तथ्यों में अंतर को नहीं किया जा सकता नजरअंदाज, चुनाव याचिका पर कोर्ट का बड़ा फैसला।
न्यायालय ने जिला निर्वाचन अधिकारी/जिला मजिस्ट्रेट को जारी निर्देश में कहा गया है कि वह वार्ड संख्या 9 नगर पंचायत ओबरा के मतों की पुनर्मतगणना के लिए एक रिटर्निंग अधिकारी नामित करें।
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सोनभद्र -
ओबरा नगर पंचायत के एक वार्ड को लेकर दाखिल याचिका पर जिला न्यायालय का बड़ा फैसला सामने आया है। यहां भाजपा से उम्मीदवार रहे व्यक्ति की तरफ से परिणाम को न्यायालय में चुनौती दी गई और पुनर्मतगणना का आदेश दिए जाने की याचना की गई थी।
Read More 8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, 8वें वेतन आयोग को लेकर आया ये अपडेट अतिरिक्त जिला जज आबिद शमीम की अदालत ने मामले की सुनवाई की और सुनवाई के दौरान सामने आए गंभीर तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए डीएम को 15 दिन के भीतर संबंधित वार्ड के चुनाव में पड़े मतों की पुनर्गणना कराने का आदेश पारित किया। सुनवाई की अगली तारीख से पहले, गणना के परिणाम को सीलबंद लिफाफे में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।तीसरी आंख की निगरानी में कराई जाएगी पुनर्गणना, जानिए और..क्या-क्या दिए गए निर्देश?
Read More FasTag Annual Pass: वाहन चालकों के लिए खुशखबरी, अब बिना रुकावट साल भर करें 200 टोल क्रॉसिंग- न्यायालय ने जिला निर्वाचन अधिकारी/जिला मजिस्ट्रेट को जारी निर्देश में कहा गया है कि वह वार्ड संख्या 9, नगर पंचायत ओबरा, के मतों की पुनर्मतगणना के लिए एक रिटर्निंग अधिकारी नामित करें। मतों की पुनर्मतगणना एक तिथि निर्धारित करते हुए,चुनाव याचिकाकर्ता के साथ निर्वाचित उम्मीदवार को, गणना से पूर्व उचित माध्यम से सूचना उपलब्ध कराएं। पुनर्मतगणना के लिए निर्धारित किए गए स्थल और समय दोनों की जानकारीयाचिकाकर्ता और निर्वाचित उम्मीदवार को समय से उपलब्ध करानी होगी।पुनर्मतगणना की पूरी प्रक्रिया, मतपेटियों के खुलने से लेकर उन्हें पुनः सील करने तक, की वीडियोग्राफी कराई जाएगी।
- पुनर्मतगणना का पूरा खर्च याचिकाकर्ता वहन करेगा और पुनर्मतगणना कार्य आदेश पारित होने के 15 दिन के भीतर सुनिश्चित कराना होगा। गणना का परिणाम अगली निर्धारित तिथि से पहले सीलबंद लिफाफे में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। तीन मार्च 2025 को प्रकरण की अगली सुनवाई की जाएगी। इससे पहले पुनर्गणना की प्रक्रिया संपन्न कराने के साथ ही उसका परिणाम जिला निर्वाचन अधिकारी के जरिए प्रस्तुत कर देना होगा।
*भाजपा के उम्मीदवार ने दाखिल की थी याचिका:* वार्ड नौ से भाजपा के उम्मीदवार रहे मनीष कुमार ने राकेश कुमार के निर्वाचन को चुनौती देते हुए, गणना पर सवाल उठाए गए थे। याचिका में दावा किया गया था कि दोनों उम्मीदवारों को बराबर-बरामद मत दिखाकर टॉस कराते हुए, राकेश को विजेता घोषित कर दिया। जबकि मतगणना के पश्चात 52 मत निरस्त बताए गए। उसके पक्ष में डाले गए मतों को गलत तरीके से अवैध घोषित किया गया। यदि अवैध मतों की पुनर्गणना की जाती तो उसकी जीत सुनिश्चित थी। भाग संख्या 25, 26 की दोबारा गणना बार-बार अनुरोध पर न भी कराए जाने की बात कही गई
सुनवाई के दौरान सामने आए इस तरह के तथ्य
न्यायालय ने मामले का परीक्षण किया कि तो पाया कि निर्वाचित उम्मीदवार राकेश कुमार ने यह स्वीकार किया है कि उन्हें 256 मत प्राप्त हुए और याचिकाकर्ता को 255 मत प्राप्त हुए। यह भी स्वीकार किया है कि पुनर्गणना में याचिकाकर्ता और विपक्षी संख्या एक को बराबर मत प्राप्त हुए। वहीं, विपक्षी संख्या 6 द्वारा दायर लिखित कथन में ऐसी कोई स्वीकारोक्ति नही पाई गई। निर्वाचित उम्मीदवार और और जिला निर्वाचन अधिकारी के कथनों को भी अस्वीकार कर दिया।इन तथ्यों ने गणना की पारदर्शिता को बनाया संदिग्ध:
न्यायालय ने माना कि यह विचित्र बात है कि बूथ सं. 23 की पुनर्मतगणना की मांग याचिकाकर्ता ने की और विपक्षी पक्ष संख्या एक ने इसे स्वीकार भी किया, लेकिन निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़े विकास चौधरी ने अपनी जिरह में और विपक्षी पक्ष संख्या छह ने अपने लिखित कथन में इसे अस्वीकार कर दिया। न्यायालय ने माना चुनाव याचिका सभी दृष्टियों से पूर्ण है और उसमें तथ्यों का खुलासा किया गया है। सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा यह माना गया है कि तथ्य तथा तथ्यों में अंतर है और दोनों के बीच अंतर को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इसको दृष्टिगत रखते हुए पुनर्मतगणना का आदेश दिया गया।

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