सुविधा शुल्क की वजह से सरकारी योजनाओं में लीपापोती।

सुविधा शुल्क की वजह से सरकारी योजनाओं में लीपापोती।

सुविधा शुल्क की वजह से सरकारी योजनाओं में लीपापोती। संतोष तिवारी( रिपोर्टर ) सरकार का उद्देश्य है कि देश के गरीब व कमजोर तबके को कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से उनके जीवन स्तर को सुधार कर उन्हें भी समाज की मुख्य धारा में जोडा जाये। इसके लिए सरकार आवास, राशॅन, पेंशन, शौचालय, गैस सिलेण्डर, बिजली,

सुविधा शुल्क की वजह से सरकारी योजनाओं में लीपापोती।

संतोष तिवारी( रिपोर्टर )

सरकार का उद्देश्य है कि देश के गरीब व कमजोर तबके को कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से उनके जीवन स्तर को सुधार कर उन्हें भी समाज की मुख्य धारा में जोडा जाये। इसके लिए सरकार आवास, राशॅन, पेंशन, शौचालय, गैस सिलेण्डर, बिजली, और कई तरह की योजनाएं संचालित है। लेकिन सरकार की योजनाओं में पलीता लगाने से बाज नही आ रहे है जिम्मेदार। ऐसा कोई गांव न होगा जहां लोग अपने ग्राम प्रधान, कोटेदार या अन्य जिम्मेदारों से परेशान नही होंगे। सबसे मजे की बात यह है कि इन जिम्मेदार लोगों के आका और भी गैरजिम्मेदार है। जो मामले या समस्या को जानने के बाद भी अनसुना कर देते है इसकी वजह केवल और केवल भ्रष्टाचार है। क्योकि लोग सामने भले ही न कहें लेकिन आज के तारीख में भी विभागों में सुविधा शुल्क की प्रथा चल रही है, और इसी के वजह से लीपापोती व मिलीभगत काफी रूप में मजबूत हो रहा है। जिसको देखकर लगता है कि यह कुप्रथा हमेशा ही चलती रहेगी। और जब तक यह कुप्रथा जारी रहेगी। सरकार की योजना का लाभ सच में पात्रों तक नही पहुंच पायेगा। और बीच में ही जिम्मेदार लोग अपनो को चढाकर सरकार को आंकडा भेज देंगे। और इस कुप्रथा की शुरूआत भी अपात्र लोग ही करते है। जिसके बाद सम्बन्धित जिम्मेदार पात्रों से भी सुविधा शुल्क लेने से बाज नही आते है। ऐसा कई विभागों में देखने को मिला है लेकिन लोगों को डर रहता है कि यदि सुविधा शुल्क नही देंगे तो काम होने में देरी होगी या काम न होने की भी संभावना बढ जाती है। सुविधा शुल्क का खुला खेल लेखपाल, कोटेदार, ग्राम प्रधान के अलावा विभिन्न तरह के पेंशन तथा अन्य कार्यालयों में देखा जाता है। कई उदाहरण है कि पेंशन के लिए आवेदन दिया गया है लेकिन सुविधा शुल्क न देने से पेंशन जारी न हो सका, यही हाल किसान सम्मान योजना में देखने को मिला है। शौचालय और आवास के नाम पर बहुत जगह ग्राम प्रधान द्वारा पैसा लेने का मामला अक्सर सुनने को मिलता है। सुविधा शुल्क के लिए परिवहन विभाग भी अछूता नही है। रही बात शिक्षा विभाग की तो इसकी पीडा वे लोग समझ सकते है जो अपने विद्यालय का मान्यता लिए है। कुल मिलाकर हर जगह सुविधा शुल्क का खेल चलता है लेकिन लोग इसलिए उसका विरोध नही करते क्योकि लोग विवाद में नही पडना चाहते है। दूसरी बात यह भी है कि यदि विरोध कर भी देंगे तो उनका काम एकदम बनते बनते बिगड जायेगा। और जिसके ऊपर आरोप लगाये है वह सिद्ध करना बडी बात होगी क्योकि पूरा विभाग और विभागीय आका उसी को बचाने का परोक्ष माध्यम खोजते है। और शिकायत करने वाला अलग थलग पड जाता है। हालांकि यह बात सभी मामलों में नही होती है बहुत जगह यही अधिकारी या कर्मचारी ऐसा कार्य करते है कि लोग प्रशंसा करने से नही थकते। बहुत ऐसे जिम्मेदार ग्राम प्रधान, कोटेदार, लेखपाल, या विभिन्न विभाग के अधिकारी या कर्मचारी है जो अपने कार्यों से समाज पर एक मिशाल छोडते है। जो समाज के लिए प्रेरणादायी होता है।
