श्रम की परिभाषा श्रमिक
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अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस, जिसे मई दिवस के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसा दिन है जो दुनिया भर में श्रमिकों द्वारा समाज में किए गए योगदान की पहचान के रूप में मनाया जाता है। यह अतीत में श्रमिकों द्वारा किए गए संघर्षों और बलिदानों को याद करने और आज श्रमिकों के सामने आने वाली चुनौतियों पर विचार करने का दिन है। जैसा कि हम अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस मनाते हैं, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि आज हम जिन अधिकारों और स्वतंत्रता का आनंद लेते हैं, वे आसानी से नहीं मिले हैं।
श्रमिकों को इन अधिकारों के लिए अक्सर बड़ी व्यक्तिगत कीमत पर लड़ना पड़ा है। उन्होंने अपने और अपने परिवार के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए अपना समय, अपना स्वास्थ्य, और कभी-कभी अपना जीवन भी कुर्बान कर दिया है। हालाँकि, प्रगति के बावजूद, आज भी कई चुनौतियाँ हैं जिनका सामना श्रमिकों को करना पड़ता है। दुनिया के कई हिस्सों में, श्रमिकों का अभी भी शोषण किया जाता है, उन्हें कम वेतन दिया जाता है और बुनियादी अधिकारों और स्वतंत्रता से वंचित रखा जाता है।
वे खतरनाक परिस्थितियों में लंबे समय तक काम करते हैं, उनके पास बहुत कम या कोई नौकरी की सुरक्षा नहीं होती है, और अक्सर बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा तक उनकी पहुंच नहीं होती है। यह एक सच्चाई है जिसे हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। हमें एक ऐसी दुनिया की दिशा में काम करना जारी रखना चाहिए जहां प्रत्येक श्रमिक के साथ गरिमा और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाए, जहां उन्हें उनके काम के लिए उचित वेतन दिया जाए, और जहां उन्हें जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं तक पहुंच प्राप्त हो। जैसा कि हम अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाते हैं, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि श्रमिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष जारी है। यह हम पर निर्भर है कि हम हर जगह श्रमिकों के लिए एक बेहतर दुनिया की लड़ाई जारी रखें।
हमें अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ एकजुटता से खड़ा होना चाहिए, और एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए जहां हर कोई गरिमा के साथ रह और काम कर सके। अंत में, अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस श्रमिकों द्वारा समाज में किए गए योगदान का जश्न मनाने का दिन है, लेकिन यह उन चुनौतियों पर भी विचार करने का दिन है जिनका सामना आज श्रमिक करते हैं। हमें एक ऐसी दुनिया की दिशा में काम करना जारी रखना चाहिए जहां प्रत्येक कार्यकर्ता के साथ गरिमा और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाता है, और जहां उनके अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा की जाती है। आइए हम सब मिलकर इसे हकीकत बनाएं।
लेखक सचिन बाजपेई
तम्बौर सीतापुर
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