ऐसे निराशाजनक जीवन हम कब तक देखते रहेंगे साहब..!

बगहा के पारस नगर क्षेत्र के गंडक नदी में बाढ़ और कटाव विभिषिका की तस्वीर

ऐसे निराशाजनक जीवन हम कब तक देखते रहेंगे साहब..!

कटाव और बाढ़ देखने पहुंचे बगहा वासी

प्रमोद रौनियार, ब्यूरो प्रमुख

कुशीनगर, उत्तर प्रदेश। आज की यह प्राकृतिक आपदा की अविस्मृत तस्वीर पश्चिमी चंपारण बिहार जिले के पारस नगर बगहा की हैं जो गंडक नदी तटवर्ती और दोआब वाशियो के जीवन पर कहर बरपा रही है, वैसे सरकार 50 वर्षो में न जाने कितना हजार करोड़ रुपए बाढ़ राहत बचाव कार्य के नाम पर पानी में बहा चुकी होगी इस संवेदनात्मक योगदान में कितने ठिकेदार मालेमाल हुए यह कोई नही जानता , लेकिन यह हर कोई जानता हैं कि बीते 50 वर्षो में हजारो एकड़ खेती सैकड़ों गांव नदी में विलीन हो चुके हैं और हां प्राकृतिक आपदा ने बदनसीब भिखारी बनाई लोगो को सरकार चिउड़ा प्लास्टिक हजारों करोड़ मदद के नाम पर बाट दी होगी और बाढ़ विस्थापितों को पुनर्वास कराई होगी, कोई बिहार से यूपी चला आया तो कोई यूपी से बिहार तीतर बितर हो गया, लेकिन भारत सरकार अधिकतम लागत तीन सौ करोड़ के 7.1 किमी का एक पुल निर्माण नहीं करवा पाई।

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जब कि सिर्फ तीन सौ करोड़ में एक जटहां से बगहा गंडक पुल बनने पर सरकार को प्रत्येक वर्ष करोड़ों रूपया पानी में बहाने और धन का दुपयोग होने से बचेगा गांव की आबादी सदैव आबाद रहेगी, रहवासी आजीवन अपने सरजमी पर खुशहाल रहेगे। आज जो देख रहे हैं वह गंडक नदी की विकराल चादर में उफनती अंगड़ाई यह भयावह सूरत रहवासियों के जीवन को झकझोर रही हैं, काश हम कितने बदनसीब है कि हमारे ही बचाव और राहत के नाम पर प्रत्येक वर्ष सरकार करोड़ रुपए बरबाद करती है लेकिन आजीवन सुखी जीवन के लिए तीन सौ करोड़ रुपए से एक अदद पुल भारत सरकार हो या प्रदेश सरकार निर्माण नहीं करवा पाती हैं..? यह दुखद गंडक नदी की ओर छोर से प्रेरणादाई प्रसंग हैं। 
गंडक नदी तटवर्ती क्षेत्रों से यूपी बिहार के सांसद और विधायकगणो से जनता अपील कर रही हैं की हमारी भी एक जिंदगी हैं जीवन को आजीवन सुखी रखने के लिए जटहां बगहा गंडक नदी सह सड़क पुल निर्माण कार्य हेतु सर्वे कराकर डीपीआर बनवाने की मांग कर रही है।

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