21 वीं सदी में माफिया और गुंडा इतना सक्रिय क्यों

उत्तर प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ-साथ लोगों की मन में धारणा और आम जनमानस में एक विश्वास ने जगह ली थी, कि अब योगीराज में उत्तर प्रदेश से माफियाओं का जीना दुर्लभ हो जाएगा और तो और एक नारा जो शुरुआत के दिनों में बहुत प्रचलित हुआ था वह यह था कि यदि यूपी में रहना है तो गुंडई नहीं करना है

स्वतंत्र प्रभात वाराणसी



मनीष पांडेय

वाराणसी  आज यूपी के परिपेक्ष में देखा जाए तो माफिया और गुंडाराज पूरी तरीके से सक्रियता के साथ अपनी धौंस बनाया हुये खुद की मौजूदगी दर्शा रहा है, इनकी पैठ और देशभक्ति भी उहापोह मे सता की सरपरस्ती से दिन दूना रात चौगुना तरक्की कर रहे हैं !
माफिया और गुंडा पर लगाम कब तक
उत्तर प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ-साथ लोगों की मन में धारणा और आम जनमानस में एक विश्वास ने जगह ली थी, कि अब योगीराज में उत्तर प्रदेश से माफियाओं का जीना दुर्लभ हो जाएगा और तो और एक नारा जो शुरुआत के दिनों में बहुत प्रचलित हुआ था वह यह था कि यदि यूपी में रहना है तो गुंडई नहीं करना है !
योगी जी ने आते-आते ताबड़तोड़ निर्णय लिया और बदलाव के साथ माफिया गुंडा राज पर नकेल कसने के लिए अपनी शुरुआत की लेकिन क्या सचमुच में माफिया और गुंडाराज का समाप्ति का दौर है या होने वाला है ऐसा कहीं प्रतीत नहीं होता है सत्ता पक्ष के संरक्षण में पल रहे माफियाओं का आलम यह है कि जब चाहे जहां चाहे जिसको चाहे जैसे चाहे वैसा करता है उसके लिए सब संभव है और तो और गरीबों का जीना दुर्लभ कर उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने वाले कुछ माफिया आज इतने सक्रिय हो चुके हैं कि केवल मात्र आर्थिक स्थिति की मजबूती से कार्य कर जितने भी जमीनी विवाद या बड़े-बड़े टेंडर जो देश के अलग-अलग भागों में संचालित हो रहे हैं उनमें सिर्फ मात्र उन्हीं का नाम और उनके नाम से कार्य चल रहे हैं ,और नाम ही काफी है! 
जनता मांगेगी हिसाब
जहां एनकाउंटर जैसे आदेश कर उत्तर प्रदेश में माफियाओं अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को संतुलित करने का पुरजोर कोशिश किया गया वहीं दूसरी तरफ ऐसे लोग जो चिन्हित गुंडा बदमाश और मवाली है उनका एक परसेंट भी कोई बाल बांका नहीं कर पाया और ना ही आगे करने की चेष्टा करता है क्योंकि वह पूरी तरीके से खुद को सरकार और सत्ता के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं आगामी विधानसभा चुनाव में जनता जरूर मांगेगी योगी जी से हिसाब आखिर कितने माफिया और बदमाशों का इनकाउंटर के साथ उनकी अपराधीक प्रवृत्ति पर लगाम लगाने में कामयाब हुये ?
मोदी जी के नाम पर सत्ता कब तक
जहां पूरे देश में मोदी नाम की लहर देखने को मिला और पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा ने अपनी सरकार बनाईयूपी में प्रशासन फेल व गुंडा का खेल जारी है
चाहे बात खनन की हो यह अवैध कब्जे की या हत्या की शुरुआती दौर में अपराध के ग्राफ में कुछ गिरावट जरूर आया था लेकिन जिस तरीके से आज यूपी में अपराध अपना पांव पसार रहा है उससे यह जाहिर हो रहा है कि प्रशासन पूरी तरीके से फेल हो चुका है और तो और भ्रष्टाचार अपनी चरम पर है कोई ऐसा भी विभाग नहीं जहां घूसखोरी ना हो और उन पर लगाम लगाने में योगी सरकार की कमर टूट रही है अर्थात असफल हो रही है, आज कई माफिया से माननीय बने लोगों ने अपना साम्राज्य इतना विस्तार कर लिया है कि आने वाले समय तो क्या कोई चाह कर भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता लेकिन वह जब चाहे जिसका और जहां बिगाड़ सकते हैं कारण सत्ता संरक्षण और आर्थिक मजबूती !
आखिर माफियाओं और गुंडों को इतनी छूट क्यों
जहां राज्यों में चल रहे बड़े पैमाने पर कार्य चाहे परिवहन विभाग रेल विभाग या रोड निर्माण की बात हो यही नहीं किसी भी विभाग में टेंडरिंग का विषय हो गुंडाराज इतना सक्रिय हैं कि उनके गुर्गों को काम दिया जा रहा है और दिया जाता रहा है फिर बदलाव कहां और कैसे यह तो और मजबूती से उभर कर अपनी जिंदगी जी रहे हैं यही नहीं जेल में भी इनकी शानो सौकत नवाबों की तरह बनी हुई है दिनो दिन इनका मनोबल बढ़ता ही जा रहा है ! *जब बात नकेल और लगाम की आती है तो सिर्फ खोखला नजर आता है और वादे धुंधले से* आज बनारस की पृष्ठभूमि पर इसके पहले जो भी सरकार रही है जितने माफिया और गुंडा सक्रियता के साथ अपनी भूमिका में खड़े थे वह आज कहीं और मजबूती से अपनी पांव जमाने में कामयाब हो रहे हैं और उनके गुर्गे गली गली कब्जा और लूटपाट मचाने में सफल हो रहे हैं !
सवाल नीति और नियत पर
जब कानून व्यवस्था का दायरा आम जनमानस और सभी भारतीयों के लिए कहे तो फिर इनके साथ इतना अपनापन क्यों जबकि देखा जाए तो आम जनमानस में समरसता समभाव के साथ सामाजिक संस्कृति संस्कार धरोहर को सम्मान देकर एक आम इंसान को जनता ने खास बनाया लेकिन जब कहीं किसी के साथ अत्याचार होता है तो एक सवाल मन में जरूर उमड़ता है कि अपराधियों पर नकेल कब ??

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