वर्तमान परिदृश्य में गरीब और कमजोरों को सरकार की योजनाओं का सही से लाभ मिले सरकार की यही मंशा है लेकिन जिलास्तर पर विभिन्न विभागों की लापरवाही की वजह से पात्रों को योजनाओं का लाभ नही मिल पाता है। सम्बन्धित लोगों को कम से कम यह ध्यान देना चाहिए कि सरकार तो उनको खुद इतना सुविधा और पैसा दे रही है कि किसी गरीब और कमजोर से एक पैसा भी न ले और काम को ईमानदारी पूर्वक कर दें। कम से कम उन घूसखोर और भ्रष्टाचारियों को शर्म आनी चाहिए कि जो एक गरीब, परेशान और मजबूर व्यक्ति से कार्य करने के बदले सुविधा शुल्क की मांग करते है। इस घूसखोरो का तरीका अलग है आजकल थर्ड पार्टी के माध्यम से अपने पाप की कमाई करते है। शायद इन घूसखोरो को पता नही कि जो किसी के दिल को कष्ट देकर या विवशता वश सुविधा शुल्क ले रहे हो उसका असर परिवार पर ही पडेगा। भले आदमी से न डरे लेकिन कम से कम सुविधाशुल्क का कुकर्म करने से पहले ईश्वर से तो डरना चाहिए। मानते है कि आज भी कुछ ईमानदार और अच्छे लोग है लेकिन अधिकता तो भ्रष्ट लोगो की ही है। इस मामले मे जनता भी थोडा गलत करती है जो केवल अपने काम के लिए सुविधा शुल्क देकर मौन हो जाती है। जनता को भी चाहिए कि कोई अधिकारी कर्मचारी जब काम के बदले सुविधा शुल्क की मांग रखे तो उसके ऊपर के अधिकारी से शिकायत करे और यदि अधिकारी भी शिकायत न सुने तो अपने जैसे कई लोगों को एकजुट करके उस अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ सामूहिक रिपोर्ट दर्ज कराकर उसकी पोल खोल दें। जिससे अगली बार वह अधिकारी या कर्मचारी सुविधा शुल्क की मांग नही करेगा। यदि सभी लोग अपने मन में ठान ले कि सरकारी योजनाओं के लिए किसी को सुविधा शुल्क के नाम पर एक भी रूपया नही देना है। तो इन घूसखोर और दलालों को खुद काम को बडे ही ईमानदारी पूर्वक करना प्रारम्भ कर देंगे। सौ की एक बात है कि समाज से सुविधा शुल्क जैसी कुप्रथा को बंद करने के लिए आम आदमी को आगे आना ही होगा। नही तो जब ये भिखमंगे सरकार के तरफ से मिल रहे वेतन से नही खुश है तो आम जनता द्वारा दिये गये सुविधा शुल्क से कितना खुश होंगे। आज सुविधा शुल्क की प्रथा से ही सरकार की योजनाएं बहुत से जरूरतमंदों से दूर है और फर्जी व झूठे लोग पात्र बनकर सरकारी योजना का मजा ले रहे है। सरकार की योजनाओं को सही व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए जिम्मेदार लोगो की और जिम्मेदारी और ईमानदारी से कार्य करने की जरूरत है। वैसे आज भी कई अधिकारी व कर्मचारी है जिनके कार्यों से जनता को काफी प्रसन्नता है। काश! सभी सरकारी कर्मचारी एक गरीब और विवश व्यक्ति की समस्या समझकर मानवता की मिशाल पेश करते हुए सुविधा शुल्क की कुप्रथा को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाते।

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel