पिपरी नगर पंचायत में भ्रष्टाचार के आरोप, निविदा प्रक्रिया पर सवाल

मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल बना मजाक, लोगों ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

पिपरी नगर पंचायत में भ्रष्टाचार के आरोप, निविदा प्रक्रिया पर सवाल

भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति ध्वस्त, संबंधित नगर पंचायत के अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेश को दिखा रहे हैं ठेंगा

अजीत सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट) 

रेनूकूट/सोनभद्र-

पिपरी नगर पंचायत के अधिशाषी अधिकारी भोला नाथ सिंह कुशवाह पर आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज कुछ शिकायतों के निस्तारण में अनियमितता बरतने का आरोप लगा है। शिकायतकर्ता द्वारा बिंदुवार निस्तारण हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया था, जिसके जवाब को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।शिकायत में सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित करते हुए पिपरी नगर पंचायत में व्याप्त भ्रष्टाचार और टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं का मुद्दा उठाया गया है।

पत्र में आरोप लगाया गया है कि अधिशाषी अधिकारी और अन्य जिम्मेदार लोग बिना किसी लीगल टीम से जांच कराए और निविदाकर्ता द्वारा लगाए गए अनुभव प्रमाण पत्र समेत कई दस्तावेजों की पड़ताल किए बिना अपने चहेतों को टेंडर दे रहे हैं।शिकायत में मुख्य रूप से आदर्श कुमार शाही नामक व्यक्ति की एक पार्टनरशिप फर्म 'यूपी. इलेक्ट्रिक एंड सिविल कंस्ट्रक्शन' को दिए गए टेंडर पर सवाल उठाए गए हैं।

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शिकायतकर्ता ने निम्नलिखित अनुभव प्रमाण पत्र की वैधता: आदर्श कुमार शाही 28 अगस्त 2020 को फर्म में पार्टनर बने, जबकि उनके द्वारा प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पत्र 2017 का है। शिकायतकर्ता का कहना है कि भविष्य में बने पार्टनर को भूतकाल के अनुभव का लाभ कैसे दिया जा सकता है। उन्होंने मांग की है कि अधिशाषी अधिकारी फर्म के पुराने पार्टनरशिप डीड की जांच कराएं और लीगल टीम से इसकी समीक्षा कराएं।

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शिकायतकर्ता की अपनी साझेदारी फर्म 2006 से चल रही थी, लेकिन एक साझेदार की मृत्यु के बाद 2020 में नए साझेदार बनाए गए। शिकायतकर्ता का तर्क है कि एक साझेदार की मृत्यु के बाद पुरानी फर्म स्वतः ही समाप्त हो जाती है, और यदि नए साझेदारों को शामिल कर फर्म को चलाया जा रहा है, तो इसके लिए 2006 में बने बाइलॉज की लीगल टीम द्वारा जांच होनी चाहिए। आदर्श कुमार शाही द्वारा छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल में विगत 10 वर्षों से ठेकेदारी करने और ए क्लास वेंडर कोड प्राप्त होने का हवाला दिया गया है। शिकायतकर्ता का मानना है कि इस अनुभव का लाभ आदर्श शाही को 28 अगस्त 2020 के बाद हुए कार्यों के लिए ही मिलना चाहिए, न कि उससे पहले के कार्यों के लिए। इसकी भी जांच की मांग की गई है।शिकायत में कहा गया है कि आदर्श कुमार शाही ने 7 सितंबर 2022 को एक सिस्टर कंसर्न कंपनी के नाम पर अलग से दस्तावेज निष्पादित किया है।

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शिकायतकर्ता का तर्क है कि नए जीएसटी नंबर के लिए सिस्टर कंपनी बनाना सामान्य है, लेकिन इसका लाभ पार्टनरशिप डीड में उल्लिखित नियमों के आधार पर ही मिलना चाहिए, जिसकी लीगल टीम द्वारा जांच आवश्यक है।शिकायतकर्ता ने नगर पंचायत पिपरी में ई-निविदा पत्रांक क्रमांक 130/न.पा.पी/2023-24 के तहत लाट संख्या 8 के कार्य 'यूपी. इलेक्ट्रिक एंड सिविल कंस्ट्रक्शन' द्वारा किए जाने पर भी सवाल उठाया है। उनका कहना है कि आदर्श शाही उक्त पार्टनर फर्म का लाभ ले सकते हैं या नहीं, यह लीगल टीम और अन्य जांचों के बाद ही साबित हो सकता है।

शिकायतकर्ता का आरोप है कि अधिशाषी अधिकारी ने इन सभी आपत्तियों पर केवल 2017 का अनुभव प्रमाण पत्र देकर आख्या लगा दी, जबकि आदर्श शाही का उस फर्म के लाभ लेने का कोई अधिकार साबित नहीं होता है। इस मामले ने पिपरी नगर पंचायत की निविदा प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और भ्रष्टाचार के आरोपों को हवा दी है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री कार्यालय इस शिकायत पर क्या कार्रवाई करता है।

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