बीएलओ को आगे बढ़कर जानकारी दें — शहरी शिक्षित मतदाता

 बीएलओ को आगे बढ़कर जानकारी दें — शहरी शिक्षित मतदाता

भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा के चुनावों से पूर्व मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य की बम्पर सफलता के बाद अब देश के एक दर्जन राज्यों में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 खंड 21 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों का पालन करते हुए नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अर्थात SIR का कार्य 4 नवंबर से शुरू किया है, जिसे 4 दिसंबर 2025 तक एक माह में पूरा किया जाना अनिवार्य भी है। देश के जिन बारह राज्यों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का कार्य चल रहा है, उसके अंतर्गत 321 जिले और 1843 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें करीब इक्यावन करोड़ से अधिक मतदाता हैं।

इन सभी का SIR कार्य घर–घर जाकर साढ़े पाँच लाख से अधिक बूथ लेवल अधिकारी अर्थात बीएलओ समय सीमा में संपादित करेंगे और देश के कर्तव्यनिष्ठ जिम्मेदार कर्मचारी व नागरिक की भूमिका भी निभाते हुए दर्जन भर राज्यों में दिन–रात कार्य करते हुए नज़र आएँगे। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य को शत–प्रतिशत समय सीमा में पूर्ण करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से बीएलओ के कंधों पर है। इस कार्य का कितना अधिक दबाव इस समय बीएलओ के ऊपर है, इसका आकलन आप देशभर की मीडिया में आए दिन कई बीएलओ की आत्महत्या या हार्ट अटैक से मौत की खबरों से लगा सकते हैं।

 बक़ौल, इस समय देश के बीएलओ के ऊपर राष्ट्र के नागरिकों के सत्यापन की महती जिम्मेदारी है, जिसके चलते उनका दायित्व बहुत बड़ा है। समय सीमा में कार्य पूर्ण करने के दबाव के कारण आज देश का हर बीएलओ मानसिक रूप से तनाव में अवश्य है, लेकिन फिर भी राष्ट्रहित के इस कार्य में एक सैनिक की तरह डटा हुआ है और चुनाव आयोग द्वारा चलाए गए इस राष्ट्रीय मिशन को सफलता पूर्वक पूरा करने में मनोयोग से लगा हुआ है, इसीलिए देश के नागरिकों से—विशेषकर महानगरीय शहरी शिक्षित संभ्रांत वर्ग से—निवेदन है कि अपने क्षेत्र के बीएलओ के SIR कार्य में आगे बढ़कर अपनी तथा अपने परिवार की जानकारी देकर सहयोग करें और एक देशभक्त नागरिक होने का परिचय दें !

देश के जिन बारह राज्यों में SIR का कार्य चल रहा है, वहाँ के महानगरीय और शहरी इलाकों में रहने वाले संभ्रांत वर्ग के नागरिक SIR संबंधी सबकुछ जानते हुए भी बीएलओ को जानकारी देने से कतराते हैं और तरह–तरह के बहाने बनाकर उन्हें बार–बार चक्कर लगवाते हैं, जिससे उनका कार्य पिछड़ता है। कुछ शहरी शिक्षित लोग तो बीएलओ को दूसरे ग्रह का प्राणी समझकर उसके साथ ऐसा व्यवहार करते हैं कि लगता ही नहीं कि देश के नागरिकों का सत्यापन कार्य किया जा रहा है ! बीएलओ कोई मज़ाक या तौहीन का पात्र नहीं है।

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वह पूरे एक निर्वाचन बूथ का भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अधिकृत जिम्मेदार अधिकारी है। देश के नागरिकों को यह याद रखना चाहिए कि बीएलओ द्वारा सत्यापित नागरिक ही मतदाता बनकर मतदान का अधिकार प्राप्त करते हैं, और देश में लोकतांत्रिक सरकार चुनते हैं। मतदाता सूची में नाम होना ही देश के नागरिक होने का सबसे बड़ा प्रमाण है, जिसके आधार पर हम अन्य दस्तावेज भी बनवा सकते हैं।

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बीएलओ भी देश का, आपके बीच का ही एक जिम्मेदार नागरिक है — ऊपर से एक शिक्षक या किसी अन्य विभाग का कर्मचारी। उसका सम्मान और सहयोग करना हर नागरिक का कर्तव्य है। इस समय देश के बीएलओ के ऊपर भारत सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर अवैध रूप से रह रहे पाकिस्तानी–बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें बाहर निकालने की बड़ी जिम्मेदारी भी है। आज देशभर में अवैध घुसपैठिए इस तरह रच–बस गए हैं कि उन्होंने हमारे तंत्र में बैठे कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों और वोट बैंक बढ़ाकर सत्ता लाभ चाहने वाले भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों के सहयोग से भारतीय नागरिकों को प्राप्त होने वाले लगभग सभी दस्तावेज बनवा लिए हैं और सरकारी सुविधाओं का सर्वाधिक लाभ भी उठा रहे हैं। अवैध घुसपैठिए देश की आंतरिक सुरक्षा, लोकतंत्र और संस्कृति तीनों के लिए खतरा बनते जा रहे हैं।

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यदि देश में आबादी से अधिक आधार कार्ड बनने का मामला उजागर न हुआ होता, तो शायद न भारत निर्वाचन आयोग जागरूक होता, न ही केंद्र व राज्य सरकारें। अवैध घुसपैठियों के चलते देश के कुछ राज्यों में जब आबादी से अधिक आधार कार्ड बनने का मामला सामने आया, तो राज्य सरकारें सतर्क हुईं और भारत निर्वाचन आयोग ने यह आशंका भी व्यक्त की कि कहीं सत्ता स्वार्थ के चलते कुछ नेताओं द्वारा अवैध घुसपैठियों को मतदाता बनाकर लोकतंत्र को कमजोर तो नहीं किया जा रहा। इसी कारण बिहार विधानसभा चुनावों से पूर्व मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य किया गया, जिसमें अकेले बिहार में 65 लाख मतदाता जानकारी के अभाव में मतदाता सूची से बाहर किए गए।

 देश का शिक्षित नागरिक यह विचार करे कि जब केवल एक राज्य में ही इतनी बड़ी संख्या में मतदाता जब अपने भारतीय नागरिक होने का प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाये हे तो पूरे देश में SIR प्रक्रिया में कितने करोड़ लोग बाहर होंगे — यह सोचना भी बड़ा कठिन है ? यदि हम भारतीय अपने देश को बाहरी ताकतों से बचाना चाहते हैं और सुखद भविष्य देखना चाहते हैं, तो सभी नागरिकों को विशेषकर शहरी शिक्षित संभ्रांत लोगों को  मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य में आगे आकर बीएलओ का सहयोग करना होगा। तभी देश के भीतर नागरिक बनकर बैठे देशविरोधी तत्वों की पहचान होगी और उन्हें बाहर किया जा सकेगा। चुनाव आयोग द्वारा देश में SIR का कार्य देश को आंतरिक दुश्मनों से बचाने के लिए एक महायज्ञ के रूप में चलाया जा रहा है, जिसमें देश के हर नागरिक को बीएलओ का सहयोग कर इस महायज्ञ को सम्पन्न कराने  हेतू अपनी जानकारी रूपी आहुति देना होगी तभी देश में शांति, सद्भाव और प्रेम कायम रहेगा !

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