क्या है अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा हाट सीट होने की वजह
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उत्तर प्रदेश में वैसे तो उप चुनाव दस विधानसभा सीटों पर होने हैं लेकिन यदि किसी विधानसभा क्षेत्र की सबसे ज्यादा चर्चा है तो वह है अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट। इस सीट के लिए सपा और भाजपा दोनों ने रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। वहीं बसपा भी इस बार जोर लगा रही है यानिकि मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना दिखाई दे रही है। मिल्कीपुर विधानसभा सीट रिजर्व एससी सीट है और यह समाजवादी पार्टी के वर्तमान सांसद अवधेश प्रसाद के इस्तीफा देने से खाली हुई है। यह सीट पहले भी भाजपा के पास नहीं थी। लेकिन हाल के लोकसभा चुनाव में अयोध्या संसदीय सीट हार जाने के कारण भारतीय जनता पार्टी मिल्कीपुर विधानसभा सीट जीत कर अपना पक्ष मजबूत करना चाहती है। भारतीय जनता पार्टी को जितना कष्ट अयोध्या लोकसभा सीट हार जाने का है उतना शायद किसी हार का नहीं होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो बार मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। और हर तरह से रणनीति तैयार कर रहे हैं।2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बाबा गोरखनाथ को 13338 मतों के अंतर से हराया था। यदि इतिहास की बात करें तो यहां सबसे पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने काफी लंबे समय तक जीत हासिल की है। भाकपा के मित्र सेन यादव यहां से चार बार विधायक चुने गए हैं। बाद में मित्र सेन यादव समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। यहां पर कांग्रेस को तीन बार, जनसंघ को एक बार सपा को तीन बार भाजपा दो बार और बसपा को एक बार सफलता मिली है। बाद में यह सीट एससी घोषित हो गई। 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के गोरखनाथ बाबा ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद को हराया था। और 2022 के विधानसभा चुनाव में वे अवधेश प्रसाद से चुनाव हार गए।
मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 340820 है जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 182430 है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 158381 है। यदि जातिगत आंकड़ों की बात की जाए तो मिल्कीपुर में सबसे ज्यादा 60000 ब्रह्मण मतदाता हैं जब कि दूसरे नंबर पर यादव और पासी 55-55 हजार हैं। यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30000 जब कि ठाकुर और दलित वोट 25-25 हजार हैं। कोरी 20000 और चौरसिया वोटों की संख्या 18000 है। वैश्य 12000 तो पाल 7000 हैं। इस सीट पर मौर्य की संख्या 5000 है। जबकि अन्य वोटरों की संख्या 18000 है। भारतीय जनता पार्टी को यह सीट जीतने में परेशानी नहीं है क्योंकि पिछली बार से पहले 2017 में वह यह सीट जीत चुकी है। लेकिन तय यह होना है कि भारतीय जनता पार्टी किस जाति के उम्मीदवार को टिकट देती है। जो खबरें मिल रही हैं उनसे ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी इस बार पासी उम्मीदवार पर दांव लगा सकती है। और समाजवादी पार्टी ने पहले ही अवधेश प्रसाद के पुत्र को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। जब कि बहुजन समाज पार्टी इस बार मजबूती से दलित वोट बैंक बचाने के लिए पूरे प्रयास में है।
मायावती इस उपचुनाव में सपा का ज्यादा नुक्सान कर सकतीं हैं। लेकिन एससी सीट होने के कारण भारतीय जनता पार्टी को भी नुक्सान होने से इंकार नहीं किया जा सकता। भारतीय जनता पार्टी में 2014 से जो उछाल आई है उसका सीधा संबंध अयोध्या से ही है। राम मंदिर बनाने का वादा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता भाजपा की जीत का प्रमुख कारण रहे हैं। लेकिन हाल के लोकसभा चुनावों में। इन दोनों कारणों पर जनता ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई और उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी लगभग आधी सीटों पर रह गई। जबकि केन्द्र सरकार बनाने मैं भी उसको वैशाखियो का सहारा लेना पड़ा। पिछले लोकसभा चुनाव के परिणामों को देखें तो यह लगता है कि जनता बेरोजगारी और महंगाई से ज्यादा त्रस्त दिखाई दे रही है। और उसी को देख कर उसने वोट किया है। हालांकि उत्तर प्रदेश में चुनाव चाहे। लोकसभा के हों या विधानसभा के जातियों का बोलबाला रहता है। जो जितने अच्छे जातिगत समीकरण साधने में कामयाब होता है जीत उसी को मिलती है।
भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो वह यह जाति बंधन तोड़ना चाहती है। और हिंदुत्व, और राममंदिर के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ना चाहती है। क्योंकि भाजपा जाति के मुद्दे पर सपा बसपा से पीछे दिखाई पड़ती है। समाजवादी पार्टी को वोट परिवर्तित की कला का अच्छा ज्ञान है। खासकर इस लोकसभा चुनाव में तो यह खुलकर सामने आ गया कि समाजवादी पार्टी ने बड़ी संख्या में दलित वोटों पर कब्जा किया है जिससे मायावती बहुत ही चिंतित नजर आ रही हैं। बसपा ने कभी उपचुनाव को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई है लेकिन इस बार वह पूरी तरह से उपचुनाव लड़ने की तैयारी में है। और मिल्कीपुर सीट एक राजनैतिक अखाड़ा बन चुकी है अब देखना है कि इस अखाड़े में कौन किसको मात देता है। समाजवादी पार्टी को अपनी सीट बचानी है जब कि भारतीय जनता पार्टी अयोध्या की हार का बदला मिल्कीपुर की जीत से लेना चाहती है। जिससे कि विपक्ष के पास 2027 के लिए यह न कहने को रह जाये कि अयोध्या जिले ने भारतीय जनता पार्टी को पूरी तरह से नकार दिया है। यहां पर जीत भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत मायने रखती है।
जितेन्द्र सिंह पत्रकार
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