संजीव-नी।

संजीव-नी।

प्रकृति,पर्यावरण पर कविताl

प्रकृति की लीला कितनी न्यारी
हम सबको लगती कितनी प्यारी बहती नदिया कितनी न्यारी
जल, नदिया और लताएं प्यारी
इन की रक्षा करना जिम्मेदारी हमारीl

भालू ,हिरण और बंदर कितने मासूम प्यारे.
हम सबके करीबी दोस्त सब ये न्यारे,
हम सब करेंगे जंगल की रक्षा
तब होगी इन सब की सुरक्षाl

दूध सी बहती नदिया की धार
पुकार रही है हमें बार-बार,
दूषित करके हे मानव
तुमने हमें किया कितना लाचार.
हमसे तुम करो प्यार दुलार,
तुम्हें देंगे शुद्ध जल का उपहारl

बारिश की बूंदे भी देखो
सबके मन को भाती है,
करती हरा भरा धरती को
हमें नवजीवन दे जाती हैंl

धरती हमसे करे पुकार,
मत करो प्रकृति पर अत्याचार,
मां हूं मैं तेरी कोई गैर नहीं
अमूल्य जीवन हूं तेरा कुछ और नहींl


आओ अब लेते हैं इस बात की शपथ
हम सब करेंगे धरती जल और वन की सुरक्षा.
तब जाकर होगी मानव जीवन की रक्षाl
जल ,पर्यावरण ,वनों की सुरक्षा सारी,
आज से हम सबकी होगी जिम्मेदारी।

जय हिंद, जय भारत,
संजीव ठाकुर,

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel