hindi kavita sangrah
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Read More... संजीव-नी|
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By Swatantra Prabhat Desk
आज मेरे दिल का क्या हाल है। आज न जाने मेरे दिल क्या हाल है, सुर है न ताल है हाल मेरा बेहाल है। आंखों से क्या जरा ओझल हुए तुम, जिन्दगी की हर चाल ही बेचाल है। सोते जागते... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat UP
ईश्वर सब तेरी मेहरबानीl वह दूसरों की खुशहाली से परेशान है, दुनिया की चमक धमक से हैरान हैl खुद ने कभी ईमान का पसीना बहाया नहीं, बिना श्रम के कोई नहीं बना धन वान हैl धन की लिप्सा चाहत किसे... संजीवनी
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By Swatantra Prabhat UP
मां आंचल की छांव.पिता कर्मयोगी lपिता प्रयोग धर्मी होतें हैं,और माँ की ममता भावुक।।पिता सिर्फ समझते हैं,कर्म और धर्म की बोली,माँ दिल की धड़कने । माँ समझती हैं बेटे का हाल,बेटे के अरमानों... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat UP
परछाइयों में तेरी रंग मिलाता हूं,तेरे एहसासों के संग बहा जाता हूं। तेरा एहसास बडा इंद्रधनुषी जानम,,तेरे ख्यालो में भिखर बिखर जाता हूँ।।तेरे सांसों की खुशबू से इतर,कोई और महक नहीं सह पाता हूं ।.न... संजीव-नी। जीने का कोई तरीका आसान तो दे दे ।
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By Swatantra Prabhat UP
जीने का कोई तरीका आसान तो दे दे ।हे ईश्वर जमीं नही दी,आसमान तो दे,थोड़ा सा जीने का अदद सामान तो दे।बहुत की अभिलाषा,लिप्सा,आकांक्षा नहीं,जीने का कोई तरीका आसान तो दे ।रोज खाली हाथ लौटता... संजीव-नी।
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By Office Desk Lucknow
जिंदगी भी एक ख्वाब की तरह ही तो है ,मन कहता रिश्ता दुनियादारों से बनाए रखना,दिल कहता ताल्लुक फकीरों से बनाए रखनाlलोग सफलता को पचा नहीं पाते है ।बस दूरी तुम अमीरों से बनाए रखनाlबहुत... संजीव-नी।। तेरे मायके जाने के बाद।
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By Office Desk Lucknow
तेरे मायके जाने के बाद।तेरे मायके जाने के बाद,पूरा घर एक कोने मेंसिमट के रह गया है,सीढीया ऊपर जाने वालीऊपर नहीं जाती,नीचे आने वाली,नीचे नहीं आती,यूं तो बिस्तर डबल बेड का है,... संजीव-नी। आकाश की अनंत ऊंचाई दो l
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नी। आकाश की अनंत ऊंचाई दो l इनकी छोटी-छोटी हथेलियों में, पूरे ब्रह्मांड को समा जाने दो, संपूर्ण संभावना के साथ पैदा हुआ नवजात, एक नन्हा पंछी तो है। आंखों में भविष्य के सपने जल की निश्छलता, सूरज की किरणों... 