हिंदी भाषा मां है बिना उसके हिंदुस्तान की पहचान नहीं होती है-संजय कुदेशिया

हिंदी भाषा मां है बिना उसके हिंदुस्तान की पहचान नहीं होती है-संजय कुदेशिया

‌ इफको मैं हिंदी पखवारा का समापन समारोह संपन्न।






‌स्वतंत्र प्रभात ।
‌प्रयाग राज ।
दयाशंकर त्रिपाठी की रिपोर्ट। ‌

हिंदी हमारी मां है उसके बिना हिंदुस्तान के किसी भी नागरिक का कोई अस्तित्व नहीं है हिंदी से पहचान हिंदुस्तान की है ।यह  भाषा नहीं सभी नागरिक की जननी हैऔर हिंदुस्तान की पहचान है। हिंदी की उपेक्षा अगर कोई करता है तो वह अपनी मां की उपेक्षा के समान है। ‌यह बात इंडियन फार्मर फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव की  फूलपुर  के इकाई प्रमुख संजय कुदेशिया ने  हिंदी दिवस के समापन समारोह में  कही।

‌घिया नगर में आयोजित एक भव्य समारोह में  मुख्य अतिथि इकाई प्रमुख संजय कुदेशिया ने  हिंदी की उपयोगिता और आवश्यकता की व्याख्या करते हुए बताया कि मुझे यह बताते  खुशी हो रही है कि हमारा प्लांट बहुत ही टेक्निकल होने के बाबजूद भी यहां अधिकांश कार्य हिंदी में ही होता हैं ।

हिंदी भाषा मां है बिना उसके हिंदुस्तान की पहचान नहीं होती है-संजय कुदेशिया

‌इस अवसर पर उन्होंने समारोह में आए अनेक अतिथियों और विद्वानों का स्वागत करते हुए उनका अभिनंदन एवं सम्मानित किया । अन्य प्रमुख अतिथि श्रीमति कुदेशिया,श्रीमति मीरा दक्षित (पू्र्व विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग,इलाहाबाद विश्वविद्यालय), योगेश्वर(वाराणसी ज्योतिषपीठ के आचार्य), श्याम सुंदर गोस्वामी जी(वृन्दावन),आचार्य रंजीत मिश्र,अरूण कुमार त्रिपाठी जी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। तथाइस अवसर पर इफको ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री संजय मिश्रा व महामंत्री श्री स्वयं प्रकाश एंव इफको कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पंकज पाण्डेय एंव महामंत्री विनय यादव उप महाप्रबंधक कार्मिक एवं प्रशासन दानवीर सिंह संपदा अधिकारी पद्माकर त्रिपाठी एंव अन्य पदाधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। ‌भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी की पंक्ति " निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।

 ‌बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल। से उद्देश्य की व्याख्या से।कार्यक्रम की शुरुआत हुई ।छात्र अंजली कुमार ने गणपति वंदना किया। अरूण कुमार त्रिपाठी ने हिंदी सप्ताह में हिंदी साहित्य के योगदान के विषय में दर्शकों का ध्यान खींचा। श्री त्रिपाठी ने आजादी की लड़ाई में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के आजादी की लड़ाई मैं 11 पुस्तकों की रचना का उल्लेख करते हुए उन्हें हिंदी का विद्वान बताया जिन की किताबों को पढ़कर लोगों मेंआजादी की ललक जग जाती थी । ‌उन्होंने कहा उसमें अधिकांश किताबें अंग्रेजों ने जाते-जाते नष्ट कर दी।  कहा की संस्कृत और हिंदी मां और पुत्री की  तरह हैकार्यक्रम में कोरोना योद्धा के रूप में रोकश कुमार  के प्रयासों को सराहा गया, मिडिया रिपोर्टर  दयाशंकर त्रिपाठी एंव  राम नरेश यादव का भी स्वागत एवंआभार व्यक्त किया गया।

हिंदी भाषा मां है बिना उसके हिंदुस्तान की पहचान नहीं होती है-संजय कुदेशिया

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व विभागाध्यक्ष मीरा दीक्षित ने कहा की हिंदी भाषा हमारी सभ्यता और संस्कार है संस्कार अंग्रेजी और भाषा हिंदी दोनों एक साथ नहीं चल सकता। हिंदी को मातृभाषा बनाने के लिए अपनी संस्कृति और संस्कार को भी बदलना होगा। ‌भागवत कथा के विद्वान कथाकार आचार्य श्यामसुंदर गोस्वामी जी ने अपने आशिर्वाद बचन में भी हिंदी के महत्व को रेखांकित किया और अनेक उदाहरण से हिंदी के महत्व को समझाया इस दौरान हिंदी सप्ताह में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया गया। ‌कार्यक्रम  का संचालन  संतोष कुमार सिंह  ने बड़े ही विद्वता पूर्ण तरीके से किया उन्होंने अनेक विद्वानों का कविता और लेख का उदाहरण  देते हुए हिंदी के महत्व को रेखांकित किया

हिंदी भाषा मां है बिना उसके हिंदुस्तान की पहचान नहीं होती है-संजय कुदेशिया

 जिसमें लहंगा सिंह की कथा जो विश्व की 10 कहानियों में एक है कारगिल युद्ध के विजेता विक्रम बत्रा मनोज पांडे जैसे शहीदों का भी उदाहरण देते हुए यह बताने की का सफल प्रयास किया कि  अपने आखिरी वक्त में जो संदेश उन शहीदों ने दिया वह हिंदी में ही था किसी दूसरी भाषा में नहीं ।यहां यह बताना उल्लेखनीय होगा कि संचालक श्री सिंह वित्त एंव लेखा विभाग में मुख्य प्रबंधकहोने के वावजूद भी हिंदी काबहुत ही अच्छा ज्ञान रखते हैं जिसके कारण संचालन बहुत अच्छे तरीके से किया ।जिसका सभी लोगों ने प्रशंसा किया। कार्यक्रम का समापन और धन्यवाद भाषण संजय मिश्रा जनसंपर्क अधिकारी ने दिया।

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel