
‘बोलती रोशनाई गजल संग्रह’ भाग- एक
(1) दर्द खामोश आके मिले रात दिन। बोलती रोशनाई कहे रात दिन॥ आप सहने मे माहिर सुना है बहुत। होंठ अब तक तुम्हारे सिले रात दिन॥ लो बना हमको साथी कयामत तलक। हमजुबां तुमको हमसा मिले रात दिन॥ मुझपे गुजरी है क्या कोई समझा नहीं। ज़ख्म लफ़्जों में ढलके बहे रात दिन॥ मेरा दिल भी
(1)
दर्द खामोश आके मिले रात दिन।
बोलती रोशनाई कहे रात दिन॥
आप सहने मे माहिर सुना है बहुत।
होंठ अब तक तुम्हारे सिले रात दिन॥
लो बना हमको साथी कयामत तलक।
हमजुबां तुमको हमसा मिले रात दिन॥
मुझपे गुजरी है क्या कोई समझा नहीं।
ज़ख्म लफ़्जों में ढलके बहे रात दिन॥
मेरा दिल भी है नाजुक बताऊँ तुम्हें।
शोर अन्दर, न कोई सुने रात दिन॥
हमने तूफानों मे साथ छोड़ा नहीं।
वर्क हाथों से गिरके उड़े रात दिन॥
मौत जिसको मिटाने में खुद जाए मिट।
ऐसी तारीख ‘पूनम’ लिखे रात दिन॥
(स्रोत- बोलती रोशनाई, डॉ0 फूलकली ‘पूनम’ द्वारा रचित)
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel
भारत
खबरें

Comment List