सोनभद्र खनन क्षेत्र की करोड़ों की सड़कें चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, जिला खनिज निधि फाउंडेशन पर उठे गंभीर सवाल
स्थानीय लोगों ने लगाया संबंधित विभाग पर भ्रष्टाचार का आरोप, उठी जाँच की मांग
सड़के गड्ढों में तब्दील, लोगों का चलना हुआ दुश्वार
अजीत सिंह (ब्यूरो रिपोर्ट)
सम्मिलित, सोनभद्र के वन्य क्षेत्र में जिला खनिज निधि फाउंडेशन (डीएमएफ) द्वारा करोड़ों की लागत से निर्मित उद्यमों के स्वामित्व वाले निर्माण और सरकारी धन के मिश्रण को शामिल किया गया है।

कई तटीय इलाकों में प्लास्टिक के सामान बनाने और स्थानीय लोगों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से जिला खनिज निधि फाउंडेशन द्वारा इन स्कूलों का निर्माण किया गया था। इन लॉजिस्टिक पर करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन जमीनी हकीकत इन आंकड़ों के विपरीत है। जिन उद्योगों को सुविधा का प्रतीक बनाया गया था, वे अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं।
तेज़ बारिश में ही ये सड़क जलमग्न समुद्र तट में बदल जाती है, पैदल यात्रा भी डूब जाती है। कई फुटपाथों की हालत इतनी खराब है कि उन्हें झाड़ियों में बदल दिया जाता है। निर्माण में उपयोग की गई सामग्री की घटिया गुणवत्ता और तकनीकी मानक की समग्रता अदृश्य रूप से दिखाई दे रही है। ऐसा होता है कि सड़क निर्माण में मिट्टी और निम्न स्तर की सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिसके कारण बारिश के पानी को आसानी से बहा ले जाया जा रहा है।
इसमें यह बताया गया है कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर किस हद तक सहमति बनी है। स्थानीय निवासियों का सीधे तौर पर आरोप है कि कई कंपनियों में सड़क निर्माण का काम अधूरा रहने के कारण किसानों और संबंधित अधिकारियों ने पूरा पैसा खर्च कर लिया है। नाम न छापने की शर्त पर एक ग्रामीण ने बताया, "उम्मीद थी कि हमारी जिंदगी से इन घरों में जाना थोड़ा आसान होगा, लेकिन ये तो और मुश्किल हो गए। काम पूरा भी नहीं हुआ और लग रहा है कि पैसा पूरा निकल गया।"
यह स्थिति झील में भारी भीड़भाड़ वाली संपत्ति की ओर इशारा करती है, जहां सरकारी धन का खनन किया जा रहा है। इस मामले को लेकर पूरे स्थानीय लोगों और सामाजिक उद्देश्यों में भारी रोष है। उनका कहना है कि खनन क्षेत्र की इमारतों में एक बड़ा घोटाला हुआ है, जिसमें धांधली में बड़े पैमाने पर खुदाई की गई है। उन्होंने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। लोगों का कहना है कि जब तक तानाशाहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक ताकतवर इलाकों में ऐसे सामान जारी होते हैं। इस गंभीर मुद्दे पर स्थानीय आदिवासियों की शैलियां पर भी सवाल उठ रहे हैं।
लोगों का कहना है कि इस मामले को प्राथमिकता से लेना चाहिए और जनता के पैसे को नुकसान पहुंचाना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि जांच के बाद दोषी अधिकारियों और आयोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए और अपनी जनता के हितों की रक्षा की जाए। यह मामला जिला निधि फाउंडेशन के तहत चल रही समितियों में समितियों और अंशों की कमी को शामिल किया जाए। अब देखिए कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और स्टॉक में क्या हासिल करता है।

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