राजमाता साहब माधवी राजे सिंधिया वात्सल्य की प्रतिमूर्ति : हेमेन्द्र क्षीरसागर
यूं ही चले जाना जीवन की अपूरणीय क्षति
बालाघाट। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया
की मां, राजमाता साहब माधवी राजे सिंधिया देवलोक गमन अत्यंत हृदय विदारक है। राजमाता मातृत्व, वात्सल्य और प्रतिपालक की जीती जागती प्रतिमूर्ति थी। जिससे हम सब आज ओझल हो गए। इनका त्याग, तपस्या और बलिदान प्रेरणापुंज है। शोक स्तब्ध अपनी शब्दांजलि में मातृभूमि सेवा संघ जिलाध्यक्ष हेमेन्द्र क्षीरसागर ने कहा, मां जीवन का आधार होती हैं, मां जननी हैं।
मां भगवान से बडी हैं, मां के बिन सब सुन हैं। आखिर मां है तो हम हैं। राजमाता की यूं ही चले जाना जीवन की अपूरणीय क्षति है। मां का आंचल छिन जाना संतान के लिए एक वज्राघात है। जिसकी भरपाई युगीन असंभव है। भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हेमेन्द्र क्षीरसागर ने परमात्मा से दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में विश्रांति और परिजनों को यह गहन दु:ख सहन करने की असीम शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की हैं।
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