नगर निगम के शराब ठेकों पर जुट रही भारी भीड़ ।
शिक्षण संस्थानों के खोलने से भी अधिक खतरनाक है शराब की दुकानों का खुलना। शाहजहांपुर/ शाहजहांपुर को ग्रीन जोन घोषित होने पर लॉक डाउन में मिली छूट से लग रही शराब के ठेकों पर भीड़ को लेकर सामाजिक संगठनों ने चिंता जाहिर की है कोरोना महामारी का दंश झेल रहे देश में तमाम तरह से आर्थिक शैक्षिक और सामाजिक रूप
शिक्षण संस्थानों के खोलने से भी अधिक खतरनाक है शराब की दुकानों का खुलना।
शाहजहांपुर/
शाहजहांपुर को ग्रीन जोन घोषित होने पर लॉक डाउन में मिली छूट से लग रही शराब के ठेकों पर भीड़ को लेकर सामाजिक संगठनों ने चिंता जाहिर की है कोरोना महामारी का दंश झेल रहे देश में तमाम तरह से आर्थिक शैक्षिक और सामाजिक रूप में देश पिछड़ रहा है जिसे देश की जनता ने स्वेच्छा से समर्थन करते हुए सामाजिक कार्यक्रम शादी बारात रोक दिए हैं तो गरीबों के बच्चों का शिक्षा क्षेत्र में भविष्य खराब हो रहा है जो ऑफलाइन प्राइमरी पाठशाला में कक्षा 5 तक पांच का पहाड़ा नहीं सीख सकते तो ऑनलाइन क्या पढ़ाई करेंगे फिर गरीबों के पास आज भी कीपैड मोबाइल है जिनमें ऑनलाइन का साधन नहीं है जिसे रिचार्ज कराना भी उनके लिए मुश्किल है जिस शिक्षा का ढिंढोरा पीटा जा रहा है वह ऑनलाइन शिक्षा का भी उन्हीं को लाभ मिल रहा है जो नौकरी पेशा पैसे से मजबूत हैं।
यह सब परेशानियां इसलिए उठानी पड़ रही है की देश से कोरोना जैसी महामारी समाप्त हो लेकिन सरकार द्वारा एकाएक प्रदेश के अंग्रेजी देसी शराब के ठेकों को बिक्री छूट देने के कारण जिस तरह से शराब के ठेकों पर जमावड़ा लग रहा है वह शिक्षण संस्थाओं के खोलने से भी अधिक खतरनाक है जिले के नगर निगम क्षेत्र केरूगंज में ठेके पर जो जमावड़ा देखने को मिला उससे आप अंदाजा लगा सकते हैं देहात क्षेत्रों में शराब के ठेकों पर क्या हाल होगा यह सब बातें अनुसूचित जनजाति पिछड़ा वर्ग कल्याण विकास संस्था के संस्थापक अध्यक्ष विशुन दयाल कनौजिया ने शराब के ठेकों पर लग रहे जमावड़े पर चिंता जाहिर करते हुए कहीं उन्होंने कहा कि शराब के ठेकों को खोलकर इतना बड़ा रिस्क सरकार ले सकती है तो गांव गांव सोशल डिस्टेंसिंग के साथ प्राइमरी पाठशाला में शिक्षा ग्रहण कर रहे गरीब बच्चों को गांव में इंटर पास घूम रहे बेरोजगार युवाओं से शिक्षा क्यों नहीं ग्रहण करा सकती सरकार चाहे तो शिक्षा ग्रहण करने वाले युवाओं को मनरेगा के तहत मजदूरी भी दी जा सकती है जिससे गरीब तबके के लोगों के बच्चों का शिक्षा क्षेत्र में भविष्य भी खराब नहीं होगा और युवाओं को रोजगार भी मिलेगा ।
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