जनपदवासियों की आस्था का प्रतीक है बाबा गोदावलेश्वर धाम

जनपदवासियों की आस्था का प्रतीक है बाबा गोदावलेश्वर धाम

उन्नाव। नगर पंचायत बीघापुर स्थित बाबा गोदावलेश्वर धाम सदियों से आस्था व विश्वास का प्रतीक बना हुआ है। बाबा गोदावलेश्वर धाम के प्रति नगरवासियों में ही नहीं आस-पास के दूरस्थ गाँवों व पास-पड़ोस के जनपदो के लोगों में अटूट श्रद्धा एवं आस्था है। सावन के महीने में प्रतिदिन प्रातः से ही दर्शनार्थियो का तांता लग

उन्नाव। नगर पंचायत बीघापुर स्थित बाबा गोदावलेश्वर धाम सदियों से आस्था व विश्वास का प्रतीक बना हुआ है। बाबा गोदावलेश्वर धाम के प्रति नगरवासियों में ही नहीं आस-पास के दूरस्थ गाँवों व पास-पड़ोस के जनपदो के लोगों में अटूट श्रद्धा एवं आस्था है। सावन के महीने में प्रतिदिन प्रातः से ही दर्शनार्थियो का तांता लग जाता है वैसे तो साल के बारहों महीने हजारो श्रद्धालु हर दिन पहुंचते है लेकिन सावन के महीने व शिवरात्रि के अवसर पर लोगो में विशेष उत्साह रहता है। शिवरात्रि के अवसर पर परंपरागत रूप से लगने वाले मेले में इस वर्ष भी 3 रात्रि व दिवसीय संस्कृतिक साहित्यिक कार्यक्रम होंगे। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए मेला कमेटी के अध्यक्ष सुधीर बाजपेई व प्रबंधक दिनेश चन्द्र शुक्ल ने संयुक्त रूप से बताया कि 21 फरवरी को शिवरात्रि को परम्परागत रूप से निकलने वाली विशाल शिवशोभा यात्रा पूरे नगर का भ्रमण करेगी। वहीं मंदिर परिसर में आल्हा भी होगा। शिवशोभा यात्रा का शुभारम्भ भाजपा के वरिष्ठ नेता संजय शुक्ल करेंगे। 22 फरवरी शनिवार को दिन में सूचना एवं जनसंपर्क लखनऊ द्वारा संस्कृतिक कार्यक्रम, 23 तारीख रविवार को दिन में शिव तांडव, फूलो की होली आदि कार्यक्रम का प्रस्तुतिकरण किया जायेगा। वही रात्रि में तीनो दिन कानपुर के कलाकारों द्वारा संस्कृतिक कार्यक्रम एवं लोकनृत्य प्रस्तुत किया जायेगा।

जनपदवासियों की आस्था का प्रतीक है बाबा गोदावलेश्वर धाम


कैसे पहुंचे
नगर पंचायत के पूर्व दिशा में गोदावरी के तट पर स्थित बाबा के धाम पहुंचने के लिए उन्नाव कानपुर रायबरेली लखनऊ की ओर से आने वाले लोग बस से बीघापुर बस स्टाप उतरकर नगर पंचायत के अन्दर लगभग 1 किमी सड़क मार्ग से मंदिर पहुंच सकते है वहीं इलाहाबाद, रायबरेली, कानपुर की ट्रेने भी बीघापुर रेलवे स्टेशन पहुंचती है। जिला उन्नाव मुख्यालय से दूरी लगभग 30 किमी है।
इतिहास
नगर पंचायत स्थित बाबा गोदावलेश्वर धाम की स्थापना घुमन्तू जाति के बंजारो द्वारा संवत् 986 में कराई गयी। मुख्य मंदिर गोदावरी तालाब की मिट्टी से बना है। मंदिर का गर्भगृह 10 फुट ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर के गर्भगृह में स्थित शिवलिंग आकार द्वादश ज्योतिर्लिगांे में सुमार महाराष्ट्र स्थित घृष्णेश्वर शिवलिंग की तरह है। मंदिर की बनावट बौद्धकालीन बनने वाले मठो की तरह है। गर्भगृह में प्रवेश करने के लिए अत्यंत छोटा प्रवेश द्वार है। जनश्रुतियो के अनुसार साहित्य साधक रहे बीघापुर के आदि कवि पं0 कालीदीन बाजपेयी, पं0 सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला, सिद्धनाथ शुक्ल सिद्धजू, लालजी जैसे महान कवियो ने बाबा के दरबार में बैठकर अपनी साहित्य को दिशा दी।
विशेषता
मन्दिर की बनावट इस प्रकार से है कि हर महीने में सूर्योदय की पहली किरण सीधे शिवलिंग पर पड़ती है। मन्दिर में आने वाले भक्त बाबा गोदावलेश्वर के आगे जो भी मनोकामना रखते है उन्हंे बाबा का आर्शीवाद प्राप्त होता है।
प्रचलित मान्यताएं
नगर पंचायत के व्यापारी व सैकड़ो परिवार प्रतिदिन सुबह बाबा की परिक्रमा व दर्शन करने के बाद ही अपनी दिनचर्चा प्रारम्भ करते हैं। चारो ओर वृक्षो से घिरा मंदिर व उसके आसपास बने लगभग आधा दर्जन मंदिर धाम की शोभा में चार चांद लगाये हैं। जनश्रुतियो के अनुसार शिवलिंग प्रातः पूजित मिलता है तथा मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलने के कारण लोगो में कौतूहल का विषय है। प्रातःकाल जब सूर्य की किरणें शिवलिंग पर पड़ती है तो इसका रंग भूरा नजर आता है दोपहर में सुनहरा नीला और सायंकाल काला दिखाई पड़ता है। मंदिर के बारे में अनेको चमत्कारिक घटनाएं लोगो के बीच में चर्चा का विषय बनी रहती हैं। बाबा गोदावलेश्वर धाम की 12 ज्योतिर्लिगों की भांति मान्यता है।

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