रेलवे स्टेशन तक सड़कों के किनारे इंटरलॉकिंग कार्य जांच की आंच से प्रभावित

रेलवे स्टेशन तक सड़कों के किनारे इंटरलॉकिंग कार्य जांच की आंच से प्रभावित

। मौदहा (हमीरपुर) नगर पालिका परिषद मौदहा द्वारा यहां के बडे चौराहे से लेकर छिमौली तिराहा व रेलवे स्टेशन तक सड़कों के किनारे इंटरलॉकिंग कार्य कराया जाना था, जो कि आज तक जांच की आंच से प्रभावित पड़े हुए हैं। इन कार्यों के एक माह से बन्द पडे होने यहाँ की जनमानस सहित आसपास के


मौदहा (हमीरपुर)

नगर पालिका परिषद मौदहा द्वारा यहां के बडे चौराहे से लेकर छिमौली तिराहा व रेलवे स्टेशन तक सड़कों के किनारे इंटरलॉकिंग कार्य कराया जाना था, जो कि आज तक जांच की आंच से प्रभावित पड़े हुए हैं। इन कार्यों के एक माह से बन्द पडे होने यहाँ की जनमानस सहित आसपास के गांवों के आने जाने वाले हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार लोग इस समस्या पर कतई ध्यान नहीं दे रहे हैं,

जिससे कि कस्बे वासियों में आक्रोश बना हुआ है वहीं व्यापारियों का व्यापार भी प्रभावित हो रहा है तथा इतने दिनों यह कार्य बन्द होने से जिला प्रशासन पर तरह तरह के प्रश्न चिन्ह उठ रहे हैं।अवगत कराना है कि मौदहा नगर पालिका ने कस्बे की सड़कों के सुंदरीकरण एवं यहाँ पर हो रहे अवैध कब्जों को रोकने के लिए यहाँ की प्रमुख सड़कों बड़ा चौराहा से कपसा मार्ग एवं स्टेशन मार्ग में इंटरलॉकिंग का कार्य शुरू कराया था,

इस कार्य को चौदहवें वित्त से कराने के लिए नगरपालिका ने बाकायदा टेंडरिंग प्रक्रिया कर ठेकेदारों को कार्य करने की जिम्मेदारी सौंपी थी और इस कार्य को पूरा करने के लिए 31 दिसंबर तक की समयावधि भी सुनिश्चित की थी लेकिन इसके बावजूद यह काम.अभी तक पूरा नहीं किया गया है ठेकेदारों ने सड़क के दोनों ओर खुदाई करा दी है साथ ही लाखों रुपए का मैटेरियल भी डाल दिया है सड़क के दोनों ओर हुई खुदाई एवं जगह जगह पड़े मैटेरियल के कारण राहगीरों को निकलना चलना मुश्किल हो रहा है,

गड्ढों में गिरकर आये दिन लोग घायल हो रहे हैं, इन सभी के बावजूद आज भी यह कार्य पूरा नहीं हो सका है। इस बारे में नगरपालिका के जिम्मेदार तथा यहाँ के ठेकेदारों का कहना है कि जिला प्रशासन ने यह कार्य बंद करा दिया है जिसके कारण से अभी तक कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन ने इस कार्य में गुणवत्ता की कमी के कारण से काम में रोक लगा रखी है और इसी के चलते लगातार दो तीन बार जांच टीम ने इस पूरे काम की जांच भी की है। लेकिन जांच की आंच कब तक सुलगती रहेगी यह बात कस्बे वासियों के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है लोगों का मानना है कि जांच के नाम पर आखिर यह काम कब तक अधूरा पड़ा रहेगा और कब तक लोगों को दुर्घटना का शिकार होना पड़ेगा।

कस्बे वासियों की माने तो चौदहवें वित्त से ही इसी तरह के कार्य जनपद की अन्य नगरपालिका एवं नगरपंचायत में कराये गये हैं।जोकि लगभग समाप्ति की ओर हैं तथा कई जगह समाप्त भी हो चुके हैं। मौदहा कस्बे में इन कार्यों की दो तीन बार जांच कराने के बाद भी अभी तक कार्य को शुरू न कराया जाना तमाम तरह के सवालिया निशान लगाता है। क्या जनपद में सबसे घटिया कार्य मौदहा नगरपालिका द्वारा ही कराया जा रहा है और यदि कराया जा रहा है तो जांच टीम अपनी रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं करती है।इतना ही नहीं जिस प्रकार से मौदहा नगरपालिका के कार्यों के दो दो बार सैंपल भरकर जांच का काम हो रहा है क्या जनपद की अन्य नगरपालिका एवं नगरपंचायत में भी जिला प्रशासन द्वारा यही प्रक्रिया अपनाई गई है ।

इस प्रकार के तमाम सवाल मौदहा की जनता जनार्दन के द्वारा खड़े किए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि यदि जिला प्रशासन को नगरपालिका के कार्यों पर घटिया सामग्री एवं गुणवत्ता की कमी की शिकायत है तो अपने सक्षम अधिकारियों की टीम को कस्बे की प्रत्येक साईट पर लगाकर सामने कार्य कराये और गुणवत्ता पूर्ण कार्य के साथ ही मौदहा वासियों सहित क्षेत्र के हजारों लोगों को समस्या से निजात दिलाने का काम करे। ताकि सड़क किनारे हुई खुदाई में गिरकर दुर्घटना का शिकार होने से लोगों को बचाया जा सके। वहीं इस बारे जांच टीम के अध्यक्ष बनाये गये उपजिलाधिकारी अजीत परेश से पूंछा गया तो उन्होने कहा की यह कार्य चौदहवें वित्त का है जिसके जिम्मेदार जिलाधिकारी होते हैं उनके संज्ञान में यह कार्य नहीं लिया गया,

कार्य की जांच जिलाधिकारी के आदेश पर हो रही है जांच के बाद यह सभी कार्य निरस्त कर पुनः टेण्डर प्रकिया द्वारा कराये जायेगें व गड्ढों को नगर पालिका द्वारा भरवा दिया जायेगा।नगरवासी उमाशंकर गुप्ता का कहना है कि वह आटा चक्की लगा अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं, परन्तु सड़क की पटरी खुद जाने से उनके व्यापार में बहुत फर्क पड़ा है महिलायें व बुजुर्ग इस खुदी पड़ी पटरी में गेहूं की बोरी सहित गिर रहे हैं। जिसके कारण उनके यहां लेग आटा पिसवाने नहीं आ रहे हैं। यदि ऐसा ही रहा तो परिवार के भरण पोषण की समस्या हो जायेगी।

इसे जल्द से जल्द पूरा कराया जाये जिससे उनका व्यापार पुनः सुचारू रूप से चल सके।नगरवासी ब्रजेश गुप्ता का कहना है कि पटरी खुद जाने से लोगों का निकलना तो दूभर ही है वहीं हमारे घरों के छोटे छोटे बच्चों को कोचिंग स्कूल जाने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है कई बार वह फिसल कर गड्ढे में गिर कर चोटिल तक हो गये हैं। नगरवासी डॉ प्रकाश गुप्ता का कहना है कि उनका आंखों का अस्पताल है जिसमें अधिकांश वृद्ध मरीजों का ही आना होता है जो कि इस खुदी हुयी पटरी ने निकल नहीं पा रहे है और गिर कर घायल हो जाते हैं।

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