जनपद में आईजीआरएस व पीजी पोर्टल शिकायतों के निस्तारण की काली सच्चाई , आरोपी खुद कर रहे अपनी जाँच व खुद को दे रहे क्लीन चिट

अपने ऊपर लगे आरोपों की खुद जांच कर ले रहे एडी बेसिक व बीएसए बस्तीजब आरोपी ही बने जांच अधिकारी तो पीड़ितों को कैसे मिलेगा न्याय पीजी व सीएम पोर्टल पर उलूल - जुलूल रिपोर्ट प्रेषित कर रहे एडी बेसिक व बीएसए

जनपद में आईजीआरएस व पीजी पोर्टल शिकायतों के निस्तारण की काली सच्चाई , आरोपी खुद कर रहे अपनी जाँच व खुद को दे रहे क्लीन चिट

बस्ती। बस्ती जिले में लोगों को त्वरित व सस्ता न्याय दिलाने की मंशा से बनी शिकायत निवारण प्रणाली आईजीआरएस व पीजी पोर्टल की जिले के कुछ अधिकारी इस कदर छीछालेदर मचाए हुए है कि अपने ऊपर लगे आरोपों की जाँच स्वयं करके स्वयं ही क्लीन चिट भी प्राप्त कर ले रहे हैं और फरियादी दर बदर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं । बात यहीं पर समाप्त नहीं हो जाती आगे और भी कारनामें इन भ्रष्ट अधिकारियों के अभी शेष हैं क्योंकि ये भ्रष्टाचारी इन्हीं फर्जी रिपोर्टों के आधार पर निस्तारण की प्रादेशिक रैंगिंग भी प्राप्त कर लेते हैं और नसमझ जिम्मेदार रिपोर्टों का बिना वास्तविक परीक्षण किए इन भ्रष्टाचारियों की पीठ भी थप - थपा देते हैं ।
 
आगे जाने कहानी की जमीनी हकीकत । एडी बेसिक / संयुक्त शिक्षा निदेशक बस्ती मंडल बस्ती व बेसिक शिक्षा अधिकारी बस्ती अपने ऊपर लगे आरोपों की खुद जांच करके पीजी पोर्टल व आईजीआरएस पर उलूल जुलूल रिपोर्ट लगाते हैं अर्थात् IGRS की शिकायतों पर उल्टी सीधी रिपोर्ट लगाकर उच्च अधिकारियों को गुमराह करने में एडी बेसिक व बीएसए को महारत हासिल है। इनके द्वारा पीजी पोर्टल व मुख्यमंत्री पोर्टल पर अपलोड किये गये रिपार्ट को लेकर चारो ओर विभाग की किरकिरी हो रही है कि भ्रष्टाचार मामले में आरोपित अधिकारी जब खुद अपने ऊपर लगे आरोपों की जांच करेंगे तो पीड़ितों को कैसे न्याय मिलेगा ? प्रकरण बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात वरिष्ठ सहायक संतोष गुप्ता से जुड़ा हुआ है ।
 
वरिष्ठ सहायक संतोष गुप्ता की नियुक्त / तैनाती व कारगुजारियों से विभाग की जो फजीहत हो रही है उससे बेसिक शिक्षा अधिकारी व एडी बेसिक अन्जान नहीं हैं परन्तु जुबान व कलम इसलिए नहीं चल पाती है क्योंकि मामला माल से जुड़ा है । जिस बेसिक शिक्षा विभाग ने 18 साल की मात्र उम्र होते ही संतोष गुप्ता को नियुक्ति प्रदान कर दिया था कभी सपने में भी नहीं सोचा रहा होगा कि संतोष गुप्ता के कारण कभी विभाग की इतनी फजीहत होगी । सोचने वाली बात तब और आ जाती है कि जब उत्कोच लेते रंगे हाथ वरिष्ठ सहायक संतोष गुप्ता धराए व जेल गए उसके बाद भी शिक्षा विभाग के जनपदीय जिम्मेदार बेसिक शिक्षा अधिकारी अपनी जाँच रिपोर्ट में संतोष के कसीदें गढ़ते नहीं थक रहे हैं । पूरी रिपोर्ट में वास्तविकता को छिपाना व भ्रष्टाचार के आरोपी की कसीदें गढ़ना जिम्मेदार अधिकारी की भ्रष्टाचार में संलिप्तता का परिचायक है ।

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