प्रकृति का संरक्षण किए बगैर जीवन की कल्पना संभव नहीं – डाॅ. एस. एन.

प्रकृति का संरक्षण किए बगैर जीवन की कल्पना संभव नहीं – डाॅ. एस. एन.

प्रकृति का संरक्षण किए बगैर जीवन की कल्पना संभव नहीं – डाॅ. एस. एन. सुब्बारावमनुष्य पर्यावरण का अंश- प्रो. जे. वी. वैशम्पायन महोबा- ‘‘वर्तमान परिस्थितियों में भारत को ऐसे विकास की आवश्यकता है, जिससे हमारी प्रकृति का संरक्षण हो। प्रकृति का संरक्षण किए बगैर जीवन की कल्पना संभव नहीं है। कोविड 19 की परिस्थितियों ने

प्रकृति का संरक्षण किए बगैर जीवन की कल्पना संभव नहीं – डाॅ. एस. एन.

सुब्बारावमनुष्य पर्यावरण का अंश- प्रो. जे. वी. वैशम्पायन 

महोबा- 

‘‘वर्तमान परिस्थितियों में भारत को ऐसे विकास की आवश्यकता है, जिससे हमारी प्रकृति का संरक्षण हो। प्रकृति का संरक्षण किए बगैर जीवन की कल्पना संभव नहीं है। कोविड 19 की परिस्थितियों ने भी हमें प्रकृति का संरक्षण करने एवं स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग के माध्यम से आत्मनिर्भर होने की सीख दी है। भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में खडा करने के लिए प्रकृति का संरक्षण जरुरी है।’’


उपरोक्त विचार राष्ट्रीय सेवा योजना, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर ‘‘पर्यावरण संरक्षण में एनएसएस की भूमिका’’ विषयक बेबिनार को मुख्य वक्ता के रुप में सम्बोधित करते हुए प्रख्यात गांधीवादी चिन्तक व राष्ट्रीय सेवा योजना के संस्थापक सदस्य पद्मश्री डाॅ0 एस0एन0 सुब्बाराव ने व्यक्त किये।सामाजिक कार्यकर्ता डाॅ0 एस0 एन0 सुब्बाराव ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना को यदि वास्तविक अर्थो में हमें क्रियान्वित करना है, तो हमें प्रतिदिन एक घण्टा देश को व एक घण्टा देह को देना होगा, ताकि हम न केवल निरोगी रहें, बल्कि राष्ट्र और समाज के कल्याण के लिए कार्य करें। उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना की स्थापना के संस्मरणों से अवगत कराते हुए कहा कि जीवन में अनुशासन के साथ-साथ सेवा भी जरुरी है। श्रमदान के स्थान पर श्रम संस्कार की अवधारणा को विकसित कर हम बेहतर समाज बना सकतें हैं। उन्होंनें सभी का आव्हान किया कि प्रकृति के संरक्षण हेतु जन्म, मृत्यु, विवाह या अन्य धार्मिक संस्कारों एवं सामाजिक उत्सवों के अवसरों पर हम एक पेड जरुर लगायें तथा उसका संरक्षण भी करें। बेबिनार के विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय सेवा योजना, भारत सरकार के क्षेत्रीय निदेशक डाॅ. अशोक श्रोती ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना अपने जन्मकाल से ही सामुदायिक सेवा के माध्यम से राष्ट्र और समाज की सेवा कर रहा है। भारतीय संस्कृति के अनुरुप एनएसएस परोपकार व समाज कल्याण की भावना को आत्मसात कर अनवरत् प्राकृतिक आपदा में भी अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। उन्होनंे कहा कि आज की पीढी फख्र से कह सकती है कि हमने सुब्बाराव जी के रुप में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दर्शन किए हैं।  कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना उ. प्र. के राज्य सम्पर्क अधिकारी डाॅ. अंशुमालि शर्मा ने कहा कि प्रकृति और विकास एक दूसरे के पूरक हैं, हम प्रकृति को जैसा देंगें, वैसा ही उससे प्राप्त करेंगें। असंतुलित विकास और प्रकृति के अत्यधिक दोहन के परिणामस्वरुप ही प्राकृतिक आपदाऐं एवं कोरोना जैसी महामारी के संक्रमण के हम शिकार होते हैं, इससे बचाव के लिए प्रकृति को पुनः भगवान स्वरुप में आदर देना होगा। उन्होनें बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा कोरोनाकाल में किए जा रहे कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए वि. वि. के कुलपति एवं एनएसएस परिवार का आभार व्यक्त किया।बेबिनार की अध्यक्षता करते हुए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के कुलपति प्रो. जे. वी. वैशम्पायन ने कहा कि मनुष्य जाति पर्यावरण का अंश है। पर्यावरण को समाप्त करने से मनुष्य के जीवन पर भी संकट आएगा। अतएव मनुष्य और मनुष्यता को बचाए रखने के लिए प्रकृति का सरंक्षण बहुत जरुरी है। इसके लिए एनएसएस के स्वयंसेवक अपनी महत्वपूर्ण निभा रहे हैं। उन्होनें पर्यावरण संरक्षण हेतु विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों से अवगत कराते हुए बताया कि कार फ्री डे, पाॅलीथीन मुक्त कैम्पस, ग्रीन कैम्पस, जल संरक्षण के माध्यम से विश्वविद्यालय अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा कर रहा है।

