सोनभद्र खैरटिया में ध्वस्त सड़क को लेकर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, प्रधान सहित कंपनियों पर लगाए गंभीर आरोप

खस्ताहाल सड़क प्रदूषण व फ्लोराइड युक्त पानी से स्थानीय लोग हलकान

सोनभद्र खैरटिया में ध्वस्त सड़क को लेकर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, प्रधान सहित कंपनियों पर  लगाए गंभीर आरोप

चोपन विकास खण्ड के खैरटिया गाँव का मामला

अजित सिंह (ब्यूरो रिपोर्ट) 

सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश-

1 जून, रविवार – सोनभद्र जिले के खैरटिया गांव में आज ओम चौराहे से प्राइमरी स्कूल खैरटिया के आगे नदी तक पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी मुख्य सड़क की मरम्मत की मांग को लेकर एक बड़ा और उग्र विरोध प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व ग्राम सेवा समिति के अध्यक्ष शिवदत्त दुबे ने किया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं और स्थानीय प्रशासन, प्रधान तथा क्षेत्र में कार्यरत बड़ी कंपनियों के प्रति अपना आक्रोश व्यक्त किया। 

शिवदत्त दुबे ने बताया कि खैरटिया गांव की आबादी लगभग 20,000 है और यह सड़क गांव का एकमात्र मुख्य मार्ग है, जिससे होकर लगभग पूरी आबादी गुजरती है। उन्होंने सीधे तौर पर ग्राम प्रधान पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधान खैरटिया का ही निवासी होने के बावजूद गांव के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। दुबे ने तंज कसते हुए कहा, जब प्रधान ही कोई विकास नहीं कर पा रहा है तो आम लोगों की बातें छोड़िए।

उन्होंने यह भी बताया कि पास के बिल्ली मारकुंडी ग्राम प्रधान के तहत आने वाले क्षेत्रों में भी पानी की गंभीर समस्या है, जहां लोग पानी के लिए जूझ रहे हैं, लेकिन प्रधान हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान प्रतिनिधि को अक्सर ओबरा नगर पंचायत के प्रतिनिधियों के आसपास भटकते हुए देखा जा सकता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनका ध्यान ग्राम विकास पर नहीं है।ग्रामीणों ने बताया कि ओम चौराहे से नदी तक का यह हिस्सा पूरी तरह से टूट चुका है और पैदल चलने या वाहन चलाने लायक नहीं बचा है।

सड़क के निर्माण के लिए कई बार शासन को सूचना दी गई है, लेकिन अधिकारियों द्वारा केवल आश्वासन ही दिया जाता है और ज़मीन पर कोई भी कार्य नहीं होता।स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस बदहाल सड़क पर चलकर लोग आए दिन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। स्कूल के समय तो बच्चे पैदल भी स्कूल जाने में असमर्थ हो जाते हैं, क्योंकि जगह-जगह गहरे गड्ढे बन गए हैं।

मोटरसाइकिल और साइकिल से चलने वाले राहगीर लगातार हादसों का शिकार हो रहे हैं, जिससे ग्रामीण बेहद भयभीत और परेशान हैं।प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर भी गहरा रोष व्यक्त किया कि खैरटिया से मात्र 2 किलोमीटर दूर ओबरा 'सी' और कुछ ही दूरी पर अल्ट्राटेक और एसीसी जैसी बड़ी सीमेंट कंपनियां होने के बावजूद यहां की सड़कों और नालियों की दुर्दशा देखते ही बनती है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) और DMF (जिला खनिज फाउंडेशन) फंड होने के बावजूद इन कंपनियों द्वारा स्थानीय क्षेत्र के विकास और बुनियादी सुविधाओं के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है।

स्थानीय लोगों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि वे इन फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण को झेलने और फ्लोराइड युक्त पानी पीने के लिए विवश हैं। इतनी बड़ी कंपनियों के होने के बावजूद भी सड़कों की यह खस्ताहालत और किसी भी प्रकार की सुविधा का न मिलना दर्शाता है कि कागजों पर तो खानापूर्ति की जाती है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर जनता के लिए कोई काम नहीं होता।ग्राम सेवा समिति के अध्यक्ष शिवदत्त दुबे ने ग्रामीणों की ओर से जोर देकर कहा कि यदि अति शीघ्र ओम चौराहे से लेकर नदी तक की सड़क की मरम्मत और निर्माण नहीं किया गया तो सारे खैरटिया वासी एक बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

इस प्रदर्शन में मुख्य रूप से विकास पासवान, संतोष प्रजापति, फूलचंद यादव, रामसूरत भारती, बेचन भारती, सुशील केसरी, महेंद्र केसरी, लीलावती देवी, अमरावती, कलावती, मुन्नी केसरी, चमेली देवी, मालती देवी, हिरण, फागुनी देवी, सुलेखा देवी, छोटू भारती, बनवारी चेरो और तमाम सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे, जिन्होंने एक स्वर में अपनी मांगों को दोहराया। अब यह देखना होगा कि इस जोरदार प्रदर्शन के बाद स्थानीय प्रशासन और संबंधित कंपनियां इस गंभीर समस्या पर क्या कदम उठाती हैं।

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