hindi kavya darshan
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Read More... ख्वाबों की दुनिया सजाई थी मैंने।
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नी। ख्वाबों की दुनिया सजाई थी मैंने। दिल में ख़्वाबों की दुनिया सजाई थी मैंने, तेरे आने की चाहत जगाई थी मैंने। तेरे आने से महफ़िल गुलज़ार हो उठी, राह पलकों पे अपनी बिछाई थी मैंने। तेरी पायल की छन... संजीव-नी।
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कविता मेरा अज़ीज़ निकला मेरा ही कातिलकभी खँजर बदल गये कभी कातिल ।शामिल मै किश्तों में तेरी जिंदगी में,कभी ख़ारिज किया कभी शामिल।बड़े दिनों बाद रौशनी लौटी है शहर में,आज रूबरू हुआ यारों मेरा कातिल।... संजीव-नी।
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कविता, जरा आंखों से मुस्कुरा देना तुम। एहसास दिल में न दबा देना तुम, होठों से जरा सा मुस्कुरा देना तुमl ये दिल की लगी है न घबराना, जरा आंखों से मुस्कुरा देना तुम। नया रूप है तुम्हारे यौवन का,... संजीव-नी।
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लंबी उम्र की ना दुआ किया करो। दिल में हर दर्द छुपा लिया करो, यादों को दिल में बसा लिया करो। इश्क छुपाना इतना होता नहीं आसां, मेरा नाम सरेआम बता दिया करो। हर दर्द की दास्तां है जुदा जुदा,... संजीव-नी|
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By Swatantra Prabhat Desk
क्योंकि आज उसने खाना नहीं खाया|क्योंकि आज हरिया ने खाना नहीं खाया,हथौड़े की तेज आवाज से भी तेज,मस्तिष्क के तंतु कहीं तेजी सेशून्य में विलीन हो जाते,फिर तैरकर,वापसी की प्रतीक्षा किए बिना,आकर वापस... भगवती वंदना
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मां भगवती सदैव आपकी शरण रहूँ भले दुखों का प्रहार हो भले सुखों की बाहर हो। मां भगवती सदैव आपकी चरणवन्दना करुँ भले लोग मेरे खिलाफ़ हो भले लोग मेरे साथ हो। मां भगवती सदैव आपका चिंतन मनन करुँ भले... संजीव-नी।
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एक दिया इधर भी। एक दिया छत की मुंडेर पर जला आना, जहां साया होता है गहन तमस का। एक दिया उस बूढ़ी मां के कमरे के आले पर जला आना, जहां बेटे,बहू ,नाती,नातीने जाने से कतराते हों। एक दिया... दीप
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नीl
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कौन दस्तक देता है दर पर संजीव।मैं तो अपनी शर्तों पर जीता हूं.पराये दर्द के अश्कों को पीता हूं।रातें तो सितारों संग बीत जाती हैं,दिन के उजालों से बचता रहता हूं।अब चले ना चले कोई... संजीव-नी।
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मुझे कोई गम नहीं रहा संजीव। आरजू आखरी सांस तलक नेकी की शर्त ही थी हर लम्हा पूरा जीने की। आबरू खुद बचा ली इस तूफ़ां ने मेरी जिंदगी के टूटे हुए सकिने की। दिल को तस्कीन सी मिली है... संजीव-नी।
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By Office Desk Lucknow
इतनी बे-असर दुआएं क्यों हैं। ? इतनी खामोश हवाएं क्यों है, इतनी गमगीन फिजाएं क्यों है। बीमार ए-दिल में बे-असर दवाएं अब इतनी बे-असर दुआएं क्यों हैं। दर्द हमारा तो ला- इलाज है, बे-असर इतनी दवाएं क्यों हैं । नजरें... संजीव-नी।
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By Office Desk Lucknow
मस्तियां सी घोल दी बरसात ने। क्या दिया है मोहब्बत के जज्बात ने कितना पीसा हमको इस हालात ने। मेरी तकदीर को चांद सा चमका दिया सचमुच् तेरी उस पहली मुलाकात ने । तेरी आंखों के हैं जाम तौबा शिकन... 