उन्होंनें कहा कि वर्तमान समय में डाॅ0 सुब्बाराव जैसी महान विभूतियां समाज कल्याण के लिए कार्य रही हैं। जो परहित में कार्य करता है, उसे प्रकृति के माध्यम से ऊर्जा प्राप्त होती है और वह देवत्व को प्राप्त होता है। ऐसे ही व्यक्तियों का समाज अनुसरण करता है।इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत करते हुए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी के कुलसचिव नारायण प्रसाद ने कहा कि मानव के लोभ एवं स्वार्थ ने प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट करने का कार्य कर सबसे बडा पाप किया है। पर्यावरण दिवस के अवसर पर हम संकल्प लें कि हम न केवल अधिकाधिक संख्या में पेड लगायेगें, बल्कि उन्हें संरक्षित रखने का भी कार्य करेंगें। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डाॅ. मुन्ना तिवारी ने व आभार प्रो. वी. के. सहगल ने व्यक्त किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय युवा योजना नई दिल्ली प्रभारी संजय राय, प्रो. एस. के. कटियार, वि. वि. राष्ट्रीय सेवा योजना के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डाॅ0 मुहम्मद नईम, कोविड नोडल अधिकारी डाॅ. उमेश कुमार, डाॅ. रामजी यादव, डाॅ. ब्रजेन्द्र शुक्ला, डाॅ. यतीन्द्र मिश्रा, डाॅ. श्वेता पाण्डेय, डाॅ. अनुपम व्यास, डाॅ. मिली भट्ट, डाॅ. शारदा सिंह, डाॅ. ओ.पी. चैधरी, डाॅ. एस. के. कुरील, डाॅ. सबीहा रहमानी, डाॅ. पुष्पेन्द्र सिंह चैहान, डाॅ. पिंकी सिंह, डाॅ. मनीषा वर्मा, डाॅ. ज्योति सिंह, डाॅ. संतोष पाण्डेय, डाॅ. आशुतोष मिश्रा, डाॅ. रफीक मोहम्मद, डाॅ. सुरजीत सिंह, डाॅ. सरताज खान, डाॅ. रवि आर्य, डाॅ. कमलेश कुमार, डाॅ. शिवप्रकाश त्रिपाठी, डाॅ. रोबिन कुमार सिंह, डाॅ. अमित शुक्ला, डाॅ. मनीष गुप्ता,  सहित विश्वविद्यालय परिसर एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों के कार्यक्रम अधिकारी एवं स्वयंसेवक उपस्थित रहे।  बेबिनार के पश्चात् वि. वि. राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों अमन नायक, शाश्वत कुमार सिंह, रोहित प्रजापति, काजल झां आदि द्वारा विश्वविद्यालय परिसर, आवासीय परिसर सहित जनपद के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालयों में जाकर वृक्षारोपण किया तथा विश्वविद्यालय से सम्बद्ध झांसी एवं चित्रकूट मण्डलों के सातों जनपदों में राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारियों एवं स्वयंसेवकों ने वृहद वृक्षारोपण अभियान के अन्तर्गत पौधे रोपें एवं उनके संरक्षण का संकल्प लिया।

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