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सर्द मौसम में पाले की मार से फसलें हो रहीं बीमार
वजीरगंज,गोण्डा –पहले बेमौसम बारिश, फिर सूखे का प्रकोप और अब पाले की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी है। पाला गिरने की वजह से रबी की फसल खराब हो रही है। लगातार हो रहे नुकसान के कारण अब अन्नदाता का भी किसानी से मोहभंग होने लगा है। किसानों की माने तो अब खेती में
वजीरगंज,गोण्डा –
पहले बेमौसम बारिश, फिर सूखे का प्रकोप और अब पाले की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी है। पाला गिरने की वजह से रबी की फसल खराब हो रही है। लगातार हो रहे नुकसान के कारण अब अन्नदाता का भी किसानी से मोहभंग होने लगा है। किसानों की माने तो अब खेती में फायदा नहीं रह गया। ऊपर से मौसम की मार किसानों के सामने हर वर्ष आर्थिक संकट खड़ा कर देती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों गेहूं, सरसों, आलू व गन्ना फसल तैयार हो रही है। करीब एक महीने पहले बोई गई गेहूं की फसल की पहली सिंचाई बुआई हो जानी चाहिए थी, लेकिन, आर्थिक रूप से कमजोर किसानों के सामने तो बस मौसम की मेहरबानी का आसरा है। क्षेत्र की नहरें सूखी पड़ी हुई है। जो किसान सक्षम हैं वह पंपिंग सेट से गेहूं में पानी लगा रहे हैं। इसके अलावा इन दिनों पड़ रहा पाला गेहूं, सरसों, आलू की फसल के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक है।
पाले की मार से फसल खराब हो रही हैं। किसान मोहम्मद शरीफ ,ओमप्रकाश शुक्ल व राहुल सिंह ने बताया कि पाले से फसल का विकास रुक गया है। इसके कारण किसान रासायनिक खाद का प्रयोग करने को मजबूर हो रहे हैं।
फसलों के बचाव के बताए उपाय
कृषि रक्षा केंद्र के मदन मोहन यादव ने बताया कि पाले से बचाव के लिए सुबह शाम खेतों के किनारे हल्का धुआं करें व सिंचाई करें। झुलसा रोग से बचाव के लिए मैंकोजेब ढाई ग्राम दवा प्रतिलीटर पानी में डालकर छिड़काव करें। इसके करीब 10 दिन बाद रेडोमिल दो ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
माहू रोग से बचाव के लिए डाईमेट्रोएट 30 ईसी एक मिलीलीटर या इमीडियाक्लोप्राइड एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के घोल में मिलाकर छिड़काव करें। फसल पीली पड़ने लगे तो सल्फर तीन ग्राम प्रतिलीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यूरिया के घोल के छिड़काव से भी पाले से बचा जा सकता है।
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