राहु 

राहु 

राहु 

 
राहु हूँ 
नई राह दिखता हूँ।
पथ पर अग्रसर कर 
अपार सफलता दिलवाता हूँ।
कर्म बुरे करते तो 
रोग, शत्रुता और ऋण बढ़ाता हूँ।
शुभ कर्मो पर
धनार्जन के नये मौके दिखलाता हूँ।
शुक्र, शनि, बुध मित्रों संग 
मिलकर राज पाठ का
अधिकारी भी बनाता हूं।
18 साल की महादशा में 
सब के रंग दिखलाता हूँ।
तभी तो अपने रंग में
रंगा रह कर कैपुट कहलाता हूँ।
जापता जो नाम मेरा महादशा में 
उसके बिगड़े हर काम बनाता हूँ।
 
डॉ.राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
 

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