संजीव-नी।

कविता,

संजीव-नी।

प्रभु साथ दो मेराl
 
प्रभु साथ दो मेराl
जहां भी हो अंधेरा
राह में सत्य की 
सदैव साथ हो तेराl
 
 
जहां लोभ का डेरा
पथ में न्याय के
चलूं मैं अकेला
प्रभु साथ दो मेराl
 
वासना के प्रबल
आंधी तूफान मचल-मचल
सदैव करते मुझे निर्बल
प्रभु साथ दो मेरा।
 
रोता है मन मेरा
शिशु सा भोला, निर्मल
पानें को बार-बार
मां की ममता अपार।
 
प्रभु लगा दो पार
नाव पड़ी मझधार
हर सांस के संग मेरी
प्रभु कृपा हो तेरी।
 
प्रभु साथ दो मेरा
जहां से चलूं अकेला
आशाओं से भरा सवेरा
समर्पित दिन सारा मेरा।
 
समर्पित तुम्हें दिन मेरा
बीत जाता प्रभु कोरा
सुबह शाम उड़ते पंछी सा
प्रभु तुम साथ दो मेरा।
 
अब रह गया तेरा ही सहारा,
प्रभु साथ दो मेरा।
 
संजीव ठाकुर

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

उत्तर कोरिया के किम ने फिर से अमेरिका और दक्षिण कोरिया के खिलाफ परमाणु हमले की धमकी दी उत्तर कोरिया के किम ने फिर से अमेरिका और दक्षिण कोरिया के खिलाफ परमाणु हमले की धमकी दी
International News उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने एक बार फिर चेतावनी दी है कि वह दक्षिण कोरिया...

Online Channel

साहित्य ज्योतिष

संजीव-नीl
संजीव-नी। 
संजीवनी।
संजीव-नी।। 
संजीव-नी।