कार्यालय में एक पल के लिए भी नहीं बैठते हैं अंचल अधिकारी पंकज कुमार भगत,
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स्वतंत्र प्रभात
साहेबगंज झारखंड:- साहेबगंज जिला अंतर्गत मंडरो प्रखंड के अंचल अधिकारी पंकज कुमार भगत की बात करें तो वो हमेशा अंचल कार्यालय से बाहर ही रहते हैं। अपने चैंबर में क्षण भर भी बैठने का नाम नहीं लेते हैं। जिसके कारण प्रखंड क्षेत्र से आने वाले ग्रामीण लाचार,परेशान, विवश होकर बार बार घर वापस चले जाते हैं।
■ क्या कहते है क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि या सामाजिक कार्यकर्ता
मंडरो प्रखंड क्षेत्र के जनप्रतिनिधि हो या सामाजिक कार्यकर्ता कई लोगो के द्वारा यह भी सुनने को मिलता है पंकज कुमार भगत को एमओ और सीओ दोनो का प्रभार तो मिला है लेकिन उनका रवैया या काम की बात करे तो एक भी कार्य सही रूप से नहीं करते हैं, दिनभर इधर उधर घूमते रहते हैं, लेकिन अपने कार्यालय में दस मिनट भी नहीं बैठते हैं। सबसे बड़ी बात है की आखिर अंचल क्षेत्र के ग्रामीण अपनी समस्या किसे सुनाएंगे और उनको इंसाफ कैसे मिलेगा ।
क्योंकि जब अंचल के मालिक ही गायब रहते हैं। तो आम जनता को इंसाफ कहां से मिलेगा। जमीन मामले को लेकर हो या राशन डीलर मामले को लेकर या प्राकृतिक आपदा को लेकर जो भी इनके पास समस्या आई है उसमें आधा से अधिक कार्य रुका हुआ है,क्योंकि अंचलाधिकारी अपने कार्य को सही रूप से करना ही नहीं चाहते हैं। अगर सही से कार्य करते तो ग्रामीणों को इतनी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।मंडरो अंचल में पूर्व में भी कई सीओ आए लेकिन इनके जैसा लापरवाह सीओ आज तक मंडरो प्रखंड में नहीं देखा गया।
■ क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्राम सिरसा की एक महिला मरांगमय हांसदा तीन महीना से मंडरो सीओ पंकज कुमार भगत से मिलने के लिए तरस रही है, लेकिन वो लाचार महिला उनसे मिल नहीं पा रही है। उनका कहना है की हम जब भी जाते हैं कार्यालय बंद मिलता है,हम परेशान हो चुके हैं अंचल का चक्कर लगा लगाकर लेकिन सीओ से मुलाकात ही नहीं हो पाती है।कारण की वो अपने चैंबर में बैठते ही नहीं हैं।
दूसरा सिरसा गांव के बरजहांन अंसारी, निजाम अंसारी और सहजमाल अंसारी तीन लोगो का आपदा से घर गिर गया है, लेकिन छः महीना से अधिक समय होने लगा फिर भी अंचाधिकारी के पास सारा दस्तावेज रुका हुआ है ना ही वो उसमे कुछ कमियां बता रहे हैं और ना ही काम को आगे कर रहे हैं। बता दे की अंचल में ऐसे दर्जनों मामले हैं जो सीओ की लापरवाही से काम रुका हुआ है। जिसके कारण आम जनता को दर दर भटकना पड़ रहा है।
अब देखना हैं की क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए इनकी आंखे कभी खुलेगी या फिर इसी तरह मंडरो अंचल का हाल चलता है। इन सभी मामले सहित और कई मामले को लेकर मंडरो सीओ को तीन चार दिन से दूरभाष के माध्यम से जानकारी लेने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
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