सोनभद्र चोपन रोड पर लापता नाला और मानसून का जलजमाव -जिम्मेदार कौन।

चोपन रोड नाला चढ़ा भ्रष्टाचारियों की भेंट, लोगों ने किया अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग

सोनभद्र चोपन रोड पर लापता नाला और मानसून का जलजमाव -जिम्मेदार कौन।

नाला की विलुप्त होने से नगर में गंदगी और जल जमाव की समस्या, बीमारी फैलने का खतरा

अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट) 

सोनभद्र /उत्तर प्रदेश -

ओबरा स्थित शारदा मंदिर और बिल्ली चढ़ाई के बीच से होकर गुजरने वाला प्राकृतिक नाला संख्या 8(क) अब केवल कागजों और स्थानीय लोगों की यादों में ही जिंदा रह गया है। यह नाला, जो कभी बाड़ी से आने वाले पानी के लिए एक महत्वपूर्ण जल निकासी मार्ग था,अब लगभग पूरी तरह से अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुका है।जिसका खामियाजा चोपन रोड ओबरा बग्घानाला मार्ग के निवासियों और राहगीरों को मानसून के दौरान भुगतना पड़ रहा है, जब थोड़ी सी भी बारिश में सड़क पर भयंकर जलजमाव हो जाता है।

IMG_20250524_184554

महाराज पुर विधानसभा क्षेत्र में सांसद विधायक खेल स्पर्धा शुरू Read More महाराज पुर विधानसभा क्षेत्र में सांसद विधायक खेल स्पर्धा शुरू

वर्ष 2006 तक इस नाले के लगभग 20 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा कर लिया गया था। चौंकाने वाली बात यह है कि इस पर क्रशर प्लांट स्थापित किए गए और कई इमारतें खड़ी कर दी गईं यहां तक कि खदानें भी बना ली गईं। इन कब्जों के पीछे घास-पत्ती वाले विभाग संभवत वन विभाग सहित राजस्व विभाग को संलिप्तता साफ नजर आती है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जब भी कोई नया अधिकारी आता था तो ये कब्जाधारी उन्हें बाल्टी भर दूध पहुंचा देते थे। यह दूध कोई साधारण दूध नहीं, बल्कि लाखों रुपये की घूस होती थी, जिसके एवज में अधिकारी इन अवैध कब्जों पर आंखें मूंद लेते थे।

आयुध निर्माणियों का निगमीकरण किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं- अशोक सिंह Read More आयुध निर्माणियों का निगमीकरण किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं- अशोक सिंह

परिणामस्वरूप वर्ष 2025 आते-आते यह नाला लगभग पूरी तरह से विलुप्त हो चुका है। जहां एक समय प्राकृतिक जलधारा बहती थी, वहां अब कंक्रीट के ढांचे और खनन के अवशेष दिखाई देते हैं। विडंबना यह है कि इस नाले पर कभी बनी पुलियाएं आज भी चोपन रोड पर मौजूद हैं, मानो अतिक्रमण की कहानी सुना रही हों। इन पुलियाओं के नीचे और आगे-पीछे नाला गायब है, जिससे बारिश का पानी सड़क पर ही जमा हो जाता है और चोपन रोड मानसून के दौरान शानदार स्ट्रीट वाटर पार्क में तब्दील हो जाती है।

गांवों को रोशन करने के नाम पर करोड़ों का खेल, स्ट्रीट लाइट खरीद में भारी भ्रष्टाचार का आरोप Read More गांवों को रोशन करने के नाम पर करोड़ों का खेल, स्ट्रीट लाइट खरीद में भारी भ्रष्टाचार का आरोप

सबसे गंभीर बात यह है कि घास-पत्ती वाला विभाग आज भी इस अतिक्रमण क्षेत्र को नाला मानता है। इसका सीधा अर्थ यह है कि वे शरीफ कब्जाधारियों से दूध अवैध वसूली लेना जारी रखे हुए हैं। इस मिलीभगत का सीधा नुकसान आम जनता को उठाना पड़ रहा है, जिन्हें हर मानसून में जलभराव, गंदगी और आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से चिंताजनक है, बल्कि यह भ्रष्टाचार और प्रशासनिक निष्क्रियता का भी एक ज्वलंत उदाहरण है।

यह मामला केवल सोनभद्र का नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में अवैध अतिक्रमण और सरकारी तंत्र की मिलीभगत से प्राकृतिक जलस्रोतों के विनाश की एक बानगी है। जब तक जिम्मेदार विभाग अपनी आंखें नहीं खोलेंगे और कठोर कार्रवाई नहीं करेंगे, तब तक आम जनता को ऐसे स्ट्रीट वाटर पार्क का आनंद लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel