उत्तर प्रदेश में हलाल क्यों हुआ ‘हराम’ , क्या है इससे नाराजगी उत्तरप्रदेश सरकार को ?

उत्तर प्रदेश में हलाल क्यों हुआ ‘हराम’ , क्या है इससे नाराजगी उत्तरप्रदेश सरकार को ?

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक शिकायत के बाद हलाल सर्टिफिकेट देने के कारोबार पर बैन लगा दिया ।  इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफाइड प्रॉडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंगसेलिंग और स्टोरेज गैर-कानूनी हो गया है।  अब यदि कोई  फर्म फूड आइटमदवाइयां और सौंदर्य प्रसाधन के उत्पादों का हलाल सर्टिफिकेट जारी करता हैतो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

दरअसलभारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारी शैलेंद्र कुमार शर्मा की शिकायत में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश में बिना किसी कानूनी अधिकार के एक समुदाय विशेष को प्रभावित करने के लिए फूड आइटम्सदवाइयां और ब्यूटी प्रोडक्ट्स को हलाल सर्टिफाइड के तहत बेचा जा रहा है।  इसमें साबुनबिस्कुटटूथपेस्टटूथब्रशचाय पत्तीचीनीबेकरीडेयरीतेल और नमकीन सहित कई उत्पाद शामिल हैं।


समाचारों के अनुसार इस समय चार बड़ी कंपनी जो हलाल सर्टिफिकेट दे रही थी । एक चेन्नई की हलाल इंडियादिल्ली की जमीयत उलमा ए हिंद हलाल ट्रस्टमुंबई की हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया । इन पर यह  आरोप लगाया गया था कि ये जो उत्पाद बना रहे हैं वह सिर्फ एक वर्ग विशेष के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए है। उसकी बिक्री को बढ़ावा देने के लिए है। इससे जो दूसरा समुदाय हैउसकी बिक्री कम होती है। सिर्फ यही नहीं एफआईआर में उन्होंने यह भी बात कही है कि इससे टेरर फंडिंग हो रही है और इससे राष्ट्र विरोधी गतिविधियां संचालित हो रही हैं। इस आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है। जब सरकार उन सारे उत्पादों पर बैन लगाते हुए छापेमारी शुरू कर दी। सरकार का यह मानना है कि जो इस तरह के खाद्य उत्पाद बिकते हैं या और उत्पाद बिकते हैं उसके लाइसेंसीकरण की जो विधित प्रक्रिया है,वो फूड एंड ड्रग्स एक्ट के तहत आती है। वह उसका पालन नहीं करते। उसके दायरे में ये नहीं आते। इसलिए इस तरह का कोई भी सर्टिफिकेट देना प्रतिबंधित है।


दरअसल निजी संस्थाएं यह प्रमाण पत्र जारी कर रही थी । सवाल यह उठता है कि हलाल सर्टिफिकेट लोग लेते क्यों हैइसकी वजह क्या हैहलाल सर्टिफिकेट के शुरुआत को अगर हम देखें तो 1974 से इसकी शुरुआत हुई थी। हलाल सर्टिफिकेट पहले सिर्फ मांस से जुड़े हुए उत्पादों के लिए दिया जाता था। उसके बाद 1993 में यह अन्य प्रोडक्ट जैसे कॉस्मेटिक,साबुन,तेल इसके लिए भी देना शुरू कर दिया गया। इसकी वजह यह थी कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कारपोरेशन के तहत जो देश आते हैं सऊदी अरबदुबईऔर लगभग 57 इस्लामी प्रभाव वाले देश हैं वहां पर यह प्रोडक्ट भेजते हैं। उन्होंने इस सर्टिफिकेट को अनिवार्य कर दिया था कि अगर यह हलाल सर्टिफिकेट नहीं लगा होगा तो हम इस तरह के उत्पादों को बेच नहीं सकते हैं। भारत के पतंजलि जैसे संस्था को भी हलाल सर्टिफिकेट लेना पड़ा। तब उनके प्रोडक्ट वहां भेजे जा सके। तो इस वजह से यह अनिवार्य हो गया। लेकिन इस पर सरकार का कोई अधिकार नहीं है। यह जो सारी संस्थाएं हैं वो निजी संस्थाएं हैं और अपने तरीके से हलाल का सर्टिफिकेट देती हैं। 


हमारे यहाँ निर्यात करने वाले प्रोडक्ट पर किसी भी तरह का बैन नहीं है। दरअसलयहां का जो खाद्य और औषधि प्रसाधन विभाग है जिसको एफडीए कहते हैं उसका यह मानना था कि हमारे यहां जो खाद्य उत्पाद हैंकॉस्मेटिक्स हैं,वो फूड एवं ड्रग एक्ट के तहत गवर्न होते हैं। जो लाइसेंस मिलता था वह फूड सेफ्टी और स्टैंडर्ड अथॉरिटी के तरफ से जारी किया जाता है। जिसे एफएसएसएआई कहते हैं। लेकिन जो हलाल सर्टिफिकेट है उसका प्रमाणीकरण नहीं करते हैं। इस वजह से उन्होंने इस पर बैन लगाया।

लेकिन निर्यात को ध्यान में रखते हुए जिसमें 57 इस्लामी प्रभाव वाले देश हैं वहां पर इन उत्पादों को भेज सकें और व्यापार प्रभावित न हो इसके लिए फिलहाल जो निर्यात के लिए भेजे जाने वाले उत्पाद हैं उसे पर किसी तरह का बैन नहीं लगाया गया है।पहले यह मन जाता था  कि जो हलाल सर्टिफाइड फूड प्रोडक्ट्स हैंयह केवल खाद्य उत्पादों के लिए दिए जाते थे। लेकिन धीरे-धीरे यह मेडिकल इक्विपमेंटदवाइयांकॉस्मेटिक इन सारी चीजों के लिए दिए जाने लगे।

हलाल का मतलब होता है कि जो इस्लामिक कानून के दायरे में आते हों। वही उत्पाद हलाल हैं। तो जाहिर सी बात है कि एक समुदाय विशेष उन उत्पादों को ज्यादा इस्तेमाल करेगा। ज्यादा अच्छे से उसका उपयोग करेगाजिस पर हलाल सर्टिफिकेट लगा हुआ है। इसलिए उनका आरोप यह था कि एक समुदाय विशेष की बिक्री को बढ़ाने और दूसरे समुदाय विशेष की बिक्री को घटाने के लिए किया जा रहा है। अगर कोई  उत्पाद एक वर्ग विशेष में हलाल सर्टिफिकेशन के जरिए जाता है तो जाहिर सी बात है कि वह लोग सिर्फ और सिर्फ उसी तरह के उत्पाद लेंगे। इससे काफी सारा नुकसान समाज को भी होगा।

बताया जाता है कि इस पूरे घटनाक्रम में जो हलाल सर्टिफिकेशन देने वाली संस्थाएं हैं वहां टेरर फंडिंग के जरिए पैसा आता है। इसका आंकड़ा देखें तो हलाल काउंसलिंग ने बहुत पहले एक रिसर्च करवाया था जिसके आधार पर पूरे बाजार में इस तरह के सार्टिफिकेट वाले उत्पादों की हिस्सेदारी सिर्फ 19% है। और अगर सर्टिफिकेट लेते भी है तो एक बार के सर्टिफिकेट लिए 26 से लेकर 60,000 रुपये लगता है। तो जाहिर सी बात है कि पूरे देश में इसमें करोड़ों रुपए इंवॉल्व होता है। तो यह सारा पैसा जो आता है तो इनका आरोप था कि वह बाद में टेरर फंडिंग के लिएराष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए भेजा जाता है। इसी के बाद से योगी सरकार ने इसकी जांच के लिए एसटीएफ को लगाया है। जिससे इसके बाकी सारे जो आयाम हैं उसको चेक कर सके और उस पर लगाम लगा सके।

बताया जा रहा  है कि एसटीएफ जल्द ही उन सारी कंपनी को जिसमें चेन्नई की हलाल इंडिया हैदिल्ली की जमीयत उलमा ए हिंद हलाल ट्रस्ट हैमुंबई की हलाल काउंसिल आफ इंडिया हैइन सबको नोटिस को जारी करने जा रही है। नोटिस जारी करने के बाद उनसे पूछताछ करेगी। उनके सारे लोगों को बुलाएगी तो फिर इसका दायरा बढ़ेगा। तो इस वजह से इसका सारा जो फोकस है वो आतंकवादी लिंक खोजने में लग गया है। इसलिए एसटीएफ को इसमें लगाया गया है।

एसटीएफ आसानी के साथ मुंबईदिल्ली और चेन्नई सहित अन्य राज्यों में हलाल प्रमाणित उत्पादों को तैयार करने वाली कंपनियों के ठिकानों पर कभी भी छापेमारी कर सकती है। उच्च आधिकारिक सूत्रों के अनुसारएसटीएफ इस जांच के लिए अलग से एक टीम का गठन कर रही है। इसका काम केवल इसी मामले की तेजी के साथ जांच करना होगा।पुलिस और एसटीएफ की जांच के आधार पर टेरर फंडिंग और प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठनों के साथ कंपनियों के संबंधों की आगे की जांच के लिए सरकार आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) को भी लगा सकती है।

बीते कुछ समय से उत्तर प्रदेश में लगातार आतंकियों की हो रही गिरफ्तारी और उन्हें की जा रही टेरर फंडिंग की जांच एटीएस की टीमें पहले से ही कर रही हैं।एसटीएफ जांच की शुरुआत उक्त कंपनियोंडिस्ट्रीब्यूटरों और उत्पाद विक्रेताओं के बैंक खातों से करेगी। सूत्रों का कहना है कि बैंक खातों की जांच के बाद ही तमाम सच्चाई सामने आ जाएगी। साथ ही कंपनियों द्वारा विदेशों में उत्पादों की आपूर्ति के बदले धनराशि किस माध्यम से ली जाती थीइसकी भी जांच एसटीएफ की टीम करेगी।

अशोक भाटिया,

वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक  एवं टिप्पणीकार

About The Author

Post Comment

Comment List

अंतर्राष्ट्रीय

ट्रम्प पर चलने वाली कान को छू कर निकली चीज गोली ही थी या फिर? ये क्या नई थ्योरी दे दी- FBI निदेशक ट्रम्प पर चलने वाली कान को छू कर निकली चीज गोली ही थी या फिर? ये क्या नई थ्योरी दे दी- FBI निदेशक
Internation Desk  पेंसिल्वेनिया में एक रैली के दौरान पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक शूटर के निशाने पर थे। लेकिन इससे...

Online Channel

साहित्य ज्योतिष

राहु 
संजीव-नी।
संजीव-नी।
संजीवनी।
दैनिक राशिफल 15.07.2024