरकार द्वारा गाइडलाइन में कहा गया है. सोशल डिस्टेंसिंग का हर हाल में पालन करना होगा और यह ना सिर्फ अपने लिए बल्कि अपने परिवार वालों के लिए भी आपको इसका पालन करना ही होगा। ईद के दिन फितरा निकालना (चैरिटी करना) ईद का एक मुख्य पहलू है. जिसमें मुसलमानों को गरीबों को मदद करने के लिए घर के सभी सदस्यों का फितरा निकालना होता है. यह चैरिटी राशन या पैसे के रूप में दान किया जाता है जिससे गरीब भी ईद की खुशी मना सके. यह फितरा कुछ राशन या फिर नकद रूपये के रूप में दिया जाता है जोकि नमाज़ पढ़ने से पहले देना होता है। इस बार लॅाकडाउन के चलते ईदगाह और मस्जिदों में जुटने पर पाबंदी लगाई गयी है इसलिए सभी मुसलमानों को चाहिए कि वह अपने घरों में ही नमाज़ अदा करें और खुतबा (समाजिक संदेश) अपने इमामों से आनलाइन सुनने की व्यवस्था करें यह भी ईद का एक खास पहलू होता है जिसमें मस्जिद के इमाम नमाज़ से पहले लोगों को अच्छे और बुरे कामों की जानकारी देते हैं ।इस बार सभी मुसलमानों को गले मिलकर बधाई देने की जगह सिर्फ मुबारकबाद देना चाहिए और सिर्फ अपने ही परिवार के सदस्यों के साथ पकवानों का आनन्द लें. न खुद किसी के घर में जाएं और सबको भी समझाएं कि सब अपने अपने घरों में ही ईद का त्योहार मनाएं किसी के घर भी जाने से परहेज करें ।

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