जेमिमा रोड्रिग्स- आस्था के आँसू और बौद्धिक कुप्रचार का खेल

जेमिमा रोड्रिग्स- आस्था के आँसू और बौद्धिक कुप्रचार का खेल

देश इस समय ख़ुमारी में है। महिला क्रिकेट का विश्व कप जीत कर जहाँ एक ओर देशवासी जीत के जश्न में हैं वहीं दूसरी तरफ एक खिलाड़ी की आड़ में कुप्रचार के एक ऐसे खेल से जूझ रहे हैं जो हमारी सामाजिकता और खेल भावना के लिए बेहद घातक है। इस कुप्रचार की शुरुआत हुई वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भारत की जीत के बाद बल्लेबाज जेमिमा रोड्रिग्स के भावुक उद्बोधन से।

सेमीफाइनल में 127 रन की शानदार नाबाद पारी के लिए जेमिमा को ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ चुना गया। इसके पुरस्कार वितरण समारोह में जेमिमा ने जीसस के प्रति भावपूर्ण आभार व्यक्त किया, फिर आंसुओं से भीगे उद्बोधन में बाइबिल में लिखी चंद पंक्तियां उद्धृत करते हुए अपनी पारी को चिंता से उबरने का ‘चमत्कार’ बताया। इसके तुरंत बाद शुरू हो गया सोशल मीडिया पर भारत के कथित सेक्युलर वामपंथी बुद्धिजीवियों का हिंदुत्व के खिलाफ कुप्रचार का खेल।

जेमिमा का वक्तव्य उनकी आस्था की व्यक्तिगत अभिव्यक्ति थी, लेकिन भारत के कथित प्रगतिशील, सेक्युलर वामपंथी बुद्धिजीवियों ने इसे तुरंत एक राजनीतिक हथियार बना लिया। वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ‘एक्स’ पर लिखा: "दक्षिणपंथियों ने जेमिमा और उनके परिवार को उनकी धार्मिक आस्था के लिए ट्रोल किया है। उम्मीद है कि कुछ लोग आज शर्म से गड्ढे में सिर छिपा लें।" हिंदी की लेखिका मधु कांकरिया ने फेसबुक पर पोस्ट की- “विजय के इस क्षण के पीछे उसकी (जेमिमा) वेदना का मार्मिक इतिहास छिपा है। इसे उसकी धार्मिक मान्यताओं और पहचान को लेकर उसकी निजता पर हमला बोला गया।

कट्टरपंथियों द्वारा ट्रोल किया गया।” सच यह है कि राजदीप सरदेसाई की छवि साफ तौर पर एक एजेंडवादी पत्रकार की रही है। इसी छवि के कारण वे कई बार विवादों में भी रह चुके हैं। उधर, यह भी पहली बार नहीं है जब औसत दर्जे की लेखिका मधु कांकरिया ने इस प्रकार का नैरेशन गढ़ा हो। अगस्त 2024 में बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद जब अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय पर बेहद हिंसक अत्याचार हो रहे थे, महिलाओं से बलात्कार, घरों में लूटपाट, मंदिरों में तोड़फोड़ जैसी हिंसक वारदातों की ख़बरें अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बन रही थीं, उस भीषण दौर में भी मधु कांकरिया ने “बांग्लादेश में मामूली तनाव है।” जैसी संवेदनहीन टिप्पणी कर मुस्लिम कट्टरपंथियों की हिंसा से ध्यान भटकाने का प्रयास किया था। उनकी यह टिप्पणी भी काफी विवादस्पद रही थी लेकिन कथित प्रगतिशील वामपंथी उनके पक्ष में आ गए।

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जेमिमा वाले प्रसंग में भी ‘उसकी धार्मिक मान्यताओं और पहचान को लेकर उसकी निजता पर हमला’ जैसी मिथ्या टिप्पणी भी उसी मानसिकता का परिचय है। ऐसे ही माहौल में अपने आप को जाति और धर्म से निरपेक्ष कहने वाले डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म प्रोड्यूसर आनंद पटवर्द्धन ने भारत की जीत का श्रेय पूरी टीम की बजाए सिर्फ़ ‘ईसाई और सिक्ख’ खिलाड़ियों को दे दिया तो राजस्थानी के एक वरिष्ठ कवि मालचंद तिवाड़ी ने जेमिमा की प्रतिभा की बजाए उसके मज़हब को प्रमुखता देते हुए “एक ईसाई भारतीय बेटी को सैल्यूट” ठोक डाला। माकपा की पूर्व सांसद सरला माहेश्वरी ने तो आनन-फानन में जेमिमा पर ‘कविता’ लिख डाली। ये उदाहरण उनकी उस दोहरी मानसिकता के हैं जो समाज के किसी व्यक्ति की  योग्यता-प्रतिभा-विशेषज्ञता से ऊपर उसकी जाति समुदाय और धर्म, मज़हब को रखते हैं।

जेमिमा के शतकीय पारी की सफलता का श्रेय जीसस और बाइबिल को देने को प्रगतिशील कवि-लेखक और स्वयंभू बुद्धिजीवी वर्ग ने  हिंदुत्ववादी ताकतों के खिलाफ एक नैरेटिव बना दिया। वे इसे ‘एक ईसाई लड़की का जज्बा हिंदुत्व के खिलाफ’ और जेमिमा की पारी को ‘ईसाई हिम्मत’ का प्रतीक बताने लगे, जबकि वास्तविकता यह है कि जेमिमा का संबंध खेल से है और वो एक खिलाड़ी है।

उनकी सफलता उनकी प्रतिभा, टीमवर्क और व्यक्तिगत आस्था का परिणाम थी, न कि कोई मज़हबी मसला, लेकिन किसी भी अल्पसंख्यक (मुस्लिम या ईसाई) से जुड़े मुद्दे को तुरंत मज़हबी रंग देकर हिंदू धर्म, हिंदुत्व और दक्षिणपंथी ताकतों के खिलाफ कुप्रचार शुरू कर देना भारत के कथित सेक्युलर वामपंथी धड़े की पुरानी पहचान रही है। तथ्यों से देखें तो जेमिमा ने स्वयं कभी ट्रोलिंग या हिंदू, हिंदुत्व या दक्षिणपंथ की बात नहीं की, लेकिन वामपंथी धड़ों ने नैरेटिव थोप दिया। इसके लिए वे दो घटनाओं को मिथ्याधार बनाते हैं। एक जेमिमा का 'मिरेकल हीलिंग' वाला इंटरव्यू और दूसरी जिमखाना से सदस्यता रद्द करने की।

जुलाई 2023 में, पॉडकास्टर रणवीर अल्लाहबादिया के शो ‘द रणवीर शो’ में जेमिमा ने अपनी कई 'मिरेकल हीलिंग' की  घटनाओं का जिक्र किया, जैसे: क्रिकेट के दौरान लगी चोटें,जो प्रार्थना और विश्वास से जल्दी ठीक हो गईं। दूसरी है खार जिमखाना की। अक्टूबर 2024 में मुंबई के ऐतिहासिक खार जिमखाना ने जेमिमा की मानद सदस्यता रद्द कर दी थी। यह कार्रवाई जेमिमा के पिता इवान रोड्रिग्स द्वारा क्लब में अनाधिकृत धार्मिक सभाएं करने के कारण हुई थी। आरोप था कि इवान रोड्रिग्स ने ‘ब्रदर मैनुअल मिनिस्ट्रीज’ के तहत लगभग 18 महीनों में 35 धार्मिक सभाएं आयोजित की थीं, जो क्लब के नियमों का उल्लंघन था। सदस्यों ने शिकायत की कि हॉल में ट्रांस म्यूजिक, अंधेरा कमरा और प्रचारात्मक सत्र हो रहे थे, जो धर्मांतरण (कन्वर्जन) जैसा लग रहा था।

क्लब के अध्यक्ष विवेक देवनानी ने कहा कि सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर उनकी सदस्यता रद्द की थी। निश्चित ही यह कोई ‘हिंदुत्ववादी साजिश’ नहीं, बल्कि एक सेक्युलर क्लब का नियमों का पालन था। फिर भी, वामपंथी बुद्धिजीवियों ने इसे ‘ईसाई उत्पीड़न’ का मामला बना दिया। उनका पैटर्न साफ है- तथ्य नजरअंदाज, लिजलिजी भावनात्मक अपील, और अंत में हिंदू और हिंदुत्व को खलनायक बनाना। जेमिमा की प्रतिभा, उनके मज़हब की आड़ लेकर हिंदुत्व के ख़िलाफ़ कुप्रचार का कुचक्र का उनका यह खेल भी उन्हीं में से एक है।

हरीश शिवनानी

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