अब टिड्डी दलों के महामारी से फसलों पर मंडरा रहा गहरा संकट

अब टिड्डी दलों के महामारी से फसलों पर मंडरा रहा गहरा संकट

प्रमोद रौनियार, कुशीनगर,उप्र।


प्रमोद रौनियार
, कुशीनगर,उप्र।

गेहूं की फसल में ओलावृष्टि, बारिश, आंधी-तूफान से भारी नुकसान झेल चुके जिले के किसानों को अब धान की फसल में भी राहत के आसार नहीं दिख रहे हैं। दरअसल आगामी फसलों पर अब पाकिस्तान से आए टिड्डी दल का खतरा मंडरा रहा है।इसे लेकर कृषि विभाग अलर्ट हो गया है। झुंड में चलने वाला यह दल हरी फसलों की हरी पत्तियां को चंद मिनटों में चट कर जाता है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश के साथ टिड्डी दल यूपी के ललितपुर तक दस्तक दे दी है।   प्रति घंटा सौ किमी है टिड्डियों को उड़ने की क्षमता  टिड्डी दल की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटा है। यही कारण है कि पकिस्तान, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश के बाद अब यूपी में भी इसकी दस्तक हो चुकी है। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि ललितपुर पहुंचने के बाद से कृषि विभाग अब अलर्ट हो गया है।  कृषि रक्षा अधिकारी प्यारेलाल ने किसानों को किया एलर्ट  कुशीनगर के जिला कृषि रक्षा अधिकारी प्यारेलाल ने बताया कि राजस्थान के दौसा जिले में मंगलवार को नियंत्रण अभियान के बाद टिड्डी दलों ने उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे करौली जिले और अन्य क्षेत्र का रुख कर लिया है। मध्य प्रदेश में कई जगह टिड्डी दलों के हमले के बाद उनके महाराष्ट्र के नागपुर और वर्धा जिलों तक पहुंच जाने की सूचना है।  इसके चलते उत्तर प्रदेश में मध्य प्रदेश, राजस्थान से लगे 10 जिलों में हाईअलर्ट घोषित कर दिया गया है। यूपी के अधिकारियों ने बताया कि दोनों राज्यों की सीमाओं से लगे जिलों में रात के समय रसायनों का भारी छिड़काव करने के आदेश दिए गए हैं। टिड्डी दल का प्रकोप महामारी स्वरूप ग्रहण कर लेता है।बचाव हेतु यह आवश्यक है कि जनपद में निरन्तर टिड्डी दल के आक्रमण की निगरानी की जाय। ताकि किसी भी स्तर के प्रकोप की दशा में ससमय टिड्डी दल पर नियत्रंण पाया जा सके। टिड्डी दल के प्रकोप की दशा में आप निम्न सुझावों एवं संस्तृतियों का अनुपालन करे।  किसान इन उपायों से करे फसलों की सुरक्षा 1.टिड्डी दल के प्रकोप की सूचना ग्राम प्रधान , लेखपाल , कृषि विभा के प्राविधिक सहायकों एवं ग्राम पंचायत अधिकारी के माध्यम से जिला प्रशासन तक तत्काल पहूॅचाये।2.टिड्डी के प्रकोप की दशा में एक साथ इकट्ठा होकर टीन के डब्बें एवं थालियों आदि को बजाते हुये शोर मचाये। शोर से टिड्डी दल आस-पास के खेतों में आक्रमण नही कर पायेगे।3.बसंत के मौसम एवं बलुई मिट्टी टिड्डी के प्रजनन एवं अण्डे देने हेतु सर्वाधिक अनुकूल होता है।  तथा टिड्डी दल के आक्रमण से सम्भावित ऐसी मिट्टी वाले क्षेत्रों में जुताई करवा दे एवं जल का भराव करा दे। ऐसी दशा में टिड्डी के विकास की सम्भावना कम हो जाती है। 4.सूत्रों से पता चला है कि पंजाब में टिड्डी दल के नियंत्रण हेतु अग्निशमन फायर ब्रिगेड विभाग की भी सहायता ली गई थी। टिड्डी दल के नियत्रंण हेतु प्रशासन के माध्यम से अग्निशमन फायर ब्रिगेड विभाग की भी सहायता ली जा सकती है।5.टिड्डी दल के न्यून व मध्यम प्रकोप की दशा मेे कृषक बन्धु एक साथ मिलकर क्लोरपाइरीफास 20 प्रति0 ई0 सी0 का तीव्र छिड़काव करे। 6.टिड्डी दल के नियंत्रण हेतु रसायन मैलाथियान 96 प्रति0यू0एल0वी0 का छिड़काव अत्यन्त प्रभावी होता है। परन्तु इस रसायन की जन सामान्य को उपलब्धता न होने के कारण कृषक स्तर से इसका छिड़काव नही किया जा सकता है। टिड्डी दल के हमले में लोकल कंट्रोल को करे फोन यह रसायन टिड्डी नियत्रंण से सम्बन्धित सरकारी तंत्र के द्वारा उपलब्ध हो सकता है। इस लिए टिड्डी दल के आक्रमण की दशा में लोकस्ट कण्ट्रोल आर्गेइनाजेशन फरीदाबाद को www/ppqs.gov.in  एवं क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन केन्द्र लखनऊ को फोन न0 0522-2732063 एवं ई-मेल inmup12@nic.in  पर सूचित करें।ताकि प्रशिक्षित व्यक्तियों एंव समुचित यंत्रों के माध्यम से प्रभावशाली नियंत्रण कराया जा सके। 

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel