डीएम साहब! क्या इस नगरपालिका में ‘बच्चे’ करते है सफाईकर्मी का काम ?
संतोष तिवारी (रिपोर्टर )
भदोही।
शासन प्रशासन भले ही बालश्रम निषेध की बात करती है। लेकिन यह केवल कहने और कागजी खानापूर्ति तक ही सीमित है। जबकि वास्तविकता इससे काफी अलग है। और इस अंतर की वजह है गरीबी और जिम्मेदारों की लापरवाही। क्योकि जिले में हर जगह खुलेआम देखा जा सकता है कि कम उम्र के बच्चे कूड़ा बीनते है, ईट के भट्ठो पर काम करते है।
कही तो माता-पिता के साथ मजदूरी भी करते नजर आते है। लेकिन जिम्मेदार लोगों से इससे कोई फर्क नही पडता है। जबकि जिले के अधिकारी बखूबी जानते है कि बहुत से ईट के भट्ठों पर कम उम्र के बच्चों से काम कराया जाता है। जिले के हर बाजार में बच्चे कूड़ा बीनते आते है। लेकिन सरकार की सारी योजनाएं इन बच्चों के पास पहुंचने से पहले ही समाप्त हो जाती है।
यदि जिले के जिम्मेदार को इस तरह मामले की शिकायत भी मिलेगी तो केवल खानापूर्ति करके अपना पल्ला झाड लेंगे। और इसी वजह से जिले में खुलेआम छोटे बालक अपनी गरीबी को मिटाने के लिए मेहनत मजदूरी करने पर विवश है। लेकिन इन गरीब बच्चों के लिए शायद सरकारी योजनाएं नाकाफी है। एक ऐसा ही नजारा भदोही जिले के गोपीगंज बाजार में दिखा
जहां पर एक बालक नगर पालिका गोपीगंज के एक सफाई कर्मी द्वारा लाये गये कूड़े को नगर पालिका की ट्रैक्टर टाली पर खाली कर रहा था। और यह नजारा बकायदा गोपीगंज थाने के सामने ही कुछ दूरी पर हो रहा था। नगर पालिका का सफाई कर्मी उस बालक से ट्राली पर कूडा खाली करा रहा था।
और वह बालक गरीबी की वजह से चंद पैसो के लिए नगर से उठाकर लाये गये कूडे पर खडा होकर सफाईकर्मी द्वारा लाये गये कूडे को टैक्टर ट्राली पर खाली कर रहा था। गोपीगंज का एक मामला तो उदाहरण मात्र है ऐसे ही न जाने कितने मामले जिले में प्रतिदिन देखने को मिलते है।
अब यहां सवाल उठता है कि आखिर किसके कहने पर नगर पालिका गोपीगंज का सफाईकर्मी उस बालक से ट्राली पर कूड़ा खाली करा रहा था? आखिर हाइवे पर क्यों खुलेआम उड़ी बालश्रम निषेध की धज्जियां? क्या इस तरह के मामलों के बारे में नगरपालिका के जिम्मेदारों को है जानकारी? ऐसे ही न जाने कितने सवाल है जो हाइवे पर बालक द्वारा कूडा खाली करने के मामले में लोगों के मन में उठ रहे है।