वरुण गांधी पर निर्णय में देरी क्यों ?

वरुण गांधी पर निर्णय में देरी क्यों ?

स्वतंत्र प्रभात 
वरुण गांधी भारतीय जनता पार्टी के लिए गले की हड्डी बने हुए हैं जो न तो पार्टी से बाहर किए जा रहे हैं और न ही पीलीभीत से उनके टिकट के नाम की चर्चा हो पा रही है। लेकिन सूत्रों की मानें तो वरुण गांधी का टिकट इस बार कटना तय है। एक समय वरुण गांधी भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेता और स्टार प्रचारक माने जाते थे लेकिन पिछले काफी समय से वह अपनी ही भारतीय जनता पार्टी पर फायर करने लगे थे। वरुण गांधी का टिकट कटना यह सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है।
 
इस बात पर भी अभी विराम लगा हुआ है कि वरुण गांधी को यदि भारतीय जनता पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वह कांग्रेस या समाजवादी पार्टी में शामिल होकर चुनाव लड़ेंगे। हालांकि अभी पीलीभीत में भारतीय जनता पार्टी के साथ साथ समाजवादी पार्टी ने भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। लेकिन वरुण गांधी के प्रतिनिधि ने प्लान बी तैयार करने के लिए चार सैट नामिनेशन पेपर मंगा लिये हैं। मतलब वरुण को भी उम्मीद है कि भारतीय जनता पार्टी इस बार उनका टिकट काट सकती है।
 
2019 के लोकसभा चुनाव में वरुण तीसरी बार जीत हासिल कर सांसद बने थे लेकिन इस बार न तो वरुण को और न ही उनकी मां मेनका गांधी को मंत्रीमंडल में शामिल नहीं किया गया था। इस वजह से वरुण पूरे कार्यकाल में अपनी पार्टी को ही कटघरे में घेरते नजर आए। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने उनपर कोई एक्शन नहीं लिया। एक साफ्ट कार्नर वरुण के लिए बना रहा।
 
वरुण गांधी भी पूरे कार्यकाल में भारतीय जनता पार्टी पर हावी रहे। महंगाई, बेरोजगारी, अग्निवीर जैसे तमाम मुद्दों पर वह अपनी हर सभा में भारतीय जनता पार्टी को घेरते रहे। हालांकि ऐसा वो नेता ही करता है जो किसी दूसरी पार्टी में जाना चहता है लेकिन न तो वरुण गांधी ने भारतीय जनता पार्टी को छोड़ा और न ही भारतीय जनता पार्टी ने उनको निकाला इधर अंतिम समय में जब चुनाव की घोषणा को कुछ ही समय बचा था तब वरुण का अचानक भाजपा प्रेम बढ़ने लगा और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कई ट्वीट को रिट्वीट भी किया और आलोचना से भी दूर रहने लगे लेकिन अब तक समय निकाल चुका था। वरुण को जो तीर छोड़ने थे वो छोड़ चुके थे। लेकिन मेनका गांधी भारतीय जनता पार्टी के लिए साफ्ट ही बनी रहीं। सूत्र यह भी बताते हैं कि मेनका गांधी ने ही वरुण को भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बोलने से रोका था। हालांकि टीस तो मेनका गांधी के मन में भी थी क्योंकि इस बार उनको मंत्रीमंडल में शामिल नहीं किया गया था।
 
इधर कुछ चर्चाएं चलीं थीं कि यदि भारतीय जनता पार्टी ने वरुण गांधी को टिकट नहीं दिया तो वरुण कांग्रेस या समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। हालांकि सोनिया गांधी और मेनका गांधी में कभी बनी नहीं है और संजय गांधी की असमय मृत्यु के बाद तो रिश्तों में कफी कड़वाहट पैदा हो गई थी। लेकिन एक बात बीच में थी जो वरुण गांधी को कांग्रेस की तरफ खींच सकती थी और वह थी। वरुण गांधी का अपनी चचेरी बहन के साथ मधुर संबंध। इतनी कड़वाहट के बावजूद भी वरुण गांधी और प्रियंका गांधी के रिश्ते बहन भाई के रिश्ते बने रहे।
 
वरुण आज भी बहिन प्रियंका को काफी मानते हैं और उनसे हमदर्दी रखते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं दिखाई दे रहा है कि वरुण कांग्रेस में शामिल होंगे। हालांकि समझौते के मुताबिक पीलीभीत सीट समाजवादी पार्टी के पास है। और समाजवादी पार्टी ने अभी पीलीभीत से अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। पत्रकारों ने जब अखिलेश यादव से यह जानना चाहा क्या वरुण गांधी समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे तो उन्होंने कहा कि यदि वह हमारे साथ आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। लेकिन अब खबरें ऐसी आ रही हैं कि यदि भारतीय जनता पार्टी उनको टिकट नहीं देगी तो वह निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में ही पीलीभीत से चुनाव लड़ेंगे।‌ 
 
संजय गांधी की मृत्यु के बाद मेनका ने अपनी अलग पार्टी गठित की थी राष्ट्रीय संजय विचार मंच, लेकिन बाद में मेनका भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं थीं, हो सकता है कि यदि भाजपा वरुण को टिकट नहीं देती है तो वरुण उस संजय विचार मंच को फिर से पुनर्जीवित करें। क्यों कि उनके लिए किसी पार्टी में शामिल होने से अच्छा होगा। कि संजय विचार मंच को फिर से खड़ा कर किसी ऐसे दल से गठबंधन किया जाए जिसका प्रदेश में जनाधार ठीक ठाक हो।
 
यदि भारतीय जनता पार्टी उन्हें टिकट नहीं देती है और यदि वरुण निर्दलीय चुनाव लड़कर चुनाव जीतते हैं तो इस बात की संभावना और अधिक हो सकती है कि वह संजय विचार मंच को उठाकर और ताकत प्रदान करें और प्रदेश में अपना जनाधार और बढ़ाएं। इस पर मंथन अवश्य हुआ होगा। मेनका और वरुण अब राजनीति के पुराने खिलाड़ी बन चुके हैं और वह अच्छा बुरा सभ समझते हैं। और इसीलिए वह भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ खुलकर सामने आए। अब गेंद भारतीय जनता पार्टी के पाले में है और देखना है कि भारतीय जनता पार्टी वरुण गांधी को टिकट देती है या नहीं। वरुण गांधी की प्लानिंग तभी तैयार होगी जब भारतीय जनता पार्टी पीलीभीत से अपना प्रत्याशी घोषित कर देगी। 
 
राजनीति में कब क्या घटित हो जाए कुछ भी कहा नहीं जा सकता, इसमें वर्षों के दुश्मनों को एक होते और टूटते देखा गया है। यहां केवल अवसर देखा जाता है। उस अवसर पर क्या उनके हित में है नेताओं का ध्यान उस ओर ज्यादा रहता है। इसीलिए इस हवा को ज्यादा रुख दे दिया गया था कि वह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। अब देखना है कि आने वाले कुछ समय में राजनीति किस करवट बैठती है। क्या भाजपा वरुण गांधी को टिकट देगी या काटेगी, टिकट कटने के बाद वरुण गांधी किसी दल में शामिल होंगे या निर्दलीय उम्मीदवार होंगे और का एक बार फिर से संजय विचार मंच अस्तित्व में आएगा।
 
जितेन्द्र सिंह पत्रकार 

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel