कुरमैचा में एक गरीब प्लास्टिक की झोपडी में रहने पर विवश, जिम्मेदार मौन।

कुरमैचा में एक गरीब प्लास्टिक की झोपडी में रहने पर विवश, जिम्मेदार मौन।

कुरमैचा में एक गरीब प्लास्टिक की झोपडी में रहने पर विवश, जिम्मेदार मौन। संतोष तिवारी( रिपोर्टर ) भदोही। सरकार भले ही सभी को मूलभूत सुविधाये देने के लिए बचनबद्ध है और उसके लिए लगातार प्रयास जारी है। लेकिन आज भी ऐसे मामले देखने को मिल जाते है जो मन को झकझोर देते है। और जिम्मेदार

कुरमैचा में एक गरीब प्लास्टिक की झोपडी में रहने पर विवश, जिम्मेदार मौन।

संतोष तिवारी( रिपोर्टर )

भदोही। सरकार भले ही सभी को मूलभूत सुविधाये देने के लिए बचनबद्ध है और उसके लिए लगातार प्रयास जारी है। लेकिन आज भी ऐसे मामले देखने को मिल जाते है जो मन को झकझोर देते है। और जिम्मेदार लोग है कि वे केवल कागजी कोरम पूरा करके सरकार को अपनी फर्ज अदायगी कर देते है। जिले के अधिकारियों को पता ही नही होता कि उनके विभाग के लोग क्या कर रहे है? केवल शिकायत होने पर एक रटा रटाया जबाब देकर निकल लेते है कि देखाया जायेगा जो गलत होगा उसके खिलाफ कार्यवाही होगी। लेकिन यह सब केवल आम आदमियों को मूर्ख बनाने का तरीका है। सभी लोग इस तरह के मामले व घटनाओं को खूब जानते है लेकिन क्या पडी है इनसे? परेशान तो गरीब व लाचार व्यक्ति है जो इन लोगो के खिलाफ कुछ कर नही सकता है। यदि वह सरकार के सिस्टम का सहारा लेगा तो भी सरकार के ही नुमाइंदे लीपा पोती करके झूठी रिपोर्ट अपने मातहत को भेजकर या कोई बहाना बनाकर पाक साफ बन जायेंगे। सरकार भले ही सख्त रवैया अपनाये लेकिन जिलास्तर पर लापरवाही व मनमानी के वजह से जरूरतमंद भी आज समस्याओं से दो चार होते है। और हमेशा होते रहेंगे जब तक सरकारी अधिकारी ईमानदारी व जिम्मेदारी से अपने कार्यों को नही करेंगे।
भदोही जिले के ज्ञानपुर तहसील के कुरमैचा गांव में एक ऐसा गरीब परिवार है जो बीते कई महिने से प्लास्टिक की झोपडी बनाकर रहने पर विवश है। लेकिन सरकार के तरफ से नामित जिम्मेदार एक बार भी गरीब की सुधि न ली। सहायता करनी तो दूर की बात है। मालूम हो कि बीते वर्ष में हुई मूसलाधार बारिश से कुरमैचा निवासी विजय बहादुर बिन्द का घर धराशायी हो गया था। और पूरा परिवार बेघर हो गया। विजय बहादुर अपने परिवार को रखने के लिए वही पर प्लास्टिक से झोपडी बनाकर रह रहा है। जहां पर वह खुले में ही अपने गृहस्थी के सामान को रखा है। और इस ठंढी के मौसम में भी गरीब का परिवार प्लास्टिक में रहकर जीवन बिता रहा है। लेकिन अपने को वातानुकूलित कमरों में रखने वालों को इस गरीब से क्या मतलब? उन्हें तो तब गरीबों की सुधि आती है जब उनका आका उनको डांटता है तब समझ में आता है। ग्राम प्रधान, लेखपाल और ग्राम पंचायत अधिकारी तो इस गरीब के यहां हालचाल लेने पहुंचे ही नही तो औरों की बात की जाये? केवल चुनाव के समय नेता भी गरीबों से वोट लेने के लिए झूठा आश्वासन देते है और जीत जाने के बाद अपने को किसी भगवान से कम नही समझते जन प्रतिनिधि और अपने पद व रूतबा के आगे गरीबों से कोई जैसे मतलब नही है। विजय बहादुर अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ प्लास्टिक की फटी झोपडी में रहता है। लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस तरह के गरीबों पर ध्यान ही नही देते है। और सरकार की मंशा को तार तार करने से बाज नही आते है जिम्ममेदार। यह तो कुरमैचा निवासी विजय बहादुर एक उदाहरण मात्र है ऐसे न जाने कितने गरीब जिले में सिस्टम की लापरवाही की शिकार है। जो जिम्मेदार केवल शासन को झूठा व मनमानी आंकडा भेजकर सरकार और आम आदमी को मूर्ख बना रहे है। यदि जिम्मेदार लोग अपने कार्य करने के तरीका में बदलाव नही करेंगे तो शासन के मंशा के अनुरूप सही लोगो को योजनाओं का लाभ नही मिल पायेगा।

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