आलू प्रौद्योगिकी केन्द्र की उन्नत किस्में अब गुजरात के लोगों का आहार बनेेंगी

आलू प्रौद्योगिकी केन्द्र की उन्नत किस्में अब गुजरात के लोगों का आहार बनेेंगी

50 आलू उत्पादक प्रगतिशील किसानों ने किया शामगढ़ स्थित केन्द्र का दौरा। करनाल 4 जनवरी, करनाल जिला के शामगढ़ स्थित हरियाणा के एकमात्र आलू प्रौद्योगिकी केन्द्र में तैयार आलू की उन्नत व नवीनतम किस्मों की महक गुजरात तक जा पहुंची है। इन्हें अपने प्रदेश में ले जाने के लिए गुजरात के साबरकांठा जिला के आलू

50 आलू उत्पादक प्रगतिशील किसानों ने किया शामगढ़ स्थित केन्द्र का दौरा।

करनाल 4 जनवरी, करनाल जिला के शामगढ़ स्थित हरियाणा के एकमात्र आलू प्रौद्योगिकी केन्द्र में तैयार आलू की उन्नत व नवीनतम किस्मों की महक गुजरात तक जा पहुंची है। इन्हें अपने प्रदेश में ले जाने के लिए गुजरात के साबरकांठा जिला के आलू उत्पादक प्रगतिशील किसानों के एक शिष्टमंडल ने शुक्रवार को केन्द्र का दौरा कर आलू की नई-नई किस्मों को देखने में गहरी रूची दिखाई। शिष्टमंडल का प्रतिनिधित्व वहां के उद्यान विकास अधिकारी डॉ० राजावत ने किया। 


केन्द्र के प्रभारी एवं उपनिदेशक डॉ० सत्येन्द्र यादव ने बताया कि कुछ दिन पहले इस केन्द्र में आलू एक्सपो (मेला) का आयोजन किया गया था, जिसमें विभिन्न प्रांतों के आलू उत्पादक किसानों का भ्रमण हुआ था। इनमें पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व कर्नाटक के किसान शामिल थे। गुजरात के किसानों को जैसे ही इसकी जानकारी मिली, वहां के प्रगतिशील किसानों ने यहां आने का प्लान बनाया और शुक्रवार को आलू प्रौद्योगिकी केन्द्र में आकर आलू की नवीनतम वैरायटीयां देखी। यादव ने बताया कि गुजराती किसानों को चिपसोना-1, चिपसोना-3 व फराईसोना(चिप्स बनाने वाले) वैरायटी के बीज दिखाए गए। इसी प्रकार कुफरी मोहन जो सब्जी के तौर पर खाने में इस्तेमाल होता है, की वैरायटी भी दिखाई।


इस बीच वहां के किसानों को, बिना मिट्टी के यानी हवा में आलू पैदा करने की बिल्कुल नई व यूनीक एरोफोनिक तकनीक भी दिखाई। हरियाणा में और केवल शामगढ़ स्थित आलू प्रौद्योगिकी केन्द्र में, सैंट्रल पोटैटो रिसर्च इन्सटीट्यूट शिमला के सहयोग से इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो कि भारत सरकार का एक संस्थान है। एरोफोनिक की सलाहकार निशा सोलंकी ने इस तकनीक के बारे में गुजराती किसानों को जानकारी दी।
डा० सत्येन्द्र यादव ने बताया कि गुजरात के किसानों को भ्रमण के दौरान केन्द्र में आलू के ब्रीड, फांउडेशन और सर्टीफाईड बीज का उत्पादन कैसे किया जाता है,

इस बारे केन्द्र के वरिष्ठ सलाहकार डा०पी के मेहता ने विस्तार से समझाया। किसानों को यह सब देखकर अच्छा लगा और उन्होंने अपने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हमें हरियाणा के करनाल में आकर बेहद खुशी हुई है और हम इस केन्द्र में तैयार आलू की नई वैरायटीयों के बीज अपने गुजरात में लेकर जाएंगे, जहां इनका उत्पादन किया जाएगा।
डॉ० सत्येन्द्र यादव के अनुसार आलू प्रौद्योगिकी केन्द्र शामगढ़ में जिस तरह से हालिया दो-तीन सालों में आलू की नई-नई किस्में ईजाद की गई है, उसे देखकर लगता है कि कृषि विविधिकरण और आलू उत्पादन के क्षेत्र में केन्द्र की गतिविधियां मील का पत्थर बनेगी।  

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