Success Story: 11वीं में फेल, आज मध्य प्रदेश की डिप्टी कलेक्टर: पढ़ें प्रियल यादव की सक्सेस स्टोरी

Success Story: 11वीं में फेल, आज मध्य प्रदेश की डिप्टी कलेक्टर: पढ़ें प्रियल यादव की सक्सेस स्टोरी

Success Story: कहते हैं, "असफलता से मत डरो, बल्कि कोशिश न करने से डरो।" यह कहावत प्रियल यादव (अब प्रियल सिंह राठौड़) की जिंदगी पर बिल्कुल सटीक बैठती है। कभी 11वीं में असफल होने वाली यह साधारण किसान परिवार की बेटी आज मध्य प्रदेश में डिप्टी कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने न सिर्फ एक, बल्कि तीन बार MPPSC परीक्षा पास कर यह साबित कर दिया कि संघर्ष और आत्मविश्वास के दम पर कोई भी मुकाम पाया जा सकता है।

किसान परिवार की बेटी, जिनके सपनों को पंख मिले

प्रियल यादव मध्य प्रदेश के हरदा जिले की रहने वाली हैं। उनके पिता किसान हैं और मां एक गृहिणी। उनका बचपन गांव के सीमित संसाधनों में बीता। उनके माता-पिता खुद ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं पिता तीसरी पास और मां सातवीं या आठवीं तक पढ़ी हैं लेकिन उन्होंने कभी भी प्रियल की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं बनने दी। उन्होंने अपनी बेटी को बेहतर भविष्य के लिए इंदौर भेजा।

टॉपर से असफलता तक: 11वीं में फेल हो गई थीं

प्रियल 10वीं तक पढ़ाई में टॉपर रहीं। उन्हें 10वीं में 90% अंक मिले थे। लेकिन 11वीं में उन्होंने रिश्तेदारों के दबाव में आकर मेडिकल स्ट्रीम (PCM) चुनी, जिसमें उनकी रुचि नहीं थी। नतीजा यह हुआ कि वे फिजिक्स में फेल हो गईं। यह उनके जीवन की पहली बड़ी असफलता थी।

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हार नहीं मानी, चुना सिविल सर्विस का रास्ता

असफलता के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी रुचि के मुताबिक 12वीं पूरी की और फिर इंजीनियरिंग की पढ़ाई में दाखिला लिया। डिग्री के बाद उन्हें एक अच्छी नौकरी का प्रस्ताव मिला, लेकिन उन्होंने सिविल सेवा में जाने का सपना देखा। पहले उनके पिता ने मना किया, लेकिन बाद में बेटी के आत्मविश्वास को देख कर सहमति दे दी।

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MPPSC में तीन बार सफलता, हर बार बेहतर रैंक

प्रियल ने MPPSC की परीक्षा पहली बार 2019 में दी, जिसमें उन्हें 19वीं रैंक मिली और वे जिला रजिस्ट्रार बनीं। इसके बाद 2020 में दोबारा परीक्षा दी और 34वीं रैंक के साथ सहकारिता विभाग में सहायक आयुक्त बनीं। लेकिन वे इससे संतुष्ट नहीं थीं।

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2021 में उन्होंने फिर परीक्षा दी और इस बार 14वीं रैंक हासिल कर डिप्टी कलेक्टर बनीं। खास बात यह है कि वे राज्य की टॉप 10 महिला उम्मीदवारों में भी शामिल रहीं।

प्रियल कहती हैं, “मैं एक ऐसे ग्रामीण इलाके से हूं जहां लड़कियों की शादी कम उम्र में करा दी जाती है, लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझ पर कभी ऐसा दबाव नहीं डाला।” उनकी इस सोच ने प्रियल कोसिर्फ पढ़ने का मौका दिया, बल्कि आज वह हजारों लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं।

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