भारतीय कूटनीति के समक्ष पस्त हुआ कतर

भारतीय कूटनीति के समक्ष पस्त हुआ कतर

स्वतंत्र प्रभात 
इजरायल-हमास जंग के बीच कतर से एक ऐसी खबर सामने आई थी। जिसने भारत को चिंता में डाल दिया था। कतर की कोर्ट ने 26 अक्टूबर 2023 को एक साल से ज्यादा दिनों से गिरफ्तार कर रखे आठ पूर्व भारतीय नौसेनिकों को फांसी की सजा सुना दी थी। ऐसे में यह भी सवाल खड़े हो रहे थे कि इजरायल-हमास जंग में इजरायल का समर्थन करने का बदला कहीं कतर ने इस तरीके से तो नहीं लिया है परन्तु भारतीय दबाब और प्रयासों के बाद  28 दिसंबर 2023 को इनकी मौत की सजा को कैद में बदल दिया गया था। इसके बाद भी भारत सरकार के इन सैनिकों को भारत वापसी के प्रयास जारी रहे। जिसमें भारत के प्रधानमंत्री मोदी की दिसम्बर में हुई कतर के अमीर से मुलाकात भी शामिल है। आखिरकार कतर को भारत के दबाब के सामने झुकना पड़ा और कतर की एक अदालत ने सोमवार 12 फरवरी को भारतीय नौसेना के सभी आठ पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया है।
 
जिनमें से सात नौसैनिक भारत लौट आए हैं। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी किए बयान में इसकी जानकारी दी गई। भारत ने कतर की अदालत के आठों भारतीय नागरिकों को रिहा किए जाने के फैसले का स्वागत किया है। खाड़ी देश की अदालत की तरफ से जब मौत की सजा का ऐलान किया गया था, तो भारत ने अपने कूटनीतिक चतुराई पेश करते हुए इसके खिलाफ अपील की था। अंत में जिसका फायदा  हमें देखने को मिला। यह पूरा मामला शुरू हुआ जब कतर की सरकारी खुफ़िया एजेंसी ने साल 2022 के अगस्त महीने में इन आठ भारतीय नागरिकों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था।पूछताछ करने के बाद उन पर संदेह जताते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।उन्हें कोर्ट में पेश करने के बाद कतर एजेन्सियां उन्हें लगातार रिमांड पर लेती रही।गहन पूछताछ के बाद कतर खुफ़िया एजेंसी ने मार्च 2023 में इन पर जासूसी के आरोप तय कर दिए।
 
जिसके फलस्वरूप कतर की अदालत ने इन्हें दोषी बता फांसी की सजा सुना दी।जिन आठ भारतीय नागरिकों मौत की सज़ा सुनाई गई है वो सभी भारतीय नौसेना का हिस्सा रह चुके हैं और ये सभी क़तर की अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज में कार्यरत थे।यह कम्पनी क़तर की नौसेना के लिए अत्यन्त खुफ़िया हाईटेक सबमरीन प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी।जो की इटली और कतर के बीच एडवांसड सबमरीन प्रोग्राम का हिस्सा है।ये आठों भी कम्पनी के अन्य कर्मचारियों के साथ इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे।इन सब पर इसी खुफिया प्रोजेक्ट की जानकारी इस्राइल को देने और इस्राइल के लिए जासूसी करने के आरोप हैं।यहा यह बताना आवश्यक है इस मामले में आरोपों की जानकारी ना तो क़तर सरकार की ओर से और ना ही भारतीय सरकार की ओर से सार्वजनिक की गई थी।
 
यह सभी जानकारिया कतर के स्थानीय टीवी समाचार और वहां के समाचारपत्रों की खबरों के आधार पर सामने आई थी। इन पूर्व भारतीय नौसैनिकों की गिरफ्तारी की खबर सबसे पहले गिरफ्तार पूर्व नौसैनिकों कमांडर पुणेन्दु तिवारी की बहन मीतू भार्गव की एक ट्वीट से भारतीय लोगों के सामने आई थी।पुणेन्दु तिवारी अल दाहरा कम्पनी में बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर काम कर रहा था।पुणेन्दु 2013 से अल दाहरा की ओर से दोहा में कतर के नौसैनिकों को प्रशिक्षण दे रहा था।पिछले साल नवंबर में पूर्व कमांडर पुणेन्दु की बहन मीतू भार्गव ने भारतीय सरकार से अपने भाई को सुरक्षित वापिस लाने के लिए गुहार लगाई थी।पूर्व कमांडर पुणेन्दु तिवारी 2019 में भी सुर्खियों में रहे थे जब कतर सरकार की सिफारिश पर पुणेन्दु तिवारी को प्रतिष्ठित सर्वोच्च प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था।पुणेन्दु तिवारी के साथ  जिन सात अन्य लोगों को फांसी की सजा सुनाई थी उनके नाम है रि.कैप्टन नवतेज सिंह गिल, रि.कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, रि.कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, रि.कमांडर सुगुनाकर पकाला, रि.कमांडर संजीव गुप्ता, रि.कमांडर अमित नागपाल और पूर्व भारतीय नौसेना नाविक रागेश था। ये सभी अधिकारी अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम करते थे।इस कंपनी का मालिक रॉयल ओमान एयरफोर्स का रिटायर स्क्वाड्रन लीडर खमिस अल-अजमी है और उसके अनुसार उसने कम्पनी पिछले साल मई में बंद कर दी थी।खमिस अल अजमी को भी यह जासूसी कांड की खबर लगते ही कतर में गिरफ्तार कर लिया गया था परन्तु उसके द्वारा कंपनी के पिछले साल 31 मई 2022 में अपना कामकाज बंद कर देने और इन आठों कर्मचारियों सहित 70 विदेशी नागरिकों का हिसाब-किताब पूरा कर उन्हें देश छोड़ने के आदेश दे देने के पुख्ता सबूत पेश करने पर उसे जमानत दे देने की जनकारी कतर मिडिया की खबरों से सामने आई थी।
 
