देश में कोरोना योद्धाओं के हमले पर आखिर विपक्ष मौन क्यों?

देश में कोरोना योद्धाओं के हमले पर आखिर विपक्ष मौन क्यों?

देश में कोरोना योद्धाओं के हमले पर आखिर विपक्ष मौन क्यों? संतोष तिवारी (रिपोर्टर ) भारत समेत पुरी दुनिया कोविड-19 वायरस की चपेट में है। और इसके संक्रमण व प्रभाव को कम करने के लिए सरकारें विभिन्न तरह की उपाय कर रही है। सरकार के इस कार्य में चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका

देश में कोरोना योद्धाओं के हमले पर आखिर विपक्ष मौन क्यों?

संतोष तिवारी (रिपोर्टर )

भारत समेत पुरी दुनिया कोविड-19 वायरस की चपेट में है। और इसके संक्रमण व प्रभाव को कम करने के लिए सरकारें विभिन्न तरह की उपाय कर रही है। सरकार के इस कार्य में चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जिससे देश में वायरस का प्रभाव व प्रकोप कम हो। और इसके निवारण के लिए सरकार ने दो चरणों में लाॅकडाऊन की घोषणा की। जिससे इसके संक्रमण पर पुरी तरह रोक लग सके। हालांकि इस वायरस के लिए बचाव ही सबसे बडा ईलाज है लेकिन कुछ लोग सरकार के दिशा निर्देश को मानना अपनी बेइज्जत समझते है। और मनमानी पूर्ण कार्य करने से बाज नही आते है।

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भारत वैसे इस समय कोरोना सहित तीन प्रकार के दुश्मनों से लड रहा है। जिसमें दो दुश्मनों से भारत लडकर जीतने का जज्बा रखता है लेकिन तीसरे दुश्मन का पता लगाना ही भारत के लिए काफी मुश्किल भरा पडा है। इन दुश्मनों में वे लोग शामिल है जो भारत का खाने के बावजूद भी भारत और भारत की सरकार को मजबूर, विवश और लाचार देखना चाहते है। और इसी के चक्कर में परोक्ष रूप से भारत में रहकर ही भारत को हराने का मन बनाये है। लेकिन इस तरह के गद्दारों का ख्वाब कभी भी पूरा नही होगा। विदित हो कि देश के नियम कानून के विरूद्ध कार्य करना, सरकार की बात न मानना यह सिद्ध करता है कि विरोधियों के ईरादा नेक नही है। और इसमें जो लोग सामने है वे तो केवल एक कठपुतली है बाकी इन लोगों को अपने टुकडों पर पर पालने वाला कोई और होगा जो सरकार और भारत से जलन रखता होगा।

