अमेरिका- भारत में 10 साल का डिफेंस एग्रीमेंट: US नई टेक्नोलॉजी शेयर करेगा

अमेरिका- भारत में 10 साल का डिफेंस एग्रीमेंट: US नई टेक्नोलॉजी शेयर करेगा

International Desk 

भारत और अमेरिका ने शुक्रवार को एक नया 10 साल का रक्षा (डिफेंस फ्रेमवर्क एग्रीमेंट) समझौता किया है। इसका मतलब है कि आने वाले 10 सालों तक दोनों देश मिलकर अपनी सेनाओं, रक्षा उद्योग और तकनीकी सहयोग को और मजबूत करेंगे। इसके तहत अमेरिका, भारत से एडवांस टेक्नोलॉजी शेयर करेगा, जिससे एडवांस ड्रोन और AI हथियारों पर जॉइंट रिसर्च में मदद मिलेगी। यह समझौता 31 अक्टूबर को कुआलालंपुर (मलेशिया) में हुआ, जहां दोनों देश ASEAN रक्षा मंत्रियों की बैठक (ADMM-Plus) में शामिल थे। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने इस समझौते पर दस्तखत किए।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस समझौते से 4 बड़े फायदे होंगे।

  • सैन्य सहयोग बढ़ेगा- दोनों देशों की सेनाएं मिलकर ट्रेनिंग और सेनाभ्यास करेंगी।
  • जॉइंट प्रोडक्शन- यानी दोनों देश मिलकर हथियार, रक्षा उपकरण और नई तकनीक बनाएंगे।
  • टेक्नोलॉजी साझाकरण- अमेरिका भारत को अपनी कुछ एडवांस डिफेंस टेक्नोलॉजी शेयर करेगा।
  • सूचना और खुफिया जानकारी साझा- दोनों देशों की एजेंसियां एक-दूसरे से सुरक्षा जानकारियां साझा करेंगी।

हमारी साझेदारी मजबूत होगी बोले- अमेरिकी रक्षामंत्री 

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अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने X पर लिखा- मैंने राजनाथ सिंह के साथ 10 साल का अमेरिका-भारत रक्षा समझौता साइन किया है। यह हमारी साझेदारी को और मजबूत करेगा। दोनों देशों के बीच समन्वय, जानकारी साझा करने और तकनीकी सहयोग का नया दौर शुरू हो रहा है।

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समझौता साइन होने के बाद हेगसेथ ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को शुक्रिया कहा। उन्होंने बताया कि यह रिश्ता दुनिया के सबसे अहम रिश्तों में से एक है। दोनों देश एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं और इंडो-पेसिफिक इलाके में सुरक्षा व खुशहाली चाहते हैं।

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राजनाथ सिंह ने कहा कि यह बैठक आसियान देशों और भारत के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करेगी। इससे भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को भी बल मिलेगा।

ट्रेड डील दोनों देश पर बात कर रहे

यह समझौता ऐसे वक्त पर हुआ है, जब दोनों देश के अधिकारी ट्रेड डील पर बातचीत कर रहे हैं। अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने की वजह से भारत पर 50% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया है।कॉमर्स मंत्री पीयूष गोयल साफ कह चुके हैं कि भारत कोई व्यापार समझौता जल्दी-जल्दी में नहीं साइन करेगा। हम किसी की ऐसी शर्त नहीं मानेंगे जो हमारे व्यापार को रोकती हो। उन्होंने कहा कि व्यापार सिर्फ टैरिफ का खेल नहीं है। यह विश्वास और लंबे रिश्ते का मामला है। फिर भी गोयल ने बताया कि दोनों देशों की टीमें मिलकर काम कर रही हैं। जल्द ही एक अच्छा और निष्पक्ष समझौता होने की उम्मीद है।

अमेरिकी विदेशमंत्री से हाल में जयशंकर ने बात की थी

कुछ दिन पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर भी कुआलालंपुर में थे। उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो से मुलाकात की। दोनों ने भारत-अमेरिका संबंधों और दुनिया के बड़े मुद्दों पर बात की।

तब ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में जयशंकर ने कहा था कि ऊर्जा व्यापार पर दबाव बढ़ रहा है, बाजार में गड़बड़ी आ रही है। सिद्धांत चुनिंदा तरीके से लागू किए जा रहे हैं।

क्या मिलेगा अमेरिका को?

वहीं अमेरिका के लिए भी ये डील किसी खजाने से कम नहीं है. भारत जैसे बड़े बाजार से उसे अरबों डॉलर के रक्षा सौदे मिल रहे हैं. 2008 से अब तक भारत ने अमेरिका से 24 बिलियन डॉलर के हथियार खरीदे हैं, और नई डील्स के साथ ये आंकड़ा और बढ़ेगा. इससे अमेरिका की रक्षा कंपनियों जैसे बोइंग, लॉकहीड मार्टिन और जनरल एटॉमिक्स को बड़ा फायदा होगा।इसके अलावा, भारत के साथ रक्षा सहयोग से अमेरिका को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक मजबूत साझेदार मिलेगा. चीन के खिलाफ रणनीतिक संतुलन बनाने में भारत अमेरिका का बड़ा सहयोगी साबित हो सकता है. साथ ही, भारत के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और संयुक्त उत्पादन से अमेरिकी कंपनियों को भारत में बिजनेस बढ़ाने का मौका मिलेगा।

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