समूचे बांग्लादेश में कर्फ्यू, किन रास्तों से 1000 भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी
International Desk
लगभग 1,000 भारतीय छात्र बांग्लादेश से लौट आए हैं। पड़ोसी देश में अधिकारियों ने सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली के खिलाफ घातक अशांति के मद्देनजर देशव्यापी कर्फ्यू लगा दिया है। छात्र प्रदर्शनकारियों और पुलिस तथा सरकार समर्थक कार्यकर्ताओं के बीच झड़पों में 115 से अधिक लोग मारे गए हैं। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने बांग्लादेश की स्थिति को आंतरिक मामला बताते हुए कहा कि 778 भारतीय छात्र विभिन्न भूमि बंदरगाहों के माध्यम से भारत लौट आए हैं। इसके अलावा, लगभग 200 छात्र ढाका और चटगांव हवाई अड्डों के माध्यम से नियमित उड़ान सेवाओं से लौट आए हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि हम बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन को देश के आंतरिक मामले के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर व्यक्तिगत रूप से बांग्लादेश में भारतीयों की सुरक्षा की निगरानी कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों के लिए अनावश्यक यात्रा से बचने और घर के अंदर रहने की सलाह जारी की है।
भारतीय उच्चायोग ने 13 नेपाली छात्रों की वापसी की भी सुविधा प्रदान की। ढाका में भारतीय उच्चायोग और हमारे सहायक उच्चायोग बांग्लादेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में बचे 4000 से अधिक छात्रों के साथ नियमित संपर्क में हैं और आवश्यक सहायता प्रदान कर रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और आव्रजन ब्यूरो के समन्वय में बेनापोल-पेट्रापोल, गेडे-दर्शना और अखौरा-अगरतला जैसे सीमा पार से इन छात्रों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने में सक्रिय रहा है।
भारत लौट रहे छात्रों ने सुनाई आपबीती
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने 19 जुलाई को बांग्लादेश से निकाले गए कुछ भारतीय छात्रों से बात कर उनके अनुभव बताए. इनमें से एक आसिफ हुसैन, असम के धुबरी के रहने वाले हैं और बांग्लादेश के माणिकगंज जिले के एक मेडिकल कॉलेज में पढ़ते हैं. यह डगह राजधानी ढाका से करीब 30 किलोमीटर दूर है. हुसैन बताते हैं, "हमारे कॉलेज में हिंसा नहीं हुई थी, लेकिन हमने सुना कि 15 मिनट की दूरी पर जो शहर हैं, वहां दिक्कत है."
हुसैन ने बताया कि जब ढाका में छात्रों के मारे जाने की खबरें आने लगीं, तो उनके कॉलेज के करीब 80 भारतीय छात्रों ने टैक्सियां लीं और 170 किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल से लगी सीमा पर पहुंचे. सब लोग काफी डरे हुए थे, हालात काफी खौफनाक थे और ये लोग भारत में अपने परिवार से भी संपर्क नहीं कर पा रहे थे. हालांकि, छात्रों के आग्रह पर भारतीय उच्चायोग ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई और सुरक्षित निकलने में मदद की. छात्रों का यह जत्था तड़के करीब ढाई बजे रवाना हुआ और छह घंटे बॉर्डर पर पहुंचा. आसिफ बताते हैं, "यह बहुत डरावना था. अब भी मेरी ढाका में रह रहे अपने कई दोस्तों से बात नहीं हो पाई है."
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