उत्तर प्रदेश में पेपर लीक कांड

आखिर   इस लीकेज को कौन रोकेगा ?

उत्तर प्रदेश में पेपर लीक कांड

स्वतंत्र प्रभात 
आप सरकार को एक इंजिन से चलाएं या दो इंजिनों से ,उनमने इतनी इतनी ताकत नहीं है कि  वे भ्र्ष्टाचार,बेईमानी को रोक सके ।  उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार भी इसका अपवाद नहीं है ।  उत्तर प्रदेश में तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न-पत्रों की गोपनीयता का उजागर होना इसका ज्वलंत उदाहरण है ।  हाल की पुलिस भर्ती प्रतियोगिता के प्रश्न-पत्रों की गोपनीयता ने तो अब तक के पिछले सभी मामलों को पीछे छोड़ दिया है। अब खुद सरकार संदेह के दायरे में है। अब सवाल ये है कि  जो सरकार प्रश्न -पत्रों की गोपनीयता को नहीं बचा सकती ,वो सरकार क़ानून और व्यवस्था के साथ ही महिलाओं की इज्जत-आबरू की सुरक्षा आखिर कैसे कर पाएगी ?


अयोध्या में राम मंदिर बनाना और सरयू के तट पर असंख्य दीपक जलाकर कीर्तिमान बनाना शायद आसान है लेकिन किसी प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्न -पत्रों की गोपनीयता बचाना उससे भी ज्यादा कठिन काम है। पुलिस और प्रशासन की तमाम मुस्तैदी के बाद भी प्रश्न-पत्रों की गोपनीयता का हरण करने वाले अपना काम कर गुजरते हैं। आखिर में होता क्या है ,केवल परीक्षा निरस्त होती है और कोई भी गिरोह पकड़ में नहीं आता । आ भी जाये तो उसे ऐसी सजा नहीं मिल पाती जो भविष्य के लिए नजीर बन पाए ,और प्रश्न पत्रों की गोपनीयता को भंग करने से रोक पाए। हाल की पुलिस भर्ती परीक्षा के प्रश्न पत्रों की गपनीयता के मामले में भले ही सरकार ने 391  लोगों की धर- पकड़ की है ,लेकिन इससे उन लाखों लोगों के साथ न्याय तो नहीं हो सकता जिनकी उम्मीदों पर पानी  फिर गया है।


आपको याद होगा कि पुलिस में सिपाही के 60 हजार से अधिक पदों के लिए 17 व 18 फरवरी को राज्‍य के सभी 75 जिलों में परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें करीब 48 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे।  पुलिस भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र कथित तौर पर लीक होने के विरोध में प्रतियोगी छात्रों ने प्रदर्शन किया था, जिसके बाद यह पेपर रद्द कर दिया गया। में की बात ये है की प्रश्नपत्रों की गोपनीयता भंग करने का ये संगठित अपराध उन राज्यों में ज्यादा होता है जहाँ डबल इंजिन की सरकारें हैं।
प्रश्न-पत्रों की गोपनीयता बनाये रखने कि लिए उन्हें सरकार कि सबसे बदनाम पुलिस थानों में रखा जाता है ।

 लेकिन मजे की बात ये है कि  इन बदनाम थानों से आजतक किसी प्रश्नपत्र की गोपनीयता भंग नहीं हुई । प्रशासन कि लोग इसमें शामिल नहीं होते ।  प्रश्नपत्रों की गोपनीयता भंग करने वाले दूसरे लोग ही होते हैं। ये केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं होते ।  ये हर प्रदेश में होते है।  मध्यप्रदेश ,राजस्थान ,बिहार   सब जगह पाए जाते है।  पिछले साल राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव कि समय खुद प्रधानमंत्री जी ने राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं की गोपनीयता कि मामले को चुनावी मुद्दा बनाया था ,लेकिन अब उत्तर प्रदेश में इसी मामले को लेकर वे गुड़ खाकर बैठे हैं। उनकी मजबूरी है। उत्तर प्रदेश में उनकी अपनीपार्टी की सरकार जो है।


