कल्लू ने रखे नेहरूनगर वासियों के कण्ठ प्यासे

कल्लू ने रखे नेहरूनगर वासियों के कण्ठ प्यासे

समाजसेवी ही आगे आये उनकी प्यासे बुझाने वोट लेने के बाद धन पिपासा में जुटे पालिकाध्यक्ष पति ललितपुर। नगर की जनता के साथ धोखा करने वाले पालिकाध्यक्ष पति ने अपने मोहल्ले के स्थानीय लोगों को भी नहीं छोड़ा है। पानी की समस्या से जूझ रहे लोगों को सिर्फ आश्वसन का पानी पिलाकर उनके कण्ठ सूखे


समाजसेवी ही आगे आये उनकी प्यासे बुझाने

वोट लेने के बाद धन पिपासा में जुटे पालिकाध्यक्ष पति

ललितपुर।

नगर की जनता के साथ धोखा करने वाले पालिकाध्यक्ष पति ने अपने मोहल्ले के स्थानीय लोगों को भी नहीं छोड़ा है। पानी की समस्या से जूझ रहे लोगों को सिर्फ आश्वसन का पानी पिलाकर उनके कण्ठ सूखे रखने का कार्य किया है। तो वहीं अभी वहाँ पर समाजसेवी अपने निजी टेण्करों से पानी पिलाने का कार्य करे हैं। जबकि पालिका टैण्कर मोहल्लेवासियों की कम बल्कि अध्यक्ष की प्यास बुझाने में अधिक लगे हुये हैं। साथ ही नेहरूनगर पाइप पेयजल योजना भी अभी तक मूलभूत रूप नहीं ले पायी है।

जिस कारण पालिका कार्यकाल के ढाई साल बाद भी नेहरूनगर की स्थिति बेहाल बनी हुई है।नगर निकाय चुनाव के ठीक पहले नेहरूनगर के वोटरों को लुभाने के लिए तत्कालीन पालिकाध्यक्ष से लेकर समाजसेवियों व अन्य उम्मीदवारों ने क्षेत्र की पानी के समस्या दूर करने के लिए टैण्कर निजी तौर पर मोहल्ले में पहुंचाये। अगर किसी ने उनकी सूध नहीं ली, तो निवर्तमान पालिकाध्यक्ष ने, लेकिन फिर चूँकि स्थानीय प्रत्याशी होने के कारण वहाँ जनता ने उन पर विश्वास किया। साथ यह जानते हुये उन्हें वोट दिये, कि वह क्षेत्र की मूल भूत समस्या से परचित हैं।

भावनात्मक तौर से उन्होंने कल्लू साहू की पत्नी को वोट तो दे दिये। लेकिन इसके बाद जो पति पत्नी ने अपना रंग बदला, वह देखने ही योग्य दिखायी दिया। उन्होंने क्षेत्रवासियों की समस्या तो दूर की बात है। उनकी ओर ध्यान ही नहीं दिया। इसके लोकसभा चुनाव में जब वहाँ की जनता ने उनकी पार्टी की सबक सिखाने की ठानी, तो उन्होंने तत्कालीन सांसद व केन्द्रीय मंत्री की शरणली, साथ ही पार्टी में अपनी छवि बनाने के लिए नेहरूनगर पाइप पेयजल योजना का शिलान्यस करा दिया। लेकिन सिंचाई विभाग ने पानी देने से मना कर दिया। चूँकि सूबे में भी भाजपा की सरकार थी, इसलिए सिंचाई विभाग ने सशर्त मंजूरी दे दी।

साथ ही योजना के बजट भी पास कर दिया। जिस कारण योजना पर कार्य प्रारम्भ हो गया, लेकिन अभी तक सिंचाई विभाग के पास जल निगम द्वारा धन नहीं पहुँचा है। चूँकि सिंचाई विभाग द्वारा माँगी धनराशि पूरी योजना से कहीं अधिक है, जो शासन के बिना अनुमति के प्रदान नहीं की जा सकती है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि वर्तमान पालिकाध्यक्ष ने मोहल्लेवासियों के कण्ठ सूखे रखे हैं, वहीं समाजसेवी वहाँ की जनता की प्यास बुझाने में लगी है।

नेहरूनगर में विकास के रूप में खड़ी है पालिकाध्यक्ष की हवेली
नगर पालिका चुनाव के दौरार नेहरूनगर वासियों ने अपने मोहल्ले की उम्मीदवार को सम्पूर्ण वोट दिये। उन्हीं वोटों के कारण वह चुनाव में विजयीं हुई, किन्तु इसके बाद उन्होंने मोहल्ले में सिर्फ जीत के जश्र के रूप गुलाल उड़ाई, इसके बाद वहाँ की जनता के हाथ कुछ भी नहीं लगा। क्षेत्र के विकास के लिए वहाँ के पार्षदों के लम्बा संघर्ष करना पड़ा, यही नहीं उन्हें अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा भी खोलना पड़, जब जाकर वहाँ कि सडक़ों व नाली निर्माण प्रस्तावों को मंजूरी मिली।

लेकिन वहाँ की पानी समस्या जहाँ की तहाँ खड़ी रही। हाँ अगर नेहरूनगर में पालिका चुनाव के ढाई साल गुजर जाने के बाद भी अगर कोई विकास कार्य हुआ है, तो वह है पालिकाध्यक्ष की हवेली निर्माण का है।

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