बच्चे पढ़ेंगे तो देश आगे बढ़ेगा
हेमेन्द्र क्षीरसागर, लेखक, बाल अधिकार कार्यकर्ता
पढ़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे, आगे बढ़ेंगे तो समाज गढ़ेंगे। समाज गढेगें तो देश आगे बढ़ेगा। देश की तरक्की के लिए बच्चों पढ़ाना बेहद ज़रुरी है। इसीलिए हमें बच्चों के पढ़ाई के तौर-तरीकों को समझना होगा। लिहाजा, बच्चे के साथ बैठें। श्रेणी को लेकर दबाव न डालें। बच्चे के पक्ष में रहें, पढ़ाई की बात करें। पढ़ाई का शेड्यूल बनाएं, पढ़ाई का माहौल बनाएं। बच्चे के शिक्षक से भी मिलें।

वहीं छोटे बच्चों को पढ़ाने के तरीकों के बारे में बात करें तो शिक्षा की उपयोग बताएं। पेंसिल को पकड़ने की नियम बताएं। उनकी बुनियादी शिक्षा पर ध्यान दें। वीडियो के माध्यम से पढ़ाने पर बल दे। खेल-खेल में सिखाते रहें। होमवर्क बनाने में मदद करें। मौखिक रूप से पढ़ाएं। उनके नखरों पर ध्यान दें। अतिरेक बच्चों को पढ़ाई में रुचि बढ़ाने के अभिप्राय पढ़ाई का उपयोग बताएं। पढ़ाई को खेल बनाएं। बच्चें को कहानी सुनाएं। बच्चें को सामुहिक कार्यक्रम में शामिल करें। बच्चों से कविता सुने। बच्चों को ग्रुप में पढ़ाएं। बच्चों को पढ़ने के लिए ना डांटे बल्कि समझाएं।
आदर्श विकल्प गुणा और भाग शुरू करने। वैज्ञानिक अवधारणाओं को लागू करने। भाषण के हिस्सों की पहचान करने और महत्वपूर्ण सोच कौशल में सुधार करने पर जोर। छात्रों के स्तर के अनुरूप चुनौती रखें और उनको समाधान खोजने के लिए सकारात्मक प्रतिस्पर्धा का अवसर दें। अपनी कक्षा की शुरूआत सवालों के साथ करें। जवाब के साथ नहीं – सवालों का जवाब रटना बोरियत भरा होता है। ऐसा करके आप छात्रों की सीखने में रूचि को बरकरार रख सकते हैं।
एक शिक्षक को छात्रों को सीखने में आसान बनाने में मदद करने। मार्गदर्शन करने और एक अनुकूल वातावरण प्रदान करके सीखने की सुविधा प्रदान करना है। शिक्षक ज्ञान और जानकारी देता है। छात्रों के स्तर को बहुत स्पष्ट और सरल तरीके से उपयुक्त करता है ताकि वे नई जानकारी को सीख सकें और अवधारणा बना सकें।
अभिभूत, एक मेधावी बच्चे के पालन-पोषण के लिए उनके साथ बोर्ड गेम खेलें । चेकर्स, शतरंज और बैकगैमौन जैसे खेल बच्चों को सोचने और समस्याओं को हल करने में सक्षम बनाते हैं क्योंकि वे जीतने की कोशिश करते हैं। जिससे संज्ञानात्मक क्षमताओं का निर्माण होता है। अपने बच्चे को नई संरचनाएँ बनाने के लिए उनकी रचनात्मकता का उपयोग करने के लिए शिक्षा के विभिन्न आयामों को महत्व दिया जाना चाहिए। काश: ऐसा हम कर ले तो बच्चे के भविष्य निर्माण में हम सहायक सिद्ध हो सकते हैं। आखिर शिक्षा एक ऐसा शास्त्र जो शस्त्र से बढ़कर है।
हेमेन्द्र क्षीरसागर, लेखक, बाल अधिकार कार्यकर्ता

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