इमाम बारगाह में मनाया हजरत अली का जन्मदिन

इमाम बारगाह में मनाया हजरत अली का जन्मदिन

– मजलिस में हज़रत अली के बताए रास्ते पर चलने का आह्वान कैराना शामली । शिया मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा हजरत अली का जन्मदिन हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर उनके द्वारा बताए रास्ते पर चलने की अपील की गई।सोमवार देर रात नगर के मोहल्ला अंसारियान में स्थित इमामबारगाह कला में हजरत अली

– मजलिस में हज़रत अली के बताए रास्ते पर चलने का आह्वान

कैराना शामली । शिया मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा हजरत अली का जन्मदिन हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर उनके द्वारा बताए रास्ते पर चलने की अपील की गई।सोमवार देर रात नगर के मोहल्ला अंसारियान में स्थित इमामबारगाह कला में हजरत अली के जन्मदिन पर एक मजलिस का आयोजन किया गया। जिसमें मौलाना जफर अब्बास द्वारा हजरत अली के जन्मदिन पर केक काटने के साथ ही कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर मौलाना जफर अब्बास ने हजरत अली के जीवन पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालते हुए बताया कि हजरत अली का जन्म मक्का में हुआ था। वह शिया मुस्लिम समुदाय के पहले इमाम थे। हजरत अली ने लोगों को दुश्मनों से भी प्रेम करने की सलाह दी थी। उनका मनाना था जो आज तुम्हारा दुश्मन है वह एक न एक दिन तुम्हारा दोस्त जरूर बन जाएगा इसलिए किसी से भी भेदभाव और मनमुटाव नहीं रखना चाहिए।

मौलाना ने हजरत अली के पांच खास संदेश सुनाते हुए कहा कि व्यक्ति को हमेशा सोच समझकर बोलना चाहिए, बोलने से पहले शब्द आपके गुलाम होते हैं लेकिन बोलने के बाद आप लफ्जों के गुलाम बन जाते हैं। हजरत अली भीख मांगने के सख्त खिलाफ थे। उनका मनाना था कि भीख मांगने से बदतर कोई और चीज नहीं होती। उन्होने ने आगे बताया कि अपनी सोच को पानी की बूंदो से भी ज्यादा साफ रखो, क्योंकि जिस तरह बूंदो से दरिया बनता है उसी तरह सोच से ईमान बनता है।मौलाना जफर अब्बास ने अंत में कहा कि हजरत अली किसी की चुगली के भी खिलाफ थे। उनका मनाना था कि चुगली करना उसका काम होता है,

जो अपने आपको बेहतर बनाने में असमर्थ होता है। हमेशा समझौता करना सीखना चाहिए, क्योंकि थोड़ा सा झुक जाना किसी रिश्ते का हमेशा के लिए टूट जाने से बेहतर है। मजलिस को वसी साकी, हुसैन हैदर, बाबर हुसैन, गुलजार व शारिब हुसैनी आदि ने संबोधित किया। इस अवसर पर शबी हैदर, मेहरबान अली, शाहनवाज हुसैन, डॉक्टर फरहत हुसैन, मोहम्मद अली, जाफर, बुद्धन हुसैन, सरदार अली, नासिर हुसैन आदि मौजूद रहे।

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