देश में कोरोना योद्धाओं के हमले पर आखिर विपक्ष मौन क्यों?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां लाॅकडाऊन को सही से पालन करने लिए पुरे देश से अपील कर रहे है वही कुछ देश के गद्दार लाॅकडाऊन को तोडने से बाज नही आ रहे है। इसका उदाहरण देश के विभिन्न जगहों पर देखने को मिल रहा है। चाहे वह जगह दिल्ली हो या मुरादाबाद, इंदौर हो या खुर्शिदाबाद? देश में जिस तरह तब्लीकी जमात के लोगों ने भारत में वायरस के संक्रमण को फैलाकर कोरोना को और मजबूत बना दिया। वह निदंनीय है। सरकार जब इनके ईलाज व सुरक्षा के लिए हास्पिटल में रखती है तो वहां नर्सों के साथ बदतमीजी करते है। सरकार जब इनके यहां चिकित्सक भेजकर ईलाज व जागरूक का सराहनीय कार्य कर रही है। वही ये देश के गद्दार लोग चिकित्सा टीम के ऊपर हमला करके अपने शान्ति मय हैवानियत का परिचय दे दिये। हालांकि इस मामले में गद्दारों के ऊपर रासुका का केस दर्ज हो गया। सरकार को चाहिए कि इस संकट की घडी में जो भी शासन और प्रशासन की बात न माने उसके ऊपर त्वरित कार्यवाही नितांत जरूरी है। इस तरह के मामले तो मीडिया में आ जाने से लोग जानने लगे बल्कि देश में बहुत ऐसे जगह है जहां की बात सार्वजनिक नही होती। देश के गद्दार सरकार की बात का विरोध करने पर इतना तुले है कि जहां नही वही मनमानी कर रहे है। इस संकट के समय विपक्ष के लोग भी अपनी चुनावी गणित विगड न जाये इस बात को ध्यान में रखकर मौन साधे हुए है। एक भी विपक्ष का बडा नेता खुलकर इन जमातियों और इसके आयोजक के खिलाफ नही बोल रहा है कि देश इस समय संकट के दौर से गुजर रहा है। और यही विपक्षियों का मौन समर्थन ही देश के गद्दारों के मनोबल को बढाने में सहायक हो रहा है। जिसका ताज् उदाहरण मुरादाबाद में देखा गया जहां एक विशेष समुदाय के लोग चिकित्सकों के ऊपर पथराव करती है। और कई चिकित्सक घायल हो जाते है। विपक्षी मौन होकर तमाशा देख रहे है। उनको देश से अधिक कुर्सी व सत्ता प्यारी है। कुछ गद्दारों का समर्थन करने वाले सरकार पर आरोप लगाते है कि एक विशेष समुदाय को ही टारगेट किया जा रहा है। जबकि ऐसा कुछ नही है। जाति- धर्म की राजनीति करने वाले ध्यान से कान खोलकर सु लें कि भारत में गद्दारों की जगह नही है और नही रहेगी। यदि कोई गद्दार देश से गद्दारी करने की मंशा पालकर देश में दोगला पन कर रहा है तो देश का कानून उसे आज नही तो कल जरूर सबक सिखायेगा। रही बात एक विशेष समुदाय की तो यदि किसी भी समुदाय का व्यक्ति गलत करेगा तो सजा तो मिलेगी ही। इसका मतलब यह थोडी है कि विशेष समुदाय का खाल ओढ़कर देश में गद्दारी का खेल खेलें और देश की सरकार माफ कर दे। क्यों कर दें बताओं, गद्दारो के समर्थक? जो लोग कह रहे है कि विशेष समुदाय को टारगेट किया जा रहा है वे अपने मन से यह भ्रम निकाल दे कि भारत में कानून सभी के लिए बराबर है। यदि किसी समुदाय के लोग काफी चर्चा में है तो बेशक वे लोग देश के खिलाफ की गतिविधियों में है तभी कानून उनको सजा दे रही है। देश में और भी तो लोग है विशेष समुदाय के लोग जो देश में अमन, शान्ति, भाईचारा के लिए हमेशा प्रयास रत है उनको कोई क्यो नही टारगेट कर रहा है? क्योकि वे लोग भारत में रहकर भारत के कानून का सम्मान करते है और भारत की उन्नति में ही अपनी उन्नति समझते है। लेकिन सनकी लोग अपने को पता नही क्या समझते है और सरकार के नियम कानून को न मानना ही अपना धर्म समझते है तो ऐसे लोगो के खिलाफ सरकार को सख्ती से पेश तो आना चाहिए। अभी हाल ही में मुम्बई के ब्रांदा में एक विनय दूबे पर भी लोगों को उकसाने और भीड इक्ट्ठा करने का आरोप लगा और उसे पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया लेकिन उसके समुदाय के लोग ही उसे भरा बुरा कहे और सरकार से विनय दूबे को कडी से कडी सजा देने की बात कही। क्योकि लोगों को विनय दूबे जैसा व्यक्ति नही चाहिए बल्कि भारत देश चाहिए। लेकिन विशेष समुदाय के लोगों ने जमातियों के खिलाफ क्यों मौन साधे हुए है? आखिर दिल्ली से निकलने के बाद इन जमातियों को शरण देने वाले क्यों मौन है? देश के गद्दारों को शरण देना,

देश में कोरोना योद्धाओं के हमले पर आखिर विपक्ष मौन क्यों?

उनका समर्थन करना कैसी देश भक्ति है? विपक्ष के नेता तो बेचारे इसलिए नही बोल रहे है कि सरकार तो भाजपा की है हमसे क्या पडी है। देश में चाहे जो हो मौन रहो किसी किसी मुद्दे पर बोलकर अपने जिंदा रहने का प्रमाण देश को देते रहे। आखिर केवल विपक्ष सत्ता की लडाई के लिए ही जनता की प्रेमी है। इस संकट की घडी में भी विपक्षी दलों को भी अपनी राजनीति एक कोने छोडकर देश में जो लोग सरकार के द्वारा जारी किये गये निर्देश को नही मान रहे है। उनके खिलाफ आवाज उठाकर सरकार का साथ तो देना चाहिए। नही तो बेचारे केवल राजनीति कर रहे है। सरकार सभी को पांच पांच किलों चावल नि:शुल्क देने की बात कह रही है तो एक नेता अपने बिल में से निकलकर दस दस किलो की इच्छा जताकर मौन हो गये। आखिर क्या मायने है इस नेतागिरी के? जब संकट के समय पुरा देश परेशान है तो बेचारे नेता अपने अपने एसी केबिन में बैठकर छुट्टी का आनन्द ले रहे है। कम से कम सभी नेता सरकार के तरफ से कोरोना वायरस के बचाव के लिए जारी दिशा निर्देश का पालन करने का अपील तो कर सकते है। जिससे उनके समर्थक सच में समझ जाये कि कोरोना वायरस से नुकसान हो सकता है। क्योकि अभी कुछ लोग इसे भी सरकार की चाल समझ करे है। तो कम से कम विपक्ष के नेता अपने समर्थको को यह एहसास करा दे कि कोरोना एक जानलेवा वायरस है। इससे बचने के लिए सरकार के तरफ से जारी निर्देश का पालन करें। बल्कि यह भी घोषणा कर दें कि सरकार के तरफ से जारी सभी योजनाओं का लाभ लेने के बावजूद भी हमें वोट करना लेकिन इस समय सरकार के तरफ से जारी किये गये निर्देशों को मानना जरूरी है।

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