नियोजन नीति आंदोलन को लेकर बनी रणनीति
नियोजन नीति आंदोलन को लेकर बनी रणनीति
संजय मेहता के नेतृत्व में एकजुट होंगे युवा, आंदोलन को करेंगे तेज
बरही से भी आंदोलन को दिया जाएगा धार
बरही/हज़ारीबाग़/झारखण्ड - धनंजय कुमार
बरही से नियोजन नीति को लेकर आंदोलन तेज की जाएगी। इस बावत बरही प्रखंड के अब्दुल कलाम पार्क में एक बैठक की गयी।
आंदोलन को आगे ले जाने को लेकर एक कमिटी बनायी गयी। कमिटी का संरक्षक संजय मेहता को चुना गया। युवाओं ने आंदोलन को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है। बैठक में आंदोलन को धार देने का फैसला लिया गया। साथ ही नियोजन नीति को लेकर बरही क्षेत्र में जन जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया गया।
इस दौरान यह निर्णय लिया गया कि बरही अनुमंडल क्षेत्र के सभी शैक्षणिक संस्थाओं, निजी विद्यालय संघ, कोचिंग संस्थान, शिक्षक, छात्र, छात्रा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवा, इंटर, स्नातक के छात्र समेत बुद्धिजीवियों, पंचायती राज के प्रतिनिधियों को आंदोलन से जोड़ा जाएगा।
साथ ही 10 और 11 मई को आह्वान किये गए झारखंड बंद का समर्थन किया गया। बैठक में उपस्थित झारखंडी नौजवानों ने एक स्वर में कहा कि झारखंड की नियोजन नीति झारखंडी भावनाओं के अनुरूप होनी चाहिए। बैठक में नियोजन नीति नहीं होने से हो रहे नुकसान पर विस्तार से चर्चा की गयी। समाधान के लिए सरकार पर दबाव बनाने का सामूहिक निर्णय लिया गया।
क्यों है विरोध, क्या है तर्क
ज्ञात हो कि पिछली सरकार से पहले नियुक्तियों में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। लेकिन, इसमें EWS के तहत सवर्णों का आरक्षण जुड़ जाने के बाद यह 60 प्रतिशत हो गया। ऐसे में 60 प्रतिशत सीटों पर नियुक्तियां झारखंड के आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की होंगी। वहीं 40 प्रतिशत सीटें 'ओपन टू ऑल' है। अर्थात कोई भी आवेदन कर सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि केवल 60 प्रतिशत आरक्षित सीटें ही ऐसी हैं,
जिन पर झारखंड के ही अभ्यर्थियों की नियुक्ति होनी है। बाकी के 40 प्रतिशत सीटों पर किसी भी राज्य के युवा झारखंड में रोजगार पा सकते हैं। परंतु यहाँ एक पेंच यह भी है कि झारखंड में झारखंडी होने की परिभाषा ही तय नहीं है। ऐसे में कहने को यह नीति 60 और 40 की नीति है। गहनता से अध्ययन करने पर स्थिति और भयावह नजर आती है। झारखंड का हाल जिस तरीके और जिस रूप में है यही कारण है कि झारखंडी लोगों के साथ छल होता आया है। ऐसे में सौ प्रतिशत सीटों पर इस तरह बाहरी लोग कब्जा कर लेंगे। जिससे झारखंड के लोगों का हक मारा जाता रहेगा।
क्या है मांग
60-40 आधारित नियोजन नीति का विरोध कर रहे हम छात्रों की मांग यह है कि झारखंड में भी बिहार की तरह नियोजन नीति लागू हो। बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 की उपधारा 85 के तहत झारखंड सरकार के पास भी यह हक है कि संयुक्त बिहार के समय का कोई भी अध्यादेश या गजट को अंगीकृत कर सकते हैं। इसी के तहत 1982 की नियोजन नीति को अंगीकृत कर बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी नियोजन की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।
साथ ही नियुक्ति फॉर्म भरते समय अभ्यर्थी को अपने स्थानीय प्रमाण पत्र की क्रमांक संख्या लिखनी जरूरी की जाए। इसके तहत सारी सच्चाई निकलकर सामने आ जाएगी कि अभ्यर्थी कहां का खतियानी है। साथ ही, यह भी मांग है कि जनसंख्या के अनुपात में सभी वर्गों के लिए जिला स्तर पर आरक्षण लागू किया जाना चाहिए। नियुक्ति नियमावली पर कैबिनेट से मुहर लग चुकी है। ऐसे में यदि 60/40 नियमावली सदन से पास हो जाता है तो झारखंड के छात्रों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा।
बरही में बनी कमिटी
नियोजन नीति के आंदोलन के लिए बरही में एक कमिटी बनायी गयी। जिसमें अध्यक्ष सिकंदर कुमार, सचिव राजेंद्र प्रसाद, कोषाध्यक्ष अंकित कुमार, मीडिया प्रभारी विनय कुमार को बनाया गया। कार्यकारिणी में नितेश कुमार, मोहम्मद शाहबाज, अंकित कुमार चंद्रवंशी, छोटी कुमार साव, विनय कुमार गुप्ता, टुकलाल साव, अरुण कुमार, शिबू कुमार, पंकज कुमार व अन्य लोगों का नाम शामिल है। पंचायती राज प्रतिनिधि के तौर पर बरसोत पंचायत के मुखिया मनोज कुमार मौजूद रहे। उन्हें भी संरक्षक चुना गया।
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