Gehun Ki Kheti: किसान गेहूं की इन किस्मों की करें बुवाई, हो जाएंगे मालामाल

Gehun Ki Kheti: किसान गेहूं की इन किस्मों की करें बुवाई, हो जाएंगे मालामाल

Gehun Ki Kheti: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में रबी सीजन की तैयारियां इस समय पूरे जोरों पर हैं। धान की कटाई पूरी होने के बाद अब किसान खेतों में गेहूं की बुवाई में जुट गए हैं। खेतों में ट्रैक्टर और रोटावेटर की आवाजें लगातार गूंज रही हैं।

किसानों का कहना है कि इस बार मौसम पूरी तरह गेहूं की खेती के अनुकूल बना हुआ है, जिससे फसल की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसान सही किस्म का चयन करें और समय पर बुवाई करें, तो उन्हें बेहतर उत्पादन और अधिक मुनाफा मिल सकता है।

लखीमपुर खीरी के कई इलाकों में कृषि विभाग की सलाह पर किसान पारंपरिक किस्मों की बजाय नई और उन्नत किस्मों की ओर रुख कर रहे हैं। इस बार जिले में सुपर 279, DBW-327 और PBW-826 जैसी उच्च पैदावार वाली किस्में किसानों की पहली पसंद बनी हुई हैं। ये किस्में न केवल ज्यादा उत्पादन देती हैं, बल्कि मौसम के उतार-चढ़ाव और रोगों को भी आसानी से झेल लेती हैं।

सुपर 279 किस्म

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सुपर 279 किस्म अपनी स्थिर उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती है। इसकी फसल 130 से 140 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति एकड़ 22 से 28 क्विंटल तक उत्पादन मिल जाता है। इस किस्म का दाना चमकीला और मोटा होता है, जो बाजार में बेहतर कीमत दिलाता है। किसान बताते हैं कि सुपर 279 में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और यह समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त है।

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DBW-327 गेहूं

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DBW-327 गेहूं की सबसे भरोसेमंद किस्मों में से एक मानी जाती है। इसकी फसल 130 से 140 दिनों में तैयार होती है और यह अधिक धूप, ठंड या कम बारिश जैसी परिस्थितियों में भी अच्छा उत्पादन देती है। प्रति एकड़ करीब 30 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है, जो लगभग 75 से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंचता है। इसके पौधे मजबूत होते हैं और गिरने की संभावना कम रहती है, जिससे फसल की गुणवत्ता बरकरार रहती है।

PBW-826 किस्म

वहीं PBW-826 किस्म भी किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यह किस्म 140 से 145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और प्रति एकड़ लगभग 24 से 25 क्विंटल तक उत्पादन देती है। इसकी बालियां भरी होती हैं और दाने सफेद व चमकीले होते हैं, जिन्हें बाजार में काफी पसंद किया जाता है। किसानों का कहना है कि इस किस्म में पत्तों पर रोग या कीट का प्रभाव बहुत कम होता है।

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यदि किसान समय पर बुवाई करें, संतुलित खादों का प्रयोग करें और फसल की सिंचाई सही समय पर करें, तो इन उन्नत किस्मों से मुनाफा दोगुना किया जा सकता है। साथ ही बीज उपचार और खरपतवार नियंत्रण पर ध्यान देने से उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार होगा। किसानों को उम्मीद है कि अनुकूल मौसम और उन्नत बीजों के प्रयोग से इस बार गेहूं की पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है।

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