वायु प्रदूषण पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौती: अतुल कोठारी
नई दिल्ली
बीते दिन : दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वावधान में 23 व 24 सितंबर को इग्नू परिसर के अंबेडकर सभागार में वायु प्रदूषण व इसके दुष्प्रभाव पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का अयोजन किया गया। इस कार्यशाला में दिल्ली सहित 20 राज्यों के प्रतिभागियों ने अपनी सहभागिता दर्ज करवाई। कार्यशाला में दो दिनों तक विभिन्न संस्थाओं के पर्यावरण से जुड़े महानुभावों ने अपने विचार साझा किए।
इस कार्यशाला को संबोधित करते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नागेश्वर राव ने कहा कि " वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है और इग्नू सदैव वैश्विक मुद्दों पर चर्चा के लिए तत्पर है, उन्होंने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के कार्यों को सराहा और कार्यशाला को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि इग्नू पर्यावरण के संरक्षण के लिए अनेक प्रकार की गतिविधियां चला रहा है।
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इस कार्य सालों को संबोधित करते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठरी ने कहा कि "न्यास ने अपनी स्थापना के बाद से ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर अपनी गंभीरता दुनिया के सामने रख दी थी।" इसके अलावा उन्होंने आगे कहा कि प्लास्टिक पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा है। हम सबको अपने जीवन में कम से कम प्लास्टिक का प्रयोग करें इस विषय में सोचना चाहिए।"
Read More Vande Bharat Sleeper Train: देश में जल्द दौड़ेगी पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन, ये है पूरा रूटउन्होंने आगे कहा कि "न्यास हमेशा विश्व समाज के कल्याण की बात करता है। समस्या की बजाय समाधान पर चर्चा करना न्यास का मुख्य ध्येय है। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में वायु प्रदूषण के कारकों, समाधान और नवीन योजनाओं से संबंधित चर्चा की और पंचतत्वों को ध्यान में रखते हुए भविष्य में जल, पृथ्वी और अन्य तत्वों से संबंधित प्रदूषण पर विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दक्षिणी दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा की मोदी सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर बहुत गंभीर है। दिल्ली में केंद्र सरकार इस दिशा में अनेक कार्य कर रही है। दिल्ली में अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों के लिए ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का निर्माण करवाया ताकि ये वाहन दिल्ली में एंट्री किए बिना दिल्ली से बाहर निकल जाए। इसके अलावा दिल्ली मेट्रो पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभा रही है।
इसकी शुरुआत अटल बिहारी बाजपेई ने की और दिल्ली में उस समय के मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना ने इस कार्य को गति प्रदान की थी। इसके अलावा सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा की फॉरेस्ट एरिया का भारत में विस्तार हुआ है। पराली हरियाणा व पंजाब के लिए एक समस्या बनी हुई थी जिसका निदान केंद्र सरकार तकनीक के माध्यम से कर रही है। इसके साथ ही रमेश बिधूड़ी ने कहा की स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर दुनिया भर में अच्छा संदेश गया।
इसके अलावा इस कार्यक्रम में डॉ सत्यकाम प्रो वीसी इग्नू ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G 20 के मंच से विश्व के सामने भारत की पर्यावरण के संरक्षण में भूमिका को बायोफुएल एलायंस बनाकर सामने रखा। इसके अलावा उन्होंने आगे बताया की पर्यावरण संरक्षण को लेकर हम सबको मिलकर बहुत कार्य करना होगा।
इसके अलावा संजय स्वामी, राष्ट्रीय संयोजक, पर्यावरण शिक्षा, ने बताया की न्यास भविष्य में प्रदूषण पर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यशाला का आयोजन करने वाला है।
इस कार्यशाला में डॉ आदर्श पाल, निर्देशक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पंजाब ने कहा कि भारत में दुनिया के सबसे अधिक पर्यावरण से संबंधित कानून है। शहरों में रिकंस्ट्रक्शन की वजह से भी पॉल्यूशन बढ़ रहा है। एक ही इमारत को कई बार तोड़कर बार-बार बनाया जाता है। हमारी भारतीय संस्कृति में पहले ऐसा नहीं किया जाता था सदियों पहले बने महत्वपूर्ण स्मारक आज भी सुरक्षित है।
इसके अलावा इस कार्यक्रम में प्रभावशंकर शुक्ला कुलपति उत्तर पूर्व पर्वतीय विश्वविद्याल मेघालय ने कहा की प्रति व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम 422 पौधे लगाने चाहिए। हम लोग अपनी आवश्यकताओं से अधिक प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग कर रहे हैं जिसके कारण पर्यावरण संबंधी समस्याएं सामने आ रही है।
श्री संजय स्वामी, राष्ट्रीय संयोजक, पर्यावरण शिक्षा, ने बताया की न्यास भविष्य में प्रदूषण पर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यशाला का आयोजन करने वाला है। इग्नू निदेशक शाची शाह ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए हर संभव का भरोसा दिया।
इग्नू निदेशक शाची शाह ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए सबका आभार जताया। इसके अलावा डॉ अनिर्रवान चक्रवर्ती, डॉ उज्जवल कुमार, डॉ जगबीर सिंह सहित अनेक विद्वानों ने कार्यक्रम में अपने विचार साझा किया।
इस कार्यशाला में देश भारत के पर्यावरण संबंधित विषय पर काम करने वाले विद्वानों ने भाग लिया अथवा अपनी शोध पत्रों को प्रस्तुति किया।

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