इसमें गौर करने वाली बात यह थी कि यदि कंपनी ने अपना कामकाज 31 मई 2022 तक समेट कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था तो ये सभी कैसे लगभग 3 महीने तक बिना किसी औपचारिक आज्ञा के इतने महत्वपूर्ण और खुफिया प्रोग्राम पर काम करते रहे। भारत और कतर के सबंध काफी समय तक ग्राहक और दुकानदार जैसे ही रहे परन्तु मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारत ने मध्य एशियाई देशों से अपने संबंध बढ़ाने शुरू किए और मनमोहन सिंह के कतर दौरे के बाद सम्बंधों में थोड़ी गर्मी आई भी। भारत जितनी एल एन जी गैस दूसरे देशों से खरीदता है उसका 40% हिस्सा कतर से खरीदता है जो कि कतर की कुल एल एन जी एक्सपोर्ट का 15% हिस्सा है। लेकिन दोनों देशों के बीच कुछ मौकों पर तनाव भी आया। जैसे साल 2022 में भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा ने इस्लाम विरोधी बयान दिया था।
 
जिस पर कतर सरकार ने आपत्ति जताई थी। भाजपा ने नूपुर शर्मा की प्राथमिक सदस्यता खत्म कर इस मामले को खत्म कर अपनी भावनाए जाहिर की थी। 2022 में ही जब भारत का घोषित अपराधी जाकिर नाईक क़तर में फीफा वर्ल्ड कप का एक मैच देखता मिडिया में वायरल हुआ तो भारत की आपत्ति के बाद क़तर सरकार को बयान जारी करना पड़ा कि हमने जाकिर नाईक को सरकारी तौर पर इन्वाइट नहीं किया गयाहै। वो खुद के पैसों से टिकट खरीद आम दर्शकों की तरह मैंच देखने आया है। उसके बाद फांसी वाले नये विवाद ने दोनो देशो के संबद्धो में कड़वाहट घोल दी थी परन्तु मोदी सरकार ने इस मामले पर अपनी कोशिश जारी रखी और अपनी कूटनीतिक चालों से इस मामले को अपने हक में सुलझवा लिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर  लगातार कतर सरकार के संपर्क रहे।उन्होंने कतर में सजा पाए भारतीय नागरिकों के घरवालों से मुलाकात की और आश्वासन दिया कि गिरफ्तार भारतीयों की रिहाई देश के लिए प्राथमिक काम बताया था। वैसे कतर की निती हमेशा से इस्लामिक आंतकवाद को बढ़ावा और आर्थिक मदद देने की रही है। पाकिस्तान और कनाडा की तरह वो भी आंतकवादियों को पनाह देने के लिए कुख्यात रहा है।
 
पाकिस्तान से उसके सदा से ही घनिष्ठ संबंध रहे हैं। यह पूरा काण्ड भी पाकिस्तान आई एस आई और कतर खुफिया एजेन्सियों की सोची समझी साजिश का ही हिस्सा था। इस पूरे मामले में मासूम भारतीय को फसां वे इसे जासूसी कांड साबित करना चाहते थे। इस एक तीर से कतर और पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत सहित इस्राइल की छवि को दागदार करना चाहते थे। जानकारो के अनुसार इन आठों की गिरफ्तारी का फैसला 8 जून 2022 को कतर एयरफोर्स के कमांडर मेजर जनरल जसीम मोहम्मद और पाकिस्तान नेवी चीफ ऐडमिरल मोहम्मद अमजद नियाजी की इस्लामाबाद नेवी हेडक्वार्टर में हुई मुलाकात में लिया गया था।
 
कतर अपने इस्लामिक आतंकवाद समर्थित रवैए के कारण अरब देशों में भी बदनाम है।इसकी इन्ही हरकतों के कारण साऊदी अरब और यू ए ई ने 2014 में कतर से अपने राजदूत तक वापिस बुला लिए थे।इसके इस्लामिक आंतकवाद समर्थित करतूतों के कारण 2017 में साऊदी अरब,यू ए ई,ओमान, मिस्र,तेहरान ने कतर से सभी रिश्ते तोड लिए थे और इसके साथ लगते समुद्री रास्तों के साथ साथ हवाई रास्ते भी बंद कर दिए थे।फिर अमेरीकी हस्तक्षेप और कतर के सुधार के आश्वासन पर कुछ राहत दी गई थी। यह फांसी कांड भी दोनो आतंकवाद परस्त देशों पाकिस्तान व कतर की भारत विरोधी किसी बहुत गहरी साजिश का परिणाम था परन्तु भारत की कूटनीति ने अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की और अजगर से कतर को उसकी पकड़ ढीली करने को मजबूर कर अपने नागरिकों की सकुशल वतन वापसी करवाई।
 
(नीरज शर्मा 'भरथल')

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