उर्दू शिक्षक भर्ती प्रकरण: हाईकोर्ट व प्रशासन पर भारी बीएसए

उर्दू शिक्षक भर्ती प्रकरण: हाईकोर्ट व प्रशासन पर भारी बीएसए

उच्च न्यायालय में से भी खारिज याजिका नहीं की कार्यवाही शिक्षा निदेशक को पूर्व में पत्राचार के द्वारा कर चुके गुमराह ललितपुर। शिक्षा विभाग में उर्दू शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर जितना शिक्षा विभाग कार्यवाही से बच रहा है। वह उतना ही दलदल में फंस रहा है। विभाग द्वारा अपर जिलाधिकारी के आदेश पर उर्दू

उच्च न्यायालय में से भी खारिज याजिका नहीं की कार्यवाही

शिक्षा निदेशक को पूर्व में पत्राचार के द्वारा कर चुके गुमराह

ललितपुर।

शिक्षा विभाग में उर्दू शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर जितना शिक्षा विभाग कार्यवाही से बच रहा है। वह उतना ही दलदल में फंस रहा है। विभाग द्वारा अपर जिलाधिकारी के आदेश पर उर्दू शिक्षका को सेवा मुक्त नहीं किया गया। साथ ही विभागीय अधिकारियोंं ने न्यायालय के शरण लेने के लिए उन्हें समय दे दिया। साथ ही विभाग द्वारा 2015 में तीन सदस्यी जाँच कमेटी की रिर्पोट भी सौंप दी।

जिसका परिणाम यह हुआ कि उच्च न्यायालय ने उक्त शिक्षका हबीबा बानों की याचिका न सिर्फ खारिज की, बल्कि अपर जिलाधिकारी जाँच में शिक्षका को दोषी पाये जाने के बाद विभागीय तीन सदस्यी कमेटी के खिलाफ कार्यवाही करने सम्बन्ध में जबाब माँग लिया है। हालाँकि इस पर विभाग द्वारा उच्च न्यायालय की अवमानना करते हुये, कोई जबाब कोर्ट में नहीं भेजा है। बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों के बाद उच्च न्यायालय के आदेशों का भी पालन नहीं किया है। बतातें चलें कि शासन के द्वारा वर्ष 1995 में उर्दू भर्ती के आदेश जारी किया गया। शासन द्वारा 124 शिक्षकों की भर्ती का आदेश जारी किया गया।

जबकि तत्कालीन डाइट प्राचार्य ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर अवगत कराया कि जनपद में उर्दू शिक्षत आवेदकों की संख्या कम है। इसके बाद जिलाधिकारी के आदेश पर जनपदस्तर पर 58 पद अनुमोदन किया गया। 5 अगस्त 1995 को विज्ञप्ति जारी किया गया। साथ ही 20 अगस्त 1995 को आवेदन लेने की अन्तिम तिथि निर्धारित की गयी। 10 सितम्बर से भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ की गयी। शासनादेशानुसार 30 सितम्बर को प्रक्रिया पूर्ण की जानी थी। नियत तिथि तक 46 शिक्षकों की नियुक्ति की गयी। जिसमें दो शिक्षक आरक्षित वर्ग के शामिल रहे। बाकि बचे पदों को आरक्षित वर्ग के बताते हुये सुरक्षित रखने की बात कही गयी।

इसके बाद वर्ष 1996 को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 6 शिक्षकों की भर्ती की गयी। इसके बाद 12 आवेदकों ने न्याय के लिए न्यायालय की शरण ली। न्यायालय ने उक्त शिक्षकों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के आदेश दिये। इसके बाद तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शासन को पत्र जारी किया कि चूँकि भर्ती प्रक्रिया को एक वर्ष से अधिक समय हो चुका है, इसलिए अब इन्हें बिना किसी नयी भर्ती के शासनादेश के बगैर शामिल नहीं जा सकता है। शिक्षा विभाग का खेल यही समाप्त नहीं हुआ। मार्च 1997 में शिक्षा विभाग ने 6 उर्दू शिक्षकों भर्ती कर लिया। साथ ही विभिन्न शिकायतों पर शासन को गुमराह करते रहे। जब आवेदकों ने सूचना के अधिकार के तहत शिक्षा विभाग से मार्च 1997 में भर्ती के सम्बन्ध में शासनादेश की माँग की गयी तो वह ऐसा कोई आदेश नहीं दे पाये।

साथ ही वर्ष 1997 में भर्ती शिक्षकों में कई तो ऐसे थे, जिन्होंने वर्ष 1996 में इण्टर उर्दू से उत्र्तीण की, इसलिए पूर्व की भर्ती प्रक्रिया में उनका शामिल होना सिद्ध नहीं होता है। इसकी शिकायत जब जिला प्रशासन से की गयी, तो जिलाधिकारी द्वारा जाँच टीम गठित की गयी। अपर जिलाधिकारी ने विगत 27 मई को जिलाधिकारी को सौंपी जाँच रिपोर्ट में स्पष्ट किया, कि उर्दू शिक्षक के रूप में भर्ती शिक्षका हबीबा बानों ने भर्ती के दौरान अपने द्वारा फर्जी पिछड़ी जाति का प्रमाणपत्र लगाया है। हालाँकि उसकी भर्ती सामान्य क्षेणी की मैरिट के आधार हुई थी। जाँच के दौरान शिक्षका ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि उसके द्वारा भर्ती के दौरान फर्जी पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया। जाँच रिपोर्ट में फर्जी प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के आरोप की पुष्टि होने के कारण शिक्षका की नियुक्ति रद्द करते हुये,

उसके खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही संस्तुती की गयी। जिलाधिकारी ने अपर जिलाधिकारी जाँच रिपोर्ट पर बेसिक शिक्षा अधिकारी के एक लिए आदेशित किया। लेकिन जिलाधिकारी आदेशों के बावजूद भी बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा देाषी शिक्षका के खिलाफ कोई कार्यवाही अमल में नहीं लायी गयी। साथ ही शिक्षका को पूर्व में विभाग द्वारा खण्ड शिक्षा अधिकार मड़ावरा ब्रजेश सिंह, खण्ड शिक्षा अधिकारी बार संतोष कुमार वर्मा व उप बेसिक शिक्षा अधिकारी नत्थू लाल शर्मा से वर्ष 2015 में जाँच करायी थी,

तीन सदस्यी कमेटी ने 10 अगस्त 2015 को सौंपी गयी, रिर्पोट में उर्दू शिक्षका हबीबा बानों को उक्त प्रकरण में क्लीन चीट दी थी, इसी रिपोर्ट के आधार हबीबा बानों ने न्यायालय की शरण ली, लेकिन यह दाँव उनका उस समय खाली गया, जब उच्च न्यायालय ने न सिर्फ हबीबा बानों की याचिका को खारिज किया, बल्कि उन्हें तीन सदस्यी कमेटी के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश जारी कर दिये। हालाँकि शिक्षा विभाग द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही अमल में नहीं लायी गयी है। 

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