पत्नी को साइकिल पर बैठाकर तय किया 750 किलोमीटर का सफर

पत्नी को साइकिल पर बैठाकर तय किया 750 किलोमीटर का सफर

रेहरा बाजार- बलरामपुर जिले के उतरौला तहसील अंतर्गत विकास खण्ड रेहरा बाजार के ग्राम पंचायत मनुवागढ़ में रोहतक से अपने ससुराल साइकिल से पहुँचे राघोराम को अपने गांव तक साइकिल से आने के लिए 750 किमी की यात्रा करनी पड़ी।उन्होंने अपनी यह यात्रा पाँच दिनों में अपनी पत्नी के साथ साइकिल से पूरी की।राघोराम उन्हीं

रेहरा बाजार- बलरामपुर

जिले के उतरौला तहसील अंतर्गत विकास खण्ड रेहरा बाजार के ग्राम पंचायत मनुवागढ़ में रोहतक से अपने ससुराल साइकिल से पहुँचे राघोराम को अपने गांव तक साइकिल से आने के लिए 750 किमी की यात्रा करनी पड़ी।उन्होंने अपनी यह यात्रा पाँच दिनों में अपनी पत्नी के साथ साइकिल से पूरी की।राघोराम उन्हीं हज़ारों लोगों में से एक हैं।जिन्हें कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते देशभर में अचानक लागू किए लॉकडाउन यानी बंदी के कारण हरियाणा के रोहतक से यूपी के बलरामपुर लौटना पड़ा।राघोराम ने बताया कि कोरोना वायरस के भय ने उन्हें इतनी ताक़त दी।कि वो अपनी मंज़िल तक पहुंच सके। उन्होंने बताया कि कोरोना से कब मरना था नहीं मालूम था।लेकिन भूख से मर जाना था यह पक्का मालूम था।राघोराम बताते हैं हम जिस कंपनी में काम करते थे। वह कुछ दिन पहले ही बंद कर दी गई थी।हमने ठेकेदार को फ़ोन किया तो वो बोला कि हम आपकी कोई मदद नहीं कर सकते।

मकान मालिक ने कहा कि रुकोगे तो किराया लगेगा।रोहतक में रह रहे हमारे जानने वाले कुछ लोग अपने घरों को निकल रहे थे।तो हमने भी सोचा कि यहां से जाने में ही भलाई है।घर-गांव पहुंच जाएंगे तो कम से कम भूख से तो नहीं मरेंगे।वहां कुछ न कुछ इंतज़ाम हो ही जाएगा।महीने में नौ हज़ार रुपए तनख़्वाह मिलती थी।कुछ पास में खाने-पीने को था नही इसीलिए 27 मार्च की सुबह अपनी पत्नी के साथ रोहतक से साइकिल पर सवार होकर हम अपने गांव की तरफ चल दिए।चार दिन बाद यानी 31 मार्च की शाम को हम गोंडा पहुंचे।इस दौरान मेरी जेब में मात्र 120 रुपए थे और 700 किमी का सफ़र मैंने कैसे तय किया यह मैं ही जानता हूँ।

राघोराम ने बताया कि जब हम अपनी पत्नी के साथ रोहतक से निकले तो दो झोलों में भरे थोड़े-बहुत कपड़े और सामान के अलावा हमारे पास और कुछ नहीं था।हम पहली बार साइकिल से आ रहे थे इसलिए हमें रास्ते की भी कोई जानकारी नहीं थी।सोनीपत तक हमें ख़ूब भटकना पड़ा।जगह-जगह पुलिस वाले रोक भी रहे थे लेकिन हमारी मजबूरी समझकर आगे जाने दिए।सोनीपत के बाद जब हम हाईवे पर आए। उसके बाद हम बिना भटके ग़ाज़ियाबाद,बरेली, सीतापुर,बहराइच होते हुए गोंडा पहुंच गए।31 मार्च को ज़िला अस्पताल गोण्डा में स्वास्थ्य की जांच के बाद हमे घर जाने की अनुमति मिल गई।

मेरा गांव तेलीजोत है जो महदेईया के पास पड़ता है।उस दिन रात हो जाने के कारण मैं थाना सादुल्लानगर के ग्राम पंचायत मनुवागढ़ में अपनी पत्नी के साथ अपने ससुराल चला आया हूं। फिलहाल राघोराम व उनकी पत्नी को 14 दिनों के घर पर अलग-अलग कमरों में रहने के लिए कहा गया है।और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा उन पर नजर रखी जा रही है।

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