किसानों का क्या होगा?

किसानों का क्या होगा?

ब्यूरो रिपोर्ट -जयदीप शुक्ला गोण्डा-बारिश और ओलावृष्टि ने पिछले 109 साल का रिकार्ड तोड़ दिया ओलावृष्टि इतनी अधिक थी कि गेहूं की फसल चौपट हो गई है। यह जलवायु परिवर्तन का छोटा सा असर है, जिसका सीधा असर खेती पर पड़ रहा है। बदले मौसम के रुख से फसल की पैदावार के साथ-साथ उत्पादन पर

ब्यूरो रिपोर्ट -जयदीप शुक्ला

गोण्डा-
बारिश और ओलावृष्टि ने पिछले 109 साल का रिकार्ड तोड़ दिया ओलावृष्टि इतनी अधिक थी कि गेहूं की फसल चौपट हो गई है। यह जलवायु परिवर्तन का छोटा सा असर है, जिसका सीधा असर खेती पर पड़ रहा है। बदले मौसम के रुख से फसल की पैदावार के साथ-साथ उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है।

पिछले दिनों जारी भारत सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन के चलते आने वाले वर्षों में गेहूं, धान, सरसों समेत कई फसलों की पैदावार में कमी आ सकती है। सबसे ज्यादा असर रबी सीजन की फसलों पर दिख सकता है, इससे गेहूं का उत्पादन 2050 तक 23 फीसदी तक कम हो सकता है। पिछले कुछ वर्षों में सर्दियों में होने वाली बारिश लगातार कम हुई है, जबकि असमय मौसम का रुख बदलने की घटनाएं बढ़ी हैं।
“भारत में जलवायु परिवर्तन का असर इसलिए ज्यादा दिख रहा है क्योंकि हमारे यहां 52 फीसदी कृषि योग्य जमीन बारिश पर निर्भर है। जब बारिश कम होगी तो उत्पादन प्रभावित होगा ही। खुद सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2016 में सूखे के दौरान 30-35 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे,” जलवायु परिर्वतन से दुनिया में ऐसे बदलाव आ रहे हैं जो भविष्य में तबाही ला सकते हैं।

जैसे हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर का पिघलना, समुद्र के जलस्तर का बढ़ना और उसके पानी का तापमान बढ़ना। इन बदलावों से आबोहवा में भयानक बदलाव के लक्षण दिख रहे हैं। बहुत वक्त में ज्यादा बारिश होना, बाढ़ का आना, लंबे वक्त तक सूखा, चक्रवाती तूफान इसके दिखने वाले लक्षण हैं। देश में आज भी 50 फीसदी लोग कृषि पर निर्भर हैं और ग्रामीण इलाकों में ये आंकड़ा 70 फीसदी तक पहुंचता है।

देश में 80 फीसदी से ज्यादा छोटे और सीमांत किसान हैं। जो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। और समस्या ये है कि भारत ऐसे संकट से निपटने को तैयार नहीं है। किसानों का क्या होगा?

अगर हम वाकई में खेती को जलवायु के माफिक और बुद्धिमान बनाना चाहते हैं तो कृषि पारिस्थितिकी ही इसका सही समाधान है | इस रास्ते पर चलकर पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन और किसान, सभी समृद्ध होंगे।

सौरभ उपाध्याय
किसान विचारक

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