प्रश्न पत्रों की गोपनीयता से प्रश्न पत्र लीक करने वालों कि साथ सरकार को भी फायदा होता है। यानि अपराधी और सरकार एक ही नाव में सवार होते है।  प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित करने से सरकार को तगड़ी फीस मिलती है और प्रश्न पत्र लीक होने कि बाद परीक्षाएं निरस्त करने से सरकार नौकरी देने कि झंझट से भी बच जाती है। लीक करने वाले अपनी कमाई करने कि बाद चम्पत हो जाए हैं। इस काले कारोबार में शामिल चम्पत रायों को पकड़ना आसान काम है लेकिन कोई जब करे तब। लोग पकडे भी जाते हैं और छोड़ भी दिए जाते है।  उन्हें उम्रकैद या फांसी की सजा नहीं होती। जो सजा होती है उससे कोई इस अपराध से तौबा करने कि लिए तैयार नहीं होता। उत्तर प्रदेश  से पहले प्रश्नपत्रों की गोपनीयता और दूसरे तरह की जालसाजी कि लिए मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार सुर्ख़ियों में रहती था।

 बहुचर्चित व्यापम घोटाला इस देश को अबतक याद होगा। लेकिन न कभी कोई मुख्यमंत्री बदला गया ,न शिक्षा मंत्री, न कोई पुलिस महानिरीक्षक हटाया गया। इसीलिए ये धंधा आज भी बदस्तूर चल रहा है। केंद्र सरकार ने हाल ही में परीक्षाओं में नकल रोकने कि लिए एक सख्त क़ानून बनाया है जबकि जरूरत प्रतियोगी परीक्षाओं कि साथ ही सभी परीक्षाओं कि प्रश्न पत्रों की गोपनीयता भंग करने वालों कि खिलाफ कड़ी सजा देने कि कानून बनाने की थी। बहरहाल उत्तरप्रदेश की योगी सरकार अपना काम कर रही है। सरकार फिर से रिक्त पदों को विज्ञापित करेगी। फिर से परीक्षाएं आयोजित  करेगी। सरकार जिस परीक्षा को निरस्त किया गया है उसके सभी आवेदकों को परीक्षा शुल्क में छूट देने की उदारता शायद ही दिखाए ।  या निरस्त परीक्षा को बिना नए आवेदन लिए दोबारा आयोजित करे ।  क्योंकि ऐसा करना घाटे का सौदा है। घाटे का सौदा कोई भी सरकार करना नहीं चाहती। भले ही मुद्दा नौजवानों कि भविष्य से जुड़ा क्यों न हो !


प्रश्नपत्र लीक करना ही अकेला अपराध नहीं है ।  इसके साथ ही मुन्ना भाइयों का भी धंधा जुड़ा होता है ।  ये मुन्ना भाई है स्कूल की परीक्षाओं  से लेकर मेडिकल की परीक्षाओं और हर स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं कि लिए उपलब्ध होते हैं। इनका अपना गिरोह होता है ।  ये हर स्तर पर जालसाजी करने में सिद्धहस्त  माने जाते हैं। आधुनिक तकनीक का सहारा लेते है।  लेकिन इनकी मदद अंततोगत्वा सरकारी मशीनरी ही करती है ।  उत्तर प्रदेश में भी,मध्यप्रदेश में भी और बिहार में भी।  यानि ये एक देशव्यापी समस्या है और इससे इसी तरह से निबटा जाना चाहिए। फिलहाल पेपर लिक कांड लोकसभा चुनाव कि हो-हल्ले में डूबने जा रहा है ।  इस मामले  कि आरोपियों की धर-पकड़ भी बंद हो जाएगी और उनके खिलाफ मजबूत अभियोजन की तैयारी भी बंद कर दी जाएगी।  लोकसभा चुनाव कि बाद देखते हैं की किसी को इसकी याद आती भी है या नहीं ?
@ राकेश अचल

About The Author

Post Comment

Comment List

अंतर्राष्ट्रीय

ट्रम्प पर चलने वाली कान को छू कर निकली चीज गोली ही थी या फिर? ये क्या नई थ्योरी दे दी- FBI निदेशक ट्रम्प पर चलने वाली कान को छू कर निकली चीज गोली ही थी या फिर? ये क्या नई थ्योरी दे दी- FBI निदेशक
Internation Desk  पेंसिल्वेनिया में एक रैली के दौरान पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक शूटर के निशाने पर थे। लेकिन इससे...

Online Channel

साहित्य ज्योतिष

राहु 
संजीव-नी।
संजीव-नी।
संजीवनी।
दैनिक राशिफल 15.07.2024