
जनपद में एक बार फिर खाद्यान्न माफिया सक्रिय
प्रशासन नहीं कर पा रहा चिहिन्त, हौसले बुलन्द कहीं जाँच में देरी होने की बजह से न हो जाये बड़ा खेल ललितपुर। जनपद में सक्रिय खाद्यान्न माफिया को जिला प्रशासन चिहिन्त नहीं कर पा रहा है, इसलिए उनके खिलाफ कार्यवाही न होने की दशा में उनके मनोबल बड़े हुये हैं, जबकि प्रशासन के सामने यह
प्रशासन नहीं कर पा रहा चिहिन्त, हौसले बुलन्द
कहीं जाँच में देरी होने की बजह से न हो जाये बड़ा खेल
ललितपुर।
जनपद में सक्रिय खाद्यान्न माफिया को जिला प्रशासन चिहिन्त नहीं कर पा रहा है, इसलिए उनके खिलाफ कार्यवाही न होने की दशा में उनके मनोबल बड़े हुये हैं, जबकि प्रशासन के सामने यह सारा खेल हुआ है, सागर में पाँच ट्रक सरकारी खाद्यान्न पकड़े जाने व बिरधा में खाद्यान्न से भरे ट्रक पलट जाने के बाद भी सिर्फ पूरा प्रकरण जाँच तक सीमित है। जबकि सभी को पता है कि हुआ क्या है, जनपद में कोविड 19 के कारण गरीबों को भरपूर मात्रा में खाद्यान्न वितरण को आया, लेकिन यह अनाज लोगों तक न पहुंच कर यह व्यापारियों के द्वारा बाजार में बिकने को आ गया।
इस पूरे प्रकरण से दो दशक पूर्व गरीबों के लिए खाद्यान्न वितरण करने के लिए शासन ने ट्रेन की रेक भेजी थी, जिससे मुम्बई में बेच दिया गया था। कहीं इससे भी बड़ा खेल एक बार फिर न हो जाये।जनपद में बैसे तो अनाज के व्यापार में टेक्स चोरी आम बात है, किन्तु इसी कि आड़ में खाद्यान्न माफिया सक्रिय हो जाते हैं, और पर गरीबों बटने वाले अनाज का सौदा करने लगते हैं।
बताते चलें कि कोविड 19 के तहत गरीबों को अनाज वितरण के लिए शासन आदेश दिया, लेकिन ग्रामीण इलाकों में रबी की फसल अच्छी होने के कारण वहाँ खाद्यान्न की किल्लत नहीं थी, जिसके चलते वहाँ के कोटेदारों से खाद्यान्न माफिया ने सम्पर्क साधा, साथ ही उनसे अनाज खरीद कर उसे बाजार में बेचने की कवायद शुरू कर दी, चूँकि जनपद में अनाज बेचने से पकड़े जाने भय था, इसलिए इसे अन्य जनपदों व प्रान्त में प्रारम्भ से बेचा जाता है। जिससे कि इस पूरे प्रकरण का पटापेक्ष न हो सके। किन्तु जब पकड़े जाते हैं, तो दो प्रान्तों का मामला होने के कारण बाद में पूरा प्रकरण रफा दफा कर दिया जाता है। जिस कारण खाद्यान्न माफिया के हौसले बुलन्द हैं।
जनपद से पूर्व में खाद्यान्न माफिया द्वारा मुम्बई में बेची जा चुकी है पूरी रैक
ऐसा ही एक प्रकरण पूर्व में घटित हो चुका है, देश में सूखा के चलते केन्द्र सरकार ने काम के बदले अनाज योजना प्रारम्भ को प्रारम्भ किया, इसी योजना के अन्तर्गत जनपद में खाद्यान्न से भरी एक पूरी रैक आयी थी, जिस पर माफिया की नजर पहुंची, इसके बाद उन्होंने तीन लोगों ने इसको बेचने की योजना बना दी, जिसमें एक व्यापारी, एक ट्रांसपोटर व एक ठेकेदार/नेता शामिल रहे।
इन्होंने सबसे पहले तो रेल विभाग से मुम्बई ले जाने के लिए एक रैक की माँग की, साथ ही प्रस्ताव रखा कि स्टेशन पर रैक खड़ी है, उसे ही हमें दे दिया जाये, इसके बाद रेल विभाग ने उक्त रैक को व्यापारी के नाम आवंटित कर दिया, ठीक इसके बाद फर्जी दस्तावेज तैयार कराये गये, जिसमें मण्डी से गेट पास और सरकारी गोदामें माल खाली करने के दस्तावेज, फिर क्या था, पूरी ट्रेन मुम्बई के लिए रवाना हो गयी। इसके बाद जब प्रशासन को इसकी भनक लगी, तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गयी, लेकिन जब तक देर हो चुकी थी, तीनों लोगों के नाम प्रकाश में आये, मामला भी दर्ज हुआ, चूँकि मामला अन्र्तराज्यीय होने के कारण उक्त जाँच सीबीसीआईडी को सौंपी गयी, चूँकि आज तक दोषियों को सजा नहीं मिली है। यही नहीं वह माफिया भी वर्तमान में सक्रिय हैं।
मध्य प्रदेश में पकड़ा गया पाँच ट्रक खाद्यान्न, जनपद में कार्यवाही शून्य
हालही में मध्य प्रदेश के सागर जिला अन्तर्गत राहतगढ़ थाने के सीहोरा मण्डी में जनपद से ले जाया गया, पाँच ट्रक माल पकड़ा गया, जिसका वहाँ पर मामला भी दर्ज किया गया, उक्त प्रकरण में मड़ावरा के व्यापारी नाम भी उजागर हुआ, किन्तु इसके बाद भी प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही अमल में नहीं लायी गयी है, प्रशासन जाँच की बात कर रहा है।
लेकिन जाँच के नतीजे जब तक आयेंगे, मूल अपराधी प्रशासन पहुंच से की दूर न चले जायें, यह प्रकरण उस समय का है, जबकि जनपद ही नहीं प्रदेश की सीमायें पूरी तरह से सील थी, ऐसे में यह खाद्यान्न किस प्रकार से मध्य प्रदेश पहुंचा, सूत्रों की मानें तो उक्त ट्रकों में सरकारी दुकानों पर वितरण होने वाला खाद्यान्न है, चूँकि किसानो से खरीदा हुआ अनाज इसलिए नहीं हो सकता है, क्योंकि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में एक ही समर्थन मूल्य है। इसलिए भाड़ा खर्च कर वहाँ पर कोई व्यापारी क्यों अनाज बेचने जाता। क्योंकि जनपद के केन्द्रों पर ही आसानी से उस अनाज को गला सकता था।
बिरधा में पलटा ट्रक भी संदेह के घेरे में
मध्य प्रदेश में पकड़े गये ट्रकों के ठीक बाद एक मामला जनपद में प्रकाश में आया, जब कोतवाली अन्तर्गत ग्राम बिरधा के समीप एक खाद्यान्न से भरा एक ट्रक पलट गया, जिसमें गेहूँ के साथ चावल भी ले जाया जा रहा था। जबकि ट्रक के जो कागज थे, वह सिर्फ गेहूँ के थे। यही नहीं जनपद में चावल की पैदावार भी नहीं होती है। इसीलिए उक्त ट्रक भी संदेह के घेरे में है, यही नहीं मौके से तत्काल माफिया द्वारा चावल की बोरियों को हटा लिया गया। उक्त प्रकरण की जाँच भी प्रस्तावित बतायी गयी है, लेकिन अभी तक उसका कोई निर्णय नहीं निकला है।
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